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मंगलवार की सुबह लगभग सभी अखबारों में टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाजों को लेकर खबर छपी. खबर ये थी कि ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर सलामी बल्लेबाजों की जोड़ी को लेकर टीम इंडिया में भ्रम की स्थिति है. जाहिर है भ्रम की स्थिति इस बात को लेकर है कि ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर बतौर सलामी बल्लेबाज कौन जाएगा? सवाल ये है कि क्या वाकई इस तरह का कोई भ्रम है? अगर भ्रम है तो क्यों? इस भ्रम को व्यवहारिक तौर पर समझने की कोशिश करते हैं.
टीम में चयन के सबसे बड़े दो आधार होते हैं. पहला- खिलाड़ी की मौजूदा फॉर्म, दूसरा- खिलाड़ी की फिटनेस. इसके अलावा एशियाई टीमों में टीम में चुने जाने का एक और आधार होता है- कप्तान की पसंद-नापसंद. पहले दोनों आधार की कसौटी पर इस वक्त सिर्फ एक खिलाड़ी फिट बैठता है. वो खिलाड़ी हैं मुंबई के नए वंडर बॉय- पृथ्वी शॉ. पृथ्वी शॉ की बल्लेबाजी की तारीफ हर कोई कर रहा है. कई बड़े दिग्गज खिलाड़ियों ने पृथ्वी शॉ को सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और ब्रायन लारा को मिलाकर बना एक खिलाड़ी बताया है. टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली यहां तक कह चुके हैं कि जब वो पृथ्वी शॉ की उम्र के थे तो काबिलियत के लिहाज से उनके 10 फीसदी भी नहीं थे. लिहाजा पहले ओपनर के तौर पर पृथ्वी शॉ के नाम पर हर तरफ से मोहर लगती है.
अब चयन के दूसरे और तीसरे पैमाने पर आते हैं. जो है खिलाड़ी की फिटनेस और कप्तान की पसंद या नापसंद. इस पैमाने पर इस वक्त सिर्फ एक बल्लेबाज खरा उतरता है. वो बल्लेबाज हैं केएल राहुल इसलिए उनका नाम भी ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए कन्फर्म है. केएल राहुल को लेकर विराट कोहली को लगता है कि वो ऐसे बल्लेबाज हैं जो फॉर्म में हैं तो टेस्ट, वनडे और टी-20 तीनों फॉर्मेट में टीम के लिए फायदेमंद हैं. ये अलग बात है कि केएल राहुल पिछली एक दर्जन से ज्यादा पारियों से नाकाम हैं.
इंग्लैंड के खिलाफ ओवल टेस्ट की दूसरी पारी में लगाए गए शतक को छोड़ दें तो बाकि मैचों में उनका बल्ला खामोश रहा है. ओवल टेस्ट मैच के जिस शतक की हम बात कर रहे हैं वो शतक भी टीम इंडिया के किसी काम का नहीं था. बावजूद इसके केएल राहुल का ऑस्ट्रेलिया जाना तय है.
चयन के जिन पैमानों का जिक्र हमने शुरू में किया था उसमें पहला पैमाना था- मौजूदा फॉर्म. इस आधार पर रिसर्व ओपनर के तौर पर मुरली विजय ही सबसे उपयुक्त हैं. फर्स्ट क्लास मैचों में उन्होंने इंग्लैंड में अच्छा प्रदर्शन किया है, उनके प्रदर्शन की खबर अगर आप तक नहीं पहुंची है तो ये ग्राफिक्स देखिए जिससे आपको इंग्लैंड में घरेलू क्रिकेट में उनकी बल्लेबाजी के आकड़े पता चलेंगे.
दिलचस्प बात ये भी है कि इन तीनों मैचों में मुरली विजय की टीम एसेक्स को जीत हासिल हुई. लिहाजा ‘रिसर्व’ ओपनर के तौर पर उन्हें कन्फर्म टिकट मिलना चाहिए.
इसी सवाल के जवाब में खेल है. पहला खेल तो ये है कि वेस्टइंडीज के खिलाफ चयनकर्ताओं ने मंयक अग्रवाल को टीम में चुना था, मयंक अग्रवाल ने घरेलू क्रिकेट में करीब हजार रन बनाए थे. मुसीबत ये है कि चयनकर्ताओं ने दूरदर्शिता की कमी के चलते उन्हें प्लेइंग 11 में मौका नहीं दिया.
ये जानते हुए भी कि वेस्टइंडीज की टीम के खिलाफ उन्हें मैदान में उतारना कोई ‘रिस्क’ नहीं है अलबत्ता उनका ‘टेंप्रामेंट’ पता चल जाएगा. लिहाजा अब मयंक अग्रवाल को बिना मैदान में उतरे ही टीम से बाहर करना पड़ेगा. जैसा हाल ही में करूण नायर के साथ हुआ था. कहानी में ट्विस्ट इसलिए भी है क्योंकि दो प्रतिष्ठित और बड़े नामों के इस रेस में शामिल होने की चर्चा अभी नहीं हुई है. ये दो नाम हैं- रोहित शर्मा और शिखर धवन. चयन के तीन पैमानों में से फिलहाल फॉर्म की बात इनके खिलाफ जाती है. खेल कप्तान की पसंद नापसंद का है. कप्तान चाहें तो इन्हें भी ऑस्ट्रेलिया का टिकट मिल सकता है. वरना इन दोनों अनुभवी बल्लेबाजों को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज टीवी पर देखनी होगी. कहीं ऐसा तो नहीं कि भ्रम का माहौल इसलिए बनाया गया है कि इनमें से किसी एक को टिकट देने की जुगत बनाई जा रही हो?
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