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टेस्ट क्रिकेट के ऑलटाइम बेस्ट बल्लेबाजों की बात करें तो आपके जहन में कई नाम आएंगे. लेकिन उस लिस्ट को फिल्टर करते हुए अगर आप ऑलटाइम बेस्ट ओपनर्स की लिस्ट बनाएंगे तो कुछ तीन-चार नाम ही आगे आते हैं. टेस्ट क्रिकेट में बहुत ही कम ऐसे बल्लेबाज रहे जिन्होंने ओपनिंग स्लॉट को डिफाइन किया या यूं कहें उस पोजिशन पर बल्लेबाजी करते हुए बहुत बड़ा इम्पैक्ट डाला. सुनील गावस्कर उनमें से एक थे. ये बल्लेबाज 1970,80 के दशक में भारतीय क्रिकेट का चेहरा था और कई दिग्गज मान चुके हैं कि वो टेस्ट क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ ओपनर हैं.
अपने दौर की सर्वश्रेष्ठ टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ गावस्कर 70.20 का औसत रखते थे. घर के बाहर उन्होंने 52 की औसत से रन बनाए. तकनीक के तौर पर बहुत ही सॉलिड लिटिल मास्टर ने दुनिया के हर कोने में रन बनाए. हर किसी टीम के गेंदबाजों से दो-दो दिन गेंदबाजी करवाई. लेकिन सिर्फ इंग्लैंड में वो थोड़ा कम सफल रहे. और जिसे हम यहां ‘थोड़ा कम’ बोल रहे हैं, दरअसल वो आंकड़ा है 41.14(औसत) का, दुनिया के कई दिग्गजों की करियर औसत से भी ज्यादा लेकिन गावस्कर के स्टैंडर्ड के हिसाब से इसे ‘थोड़ा कम’ ही माना जाएगा.
इस ‘थोड़ा कम’ के संघर्ष के बीच गावस्कर ने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी इंग्लैंड में ही खेली है. बात 1979 की है जब ओवल के मैदान पर भारत अपने इंग्लैंड दौरे का आखिरी टेस्ट खेल रहा था. 4 मैचों की सीरीज में भारत 0-1 से पीछे था और आखिरी टेस्ट में माइक ब्रेयरली की कप्तानी वाली इंग्लैंड टीम ने भारत को 438 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य दिया. उस दौर में दूसरी पारी के 438 रन आज के 700 रनों के बराबर लगा लीजिए.
टेस्ट मैच की दूसरी पारी में भारत की ओर से सुनील गावस्कर और चेतन चौहान बल्लेबाजी करने उतरे. दोनों ही बल्लेबाजों ने चौथे दिन के आखिरी सत्र में बहुत ही संभल कर बल्लेबाजी की और भारत 76/0 के स्कोर पर पवेलियन वापस लौटा. आखिरी दिन भारत को जीत के लिए 362 रन और बनाने थे. आज के मुताबिक एक दिन में 300 रन बनाना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन उन दिनों में मैच के आखिरी दिन 300 सोच से परे था.
पांचवें दिन के पहले सत्र में विकेट बल्लेबाजी के लिए अच्छी थी. गावस्कर और चौहान ने मिलकर लंच तक 93 रन जोड़े और भारत का स्कोर 169/0 था. इंग्लैंड की ओर से पीटर विली और फिल एडमंड्स नाम के दो स्पिनर लगातार गेंदबाजी करते रहे और भारत का स्कोर आगे बढ़ता गया. गावस्कर पिच पर पूरी तरह से जम चुके थे, साथ ही चेतन चौहान उनका अच्छा साथ निभा रहे थे.
80 रन बनाकर चौहान आउट हुए और 213 के स्कोर पर इंग्लैंड को पहली सफलता मिली. उसके बाद बल्लेबाजी करने आए वेंगसरकर ने भी गावस्कर का अच्छा साथ दिया. दोनों ही बल्लेबाजों ने तेजी से रन जोड़े और आखिरी दिन टी-ब्रेक तक भारत का स्कोर 301/1 था, जीत से 137 रन दूर.
भारत को तेजी से लक्ष्य की ओर बढ़ता देख इंग्लैंड के कप्तान माइक ब्रेयरली ने चालाकी से ओवर फेंकने की गति धीमी कर दी. वो चाहते नहीं थे कि भारत को ये लक्ष्य पाने के लिए ज्यादा गेंद मिलें. आखिर में 20 मैनडेटरी(जरूरी) ओवर में भारत को जीत के लिए 110 रनों की जरूरत थी और हाथ में 9 विकेट थे. हर कोई यहां से भारत की जीत तय मान रहा था.
भारत के सबसे स्टाइलिश बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ को कपिल देव के बाद बल्लेबाजी के लिए उतरना था लेकिन कप्तान वेंकटराघवन ने यशपाल शर्मा को पहले भेज दिया. भारत को आखिरी 8 ओवर में 49 रनों की जरूरत थी और हाथ में 7 विकेट थे. अपने आखिरी स्पेल के लिए गेंद इयान बॉथम ने संभाली और उन्होंने भारत को सबसे बड़ा झटका दिया. सुनील गावस्कर आउट हो गए. बॉथम की गेंद पर गावस्कर मिडऑन पर लपके गए और उनकी 8 घंटे लंबी और 443 गेंदों की पारी खत्म हो गई. 221 रन बनाकर गावस्कर पवेलियन लौट गए.
अब क्रीज पर उतरे गुंडप्पा विश्वनाथ ने तेज बल्लेबाजी की और 11 गेंद में 15 रन बनाकर भारत को मैच में बनाए रखा लेकिन वो 410 के स्कोर पर आउट हो गए. अब यहां से भारतीय टीम पैनिक करने लगी. इयन बॉथम ने लगातार ओवरों में यजुविंद्रा और यशपाल शर्मा को आउट किया और एक बेहतरीन फील्डिंग के साथ कप्तान वेंकटराघवन को रन आउट कर दिया. आखिरी ओवर में भारत को 15 रन चाहिए थे और हाथ में दो विकेट थे. विली ने भरसकर कोशिश की लेकिन भारत की ओर से भरत रेड्डी ने मैच बचा लिया.
2018 के इस दौरे का आखिरी मैच भी ओवल के मैदान पर ही खेला जा रहा था . दूसरी पारी में 464 रनों का पीछा करते हुए भारत को सुनील गावस्कर और चेतन चौहान की जरूरत थी. खैर..केएल राहुल के रूप में गावस्कर तो मिले लेकिन ऊपरी क्रम में कोई चौहान नहीं मिल पाया. एक वक्त टीम इंडिया का स्कोर 2/3 था. वहां से केएल राहुल ने 149 रनों की एक बेहतरीन पारी खेली और टीम इंडिया को मैच में बनाए रखा. छठे विकेट के लिए उन्हें ऋषभ पंत (114 रन) का साथ मिला और दोनों खिलाड़ियों ने 204 रनों की साझेदारी भी की लेकिन एक बार राहुल आउट हुए तो टीम इंडिया पटरी से उतर गई और आखिरकार जीत इंग्लैंड की हुई. 1979 का ओवल टेस्ट गावस्कर की महान पारी के लिए याद किया जाता है, 2018 का ओवल टेस्ट केएल राहुल और ऋषभ पंत की हिम्मत के लिए याद किया जाएगा.
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