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श्रीलंका के साथ भारतीय टीम की टेस्ट सीरीज के बाद अब सबका ध्यान दक्षिण अफ्रीका के आगामी दौरे की तरफ चला गया है. घर में खेलते हुए विराट कोहली और उनकी टीम ने सभी मोर्चों पर फतह हासिल की है और विपक्षी टीमों को हराया है.
पिछले करीब तीन साल के दौरान भारत ने ज्यादातर घरेलू सीरीज खेली हैं. श्रीलंका के अलावा दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीमों को भी पराजित किया है.
इस दौरान टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज और श्रीलंका के दौरे किए हैं और वहां भी उन्हें आसानी से शिकस्त दी है. हालांकि विदेशी जमीन पर इन जीत का बहुत ज्यादा महत्व नहीं है, क्योंकि दोनों ही टीमें रैंकिंग में पिछड़ी हैं, और मौजूदा भारतीय टीम के मुकाबले कहीं नहीं ठहरतीं.
आगामी सीरीज का महत्व विराट कोहली ने ये कहकर जता दिया था कि वो भले ही श्रीलंका के साथ खेल रहे थे, लेकिन उनका ध्यान दक्षिण अफ्रीका पर था.
इस बात को ध्यान में रखते हुए कि भारत को दक्षिण अफ्रीका के हालात में ढलने के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलेगा, उन्होंने उसकी तैयारी यहीं शुरू कर दी थी. दौरे के लिए 17 सदस्य टीम का ऐलान कर चुकी है और इसका सबसे रोचक पहलू है तेज गेंदबाजी. भारतीय तेज गेंदबाजी का आक्रमण इससे पहले कभी इतना घातक नहीं दिखा था.
बुमराह को टीम में शामिल किया जाना उम्मीद के मुताबिक है और रंगीन कपड़ों के प्रारूप में उनके प्रदर्शन का इनाम है.
ये गेंदबाज रफ्तार, बॉल स्विंग करने और चालाकी से गेंदबाजी करने में किसी से कम नहीं हैं. इसलिए मेजबान तेज और उछाल भरी पिचों को तैयार करने में थोड़े से सकुचाएंगे जरूर. उनका ‘होम एडवांटेज’का दांव उल्टा भी पड़ सकता है.
दूसरी तरफ, इस दल में ज्यादातर बल्लेबाज उतार-चढ़ाव के दौर से निकल चुके हैं और आगे के हालातों का सामना करने के लिए पर्याप्त अनुभव रखते हैं. विराट कोहली, अजिंक्य रहाने, चेतेश्वर पुजारा, शिखर धवन, मुरली विजय, के एल राहुल और रोहित शर्मा विदेशी जमीन पर शह-मात का खेल देख चुके हैं और अब अपना रिकॉर्ड सुधारने की कोशिश करेंगे.
टीम के पास हार्दिक पंड्या जैसा हरफनमौला भी है, जो तेज गेंदबाजी कर सकता है. आक्रामक बल्लेबाजी के सहारे मैच को भारत के पक्ष में मोड़ सकता है. इससे अंतिम ग्यारह को एक संतुलन मिल सकता है, जिसकी कमी विदेशी दौरों पर जाने वाली पिछली भारतीय टीमों को अक्सर महसूस होती थी.
रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा जैसे स्पिनरों को भी प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने आप को साबित करने का मौका मिलेगा. टेस्ट क्रिकेट की ‘परीक्षा’ उनका इंतजार कर रही है और वो भी इसे पास करने के लिए उत्सुक होंगे.
दूसरे विकेटकीपर के रूप में पार्थिव पटेल के चुनाव ने थोड़ा विवाद जरूर खड़ा किया है. लेकिन पार्थिव को टीम में शामिल करने के पीछे वजह है. 2016 में वृद्धिमान साहा की गैर-मौजूदगी में पार्थिव ने बेहद अच्छा प्रदर्शन दिखाया था.
विदेशी दौरे टीम लीडर के लिए अक्सर ही ‘करो या मरो’ जैसे होते हैं, और विराट को अपनी कप्तानी के सबसे चुनौतीपूर्ण समय के लिए इससे बेहतर फॉर्म नहीं मिल सकता था. अगले 12 महीने तय कर देंगे कि कप्तान कोहली अपने पीछे कैसी विरासत छोड़ने वाले हैं. और इसके लिए कप्तान कोहली को बल्लेबाज कोहली पर काफी हद तक निर्भर रहना होगा.
मौजूदा भारतीय टीम और इसकी क्षमता को देखते हुए, ये भरोसा होता है कि ये दल विदेशी दौरे के दबाव पर जीत हासिल कर सकता है. सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने विदेशों में टेस्ट मैच जीतने शुरू किए थे, लेकिन ये इंडियन टीम रिकॉर्ड को बेहतर कर सकती है और टेस्ट मैचों की जीत को टेस्ट श्रृंखला की जीत में बदल सकती है.
कोहली और उनकी टीम के जज्बे को देखते हुए लगता है कि वो सिर्फ ‘घर के शेर’ नहीं बनेंगे. उनके लिए अपना इतिहास लिखने और अपनी काबिलियत दिखाने का समय आ गया है.
(निशांत अरोड़ा पुरस्कृत क्रिकेट पत्रकार हैं, और हाल ही में इंडियन क्रिकेट टीम के मीडिया मैनेजर रहे हैं. वो युवराज सिंह की कैंसर से लड़ाई पर एक बेस्टसेलिंग किताब के सह-लेखक भी हैं.)
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