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भारत और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट सीरीज के बाद 21 अक्टूबर से वनडे सीरीज शुरू होगी. वेस्टइंडीज की वनडे टीम में क्रिस गेल समेत कई दिग्गज खिलाड़ी अलग-अलग वजहों से शामिल नहीं किए गए हैं इसलिए उसमें भी कोई कांटे का मुकाबला होता नहीं दिखता. बावजूद इसके वनडे सीरीज को लेकर चर्चा हो रही है. वो इसलिए क्योंकि भारतीय टीम के चयनकर्ताओं ने ऋषभ पंत को वनडे टीम में पहली बार चुना है. ऋषभ पंत को चुनने के दो मायने हैं. पहला तो ये कि बतौर बल्लेबाज टीम का हिस्सा रहे दिनेश कार्तिक को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, दूसरा ये कि ऋषभ पंत के आने के बाद धोनी पर भी क्या कोई दबाव होगा?
धोनी वाला ‘एंगल’ दिलचस्प है. ऐसा इसलिए क्योंकि धोनी की बल्लेबाजी को लेकर हाल के दिनों में सवाल उठते रहे हैं. आज की तारीख में हर कोई यही कह रहा है कि धोनी 2019 का विश्व कप बतौर विकेटकीपर-बल्लेबाज हर हाल में खेलेंगे लेकिन ऋषभ पंत को टीम में शामिल करके क्या चयनकर्ताओं ने अपने विकल्प खुले रखने का संकेत दिया है?
इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले इस बात को मान लेने में कोई हर्ज नहीं है कि बतौर विकेटकीपर धोनी का कोई जवाब नहीं है. आज भी स्टंप के पीछे उनकी फुर्ती अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों को चकमा दे देती है. सवाल यहां बल्लेबाजी का है. दिनेश कार्तिक अब तक बतौर स्पेशलिस्ट बल्लेबाज टीम में थे. वो इस मौके का फायदा उठाने में नाकाम रहे, टीम मैनेजमेंट अब भी धोनी बनाम कार्तिक के सवाल पर धोनी के साथ है. हाल ही में खेले गए एशिया कप में उनके प्रदर्शन का ये ग्राफिक्स देखिए
ये आंकड़े बताते हैं कि दिनेश कार्तिक को लगभग सभी मैचों में अच्छी शुरूआत मिली लेकिन वो बड़ा स्कोर बनाने या मैच फिनिशर का रोल नहीं निभा पाए. बल्लेबाजी धोनी भी अच्छी नहीं कर रहे थे. उनके खाते में भी हाल के दिनों में कोई बड़ा स्कोर नहीं है लेकिन अपने अनुभव और विकेटकीपिंग के दम पर वो बच गए. चयनकर्ताओं ने ऋषभ पंत को मौका क्यों दिया उसे समझने के लिए ये बातें जानना जरूरी है.
* दिनेश कार्तिक 33 साल से ज्यादा के हो चुके हैं
* ऋषभ पंत अभी सिर्फ 21 साल के हैं
* धोनी के बाद पंत लंबे समय तक टीम के साथ रह सकते हैं
ऋषभ पंत को वेस्टइंडीज के खिलाफ अगर वनडे सीरीज में मौका मिलता है तो उनकी बल्लेबाजी से ज्यादा नजर उनकी विकेटकीपिंग पर रहेगी. टेस्ट मैच में अपनी विकेटकीपिंग से वो क्रिकेट के बारीक जानकारों को प्रभावित नहीं कर पाए हैं. वनडे छोटे फॉर्मेट का खेल है, हो सकता है कि यहां वो थोड़ा बेहतर कीपिंग करते दिखें. अगर उन्होंने अपनी कीपिंग में सुधार दिखाया तो निश्चित तौर पर वो धोनी की चिंता बढ़ाएंगे.
आज की तारीख में इस सवाल का जवाब है- हां. ऐसा इसलिए क्योंकि विराट कोहली ने कप्तान बनने के बाद एक इंटरव्यू में धोनी की जमकर तारीफ की थी. धोनी के मैदान में रहने भर को उन्होंने अपने लिए बड़ा फायदेमंद बताया था, उनका कहना था कि धोनी जैसा ‘क्रिकेटिंग ब्रेन’ उन्होंने कम खिलाड़ियों में ही देखा है.
कुछ ऐसा ही तब हुआ था जब रवि शास्त्री ने बतौर कोच कहा था कि धोनी में अभी काफी क्रिकेट बची हुई है. आपको याद दिलाना जरूरी है कि ये सारे बयान उसी दौरान आए थे जब चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद ने ये कह दिया था कि धोनी खुद को 2019 विश्व कप के लिए ‘ऑटोमैटिक च्वॉइस’ मान कर ना चलें. 2019 विश्व कप से पहले अब टीम इंडिया को गिने चुने वनडे मैच ही खेलने हैं. ऐसे में ऋषभ पंत को ज्यादा मौके मिलें ना मिलें लेकिन उनमें किया गया ‘इनवेस्टमेंट’ फिर भी टीम इंडिया को फायदे का सौदा लगता है. जो है भी!
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