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कई सालों बाद टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देशों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, 2017 में अफगानिस्तान और आयरलैंड को मान्यता मिलने के बाद अब टेस्ट खेलने वाले देशों की संख्या कुल 12 हो गई और दिलचस्प बात ये है की टेस्ट खेलने वाले 12 में से 5 देश भारतीय उपमहाद्वीप से ही हैं.
भले ही आजकल हर जगह टी-20 की धूम मची हो लेकिन आज भी टेस्ट क्रिकेट की अपनी एक अहमियत और एक अलग मुकाम है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाला हर मुल्क टेस्ट मैच खेलने की ख्वाहिश रखता है और आइसीसी ने दो और देशों की ख्वाहिशें पूरी कर दी. जहां आयरलैंड की टीम पाकिस्तान के खिलाफ अपना डेब्यू टेस्ट खेल चुकी है वहीं अफगानिस्तान की टीम भी 14 जून को बेंगलुरू में भारत के खिलाफ डेब्यू टेस्ट खेलेगी. आयरलैंड टेस्ट मैच खेलने वाली 11वीं टीम है जबकि अफगानिस्तान 12वीं टीम बनेगी.
भारत के खिलाफ टेस्ट में डेब्यू करने वाली अफगानिस्तान ऐसी चौथी टीम होगी. सबसे पहले 1952 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला था. उसके बाद 1992 में जिम्बाब्वे और 2000 में बांग्लादेश को भी भारत के खिलाफ ही अपना पहला टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला. इसके 18 साल बाद ये सौभाग्य अफगानिस्तान की टीम को मिला है.
सपनों को साकार करना कोई अफगानिस्तान की टीम से सीखे. जिस तरह से इस टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हालिया दिनों में प्रदर्शन किया है वो क्रिकेट पंडितों के लिए भी रिसर्च का विषय है. ये टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस रफ्तार से आगे बढ़ रही है वो कई दूसरी टीमों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. पिछले करीब 7-8 सालों में इस टीम ने काफी तरक्की की है.
2012 में शारजाह के ऐतिहासिक मैदान में अफगानिस्तान को पहली बार किसी बड़ी टीम (टेस्ट खेलने वाली) के खिलाफ वनडे खेलने का मौका मिला और मुझे भी बतौर लाइव टीवी प्रोड्यूसर इस मैच को देखने का मौका मिला था. भले ही अफगानिस्तान ये मैच हार गयी लेकिन इस मैच में खिलाड़ियों के जज्बे और जुनून को देखकर साफ हो गया था कि ये टीम लंबे रेस का घोड़े हैं.
हाल फिलहाल में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज ड्रॉ की जो कि इस नयी टीम के लिए एक बड़ी बात थी. यही नहीं उससे पहले उन्होंने जिम्बाब्वे की टीम को भी वनडे सीरीज में शिकस्त दी थी. इनके दो बड़े खिलाड़ी राशिद खान और मोहम्मद नबी आईपीएल में खेलते हैं और राशिद खान ने जो अपनी गेंदबाजी के जलवे दिखाए हैं उसकी तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है.
अफगानिस्तान ने क्रिकेट की सीख अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से ही ली है. क्रिकेट की इस कहानी की शुरूआत 1979 से होती है, जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किया था. उसके बाद रूसी कदम से निराश कई अफगानियों ने पाकिस्तान की ओर पलायन किया. पाकिस्तान में इन अफगान शरणार्थियों ने वहीं इस खेल की बारीकियों को समझना और सीखना शुरू कर दिया. यही वजह है कि आज क्रिकेट अफगानिस्तान का नंबर एक खेल बन गया है.
अफगानिस्तान के खिलाफ विराट की जगह टेस्ट मैच में अजिंक्य रहाणे टीम की कप्तानी करेंगे. वहीं करुण नायर को टीम में शामिल किया गया है. अश्विन और जडेजा को टेस्ट टीम में मौका दिया गया है वहीं मो. शमी और शार्दूल ठाकुर भी टीम में शामिल किए गए हैं.
टेस्ट डेब्यू करने वाली टीमों का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. 141 साल के टेस्ट मैचों के इतिहास में सिर्फ एक बार ऐसा हुआ जब टेस्ट डेब्यू करने वाली टीम को जीत हासिल हुई हो. ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर बाकी टेस्ट डेब्यू करने वाली हर टीम को हार का सामना करना पड़ा या फिर मैच ड्रा रहा है.
भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंध सालों से बहुत मधुर रहे हैं. भारत ने क्रिकेट में भी उन्हें काफी मदद की है और यही वजह है की अफगानिस्तान का होम ग्राउंड ग्रेटर नोएडा का क्रिकेट स्टेडियम है. अफगानिस्तान क्रिकेट प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग भारत में भी है और वो जरूर चाहेगा कि ये टीम भारत के खिलाफ टेस्ट में दमदार प्रदर्शन करे.
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