advertisement
इंडोनेशिया के जकार्ता (Jakarta, Indonesia) में चल रहे हॉकी एशिया कप (Hockey Aisa Cup 2022) में डिफेंडिंग चैंपियंस भारत ने शक्तिशाली जापान को 2-1 से हराकर अपने पूल स्टेज में मिली हार का बदला तो ले लिया लेकिन अभी काम अधूरा है.
बीरेंद्र लाकड़ा की कप्तानी में टीम इंडिया अगर अपने डिफेंडिंग चैंपियंस के टाइटल को बरकरार रखना चाहती है तो इस जीत से उत्साहिक होने के बजाए आने वाले मैचों पर फोकस करना होगा.
जापान इस टूर्नामेंट में एक भी मैच न हारने वाली टीम थी, लेकिन भारत ने उन्हें सुपर 4 स्टेज के पहले मैच में ही हराकर अपना दम दिखाया. इससे पहले पूल स्टेज में जापान ने भारत को 2-5 से हराया था. इस हार के चलते भारत के लिए सुपर 4 की राह मुश्किल हो रही थी, लेकिन अब भारत ने अपना बदला पूरा कर लिया है.
भारत का इस टूर्नामेंट में अब तक का प्रदर्शन औसत रहा है, लेकिन फिर भी नई टीम को देखते हुए इसे अच्छा कहा जा सकता है. टीम ने पूल स्टेज में कुल 4 अंक हासिल किए जबकि पहले नंबर पर जापान के 9 अंक थे. जापान तीनों मैच जीता था जबकि भारत को केवल 1 में जीत, 1 में हार मिली और 1 मैच ड्रॉ रहा.
भारत बनाम पाकिस्तान: भारत का पहला मैच 23 मई को चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ था. ये मैच 1-1 से ड्रॉ रहा.
भारत बनाम जापान: भारत बनाम जापान के बीच मुकाबला 24 मई को था जिसमें उसे 2-5 से करारी हार मिली. इस हार के बाद भारत के लिए सुपर 4 में क्वालीफाई करना मुश्किल लग रहा था.
भारत बनाम इंडोनेशिया: 26 मई को भारत और इंडोनेशिया के बीच मैच खेला गया. जापान से मिली हार के बाद भारत को सुपर 4 में पहुंंचने के लिए इंडोनेशिया को कम के कम 15-0 के अंतर से हराना था. भारत ने 16-0 के अंतर से हराकर ये कारनामा कर दिखाया और सुपर 4 में जगह बना ली.
भारत बनाम जापान: भारत ने सुपर 4 के पहले मुकाबले में जापान को 2-1 से हराया है. इस जीत के साथ भारत ने फाइनल के लिए अपनी दावेदारी मजबूत कर दी है. हालांकि अभी मलेशिया जैसी मजबूत टीम से पार पाना बाकी है.
इस भारतीय टीम को आप देखेंगे तो समझ जाएंगे कि ये जीत इतनी खास क्यों है. 20 खिलाड़ियों के इस स्कॉड में 10 खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें पहली बार सीनियर टीम के लिए चुना गया है. यानी इसे आप भारत की B टीम भी कह सकते हैं.
भारत ने अगले साल होने वाले FIH वर्ल्ड कप के लिए अपनी बेंच स्ट्रेंथ को चेक करने के लिहाज से इस बार टीम का चयन किया था. टीम इंडिया बीते 47 सालों से हॉकी वर्ल्ड कप नहीं जीत पाई है. भारतीय टीम उम्मीदों पर पूरी तरह खरी उतरी है, तो कह सकते हैं कि सीनियर और नए खिलाड़ियों को चुनकर एक अच्छी टीम बनाने का भारत का प्रयोग सफल रहा है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)