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जब तक विराट कोहली की कप्तानी की आलोचना हो रही थी तब तक तो बात समझ आ रही थी. वो दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज हारे थे, जिसके पीछे काफी हद तक उनके कुछ फैसले और प्लेइंग-11 का चयन जिम्मेदार था, इसलिए उनकी आलोचना जायज लग रही थी. फिर अचानक कई और मुद्दों को लेकर विराट कोहली को घेरा जाने लगा. उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा का नाम भी जुड़ गया. खिलाड़ियों से मनमुटाव की बात सामने आने लगी. खिलाड़ियों के चयन में उनके रोल पर सवाल उठने लगे.
इन परिस्थितियों में कुछ पुराने घटनाक्रम को भी जोड़कर देखने पर लगा कि ऐसा तो नहीं कि टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. आपको याद ही होगा कि अभी कुछ दिन पहले ही टीम इंडिया के सीनियर खिलाड़ी रोहित शर्मा ने ट्वीटर और इंस्टाग्राम पर विराट कोहली को अनफॉलो कर दिया था.
विराट कोहली और रोहित शर्मा समकक्ष खिलाड़ी हैं, रोहित का वनडे करियर पहले शुरू हुआ और विराट कोहली का टेस्ट करियर. बावजूद इसके आज कामयाबी की रेस में विराट कोहली रोहित शर्मा से कहीं आगे खड़े हैं. विराट कोहली के हाथ में टीम की कमान है जबकि रोहित शर्मा अभी तक टेस्ट फॉर्मेट में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए हैं. वनडे क्रिकेट में रोहित शर्मा की जो साख और धाक है वो उसे टेस्ट क्रिकेट में कायम नहीं कर पाए.
दरअसल रोहित शर्मा ने दक्षिण अफ्रीका में सेंचुरियन टेस्ट मैच की दूसरी पारी में मुश्किल विकेट पर 47 रन बनाए थे. इंग्लैंड के बाद जब उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए भी टीम में नहीं चुना गया तो कई खिलाड़ियों ने आश्चर्य जताया. जिसमें हरभजन सिंह भी शामिल हैं. टेस्ट टीम से ड्रॉप होने वाले दूसरे दिग्गज खिलाड़ी हैं शिखर धवन, जो इंग्लैंड में लगातार अच्छी शुरूआत मिलने के बाद भी बड़ा स्कोर नहीं कर पाए लिहाजा उन्हें ड्रॉप किया गया.
यही कहानी मुरली विजय की भी है, करूण नायर जरूर बदकिस्मत हैं जिन्हें बेंच पर बिठाए रखने के बाद ड्रॉप कर दिया गया. इसी बीच भारत ने एशिया कप जीता, एशिया कप में विराट कोहली की बजाए रोहित शर्मा कप्तानी कर रहे थे. एशिया कप में रोहित शर्मा और शिखर धवन दोनों ने शानदार बल्लेबाजी की. वनडे क्रिकेट में उनके प्रदर्शन को आधार बनाकर टेस्ट टीम में उनके ‘सेलेक्शन’ का ‘केस’ बनाया गया.
चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद का कहना है कि इन खिलाड़ियों को जानकारी देने के बाद उन्हें ड्रॉप किया गया. खिलाड़ी इस बात को नकार रहे हैं. इन सारी बातों ने विराट कोहली के खिलाफ एक हवा बनाने का काम किया है. ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि बतौर कप्तान वो मनमानी कर रहे हैं जबकि सच्चाई ये है कि विराट कोहली को दोष देना ठीक नहीं. अगर टीम का कोई भी खिलाड़ी तीनों फॉर्मेट में खेलना चाहता है तो उसे तीनों फॉर्मेट में प्रदर्शन करना होगा. सिर्फ सीनियर होने के नाते किसी भी खिलाड़ी को टीम में बनाए रखे जाना कप्तान के लिए संभव नहीं है. हां लेकिन कप्तान के लिए ये संभव है कि अगर वो केएल राहुल की तरह किसी खिलाड़ी को लगातार मौका दे रहे हैं तो उसके पीछे भी तर्क होना चाहिए, जिससे किसी को ऊंगली उठाने का मौका नहीं मिले.
अगले साल इंग्लैंड में विश्व कप खेला जाना है. इसके अलावा इस साल के अंत में टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया में बड़ी सीरीज खेलनी है. बेहतर होगा ये सारे विवाद जल्दी से जल्दी निपटाए जाएं. बतौर कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री की भूमिका अहम होगी. उन्हें खिलाड़ियों से बात करके उन्हें आश्वस्त करना होगा कि अच्छे प्रदर्शन की सूरत में टीम इंडिया में उनकी वापसी का रास्ता खुला हुआ है, हर कोई इस बात को समझता है कि टीम मैनेजमेंट का आशय विराट और रवि शास्त्री की जोड़ी से है. अगर खिलाड़ियों में किसी तरह की नाराजगी है या उनके साथ ‘कम्यूनिकेशन गैप’ है तो उसे नजरअंदाज करने की बजाए उस पर बात करनी चाहिए.
ये समझना चाहिए कि टीम के ड्रेसिंग रूम से जो धुआं निकल रहा है उसके पीछे छोटी-मोटी आग कहीं ना कहीं जरूर लगी है. उस आग को बुझाना होगा. टीम इंडिया की भलाई इसी में है.
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