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लंदन की यादें भुलाकर, गोल्ड मैडल लपकना चाहेगी इंडियन हॉकी टीम

टीम के प्रदर्शन को देखकर उम्मीद लगाई जा सकती है कि टीम इस बार रियो में सेमीफाइनल तक पहुंचेगी.

द क्विंट
स्पोर्ट्स
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इंडियन हॉकी टीम के खिलाड़ी (फोटो: ट्विटर वाया @Azlancup)
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इंडियन हॉकी टीम के खिलाड़ी (फोटो: ट्विटर वाया @Azlancup)
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इंडियन हॉकी टीम शनिवार को जब आयरलैंड के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करेगी, तो उसकी कोशिश लंदन ओलंपिक-2012 के बुरे प्रदर्शन को पीछे छोड़ जीत की नई इबारत लिखने की होगी.

बीजिंग ओलंपिक-2008 में क्वालीफाई न करने वाली इंडियन हॉकी टीम लंदन ओलंपिक में 12वें स्थान पर रही थी.

आठ स्वर्ण पदक के ओलंपिक इतिहास को देखते हुए लंदन ओलंपिक के प्रदर्शन को इंडियन समर्थक एक बुरा सपना ही कहेंगे. लेकिन जो टीम बीजिंग में क्वालीफाई न कर पाई हो, उसका लंदन ओलंपिक में क्वालीफाई करना किसी बड़ी सफलता से कम नहीं था.

बदली हैं कई चीजें

पिछले 4 साल में काफी चीजें बदली हैं. विश्व के कई बड़े टूर्नामेंटों में इंडियन टीम ने अपने शानदार प्रदर्शन से बताया है कि वह वर्तमान में हॉकी की दिग्गज टीमों को हराने का दम रखती है.

लंदन ओलंपिक में बुरे प्रदर्शन के बाद टीम के कोच मिशेल नोब्बस ने टीम का साथ छोड़ दिया था.

मिशेल के मार्गदर्शन में ही टीम ने बीजिंग को पीछे छोड़ लंदन ओलम्पिक में जगह बनाई थी.
रायपुर स्टेडियम में मैदान पर खेल का प्रदर्शन करते भारत-नीदरलैंड के खिलाड़ी (फाइल फोटोः PTI)

इसके बाद रोलेंट ओल्टमैंस ने टीम के मुख्य कोच का पद संभाला और टीम को एशियन कप में रजत पदक दिलाया. फिर ऑस्ट्रेलिया के टैरी वॉल्श टीम के साथ जुड़े. एशिया की सर्वश्रेष्ठ टीम बनने के लक्ष्य के चलते उन्होंने टीम में से कई वरिष्ठ खिलाड़ियों की छुट्टी कर दी.

2014 विश्व कप में भारत पदक दौर में तो क्वालीफाई नहीं कर पाया, लेकिन शीर्ष टीमों से उसकी हार का सिलसिला कम हो गया.

फिर बने चैंपियन

इसके बाद इंडियन टीम एशिया की चैंपियन टीम बन कर उभरी. लेकिन कोच के साथ विवाद ने एक बार फिर ओल्टमैंस की इंडियन टीम में वापसी करा दी. लेकिन इसके बाद पॉल वान एस ने टीम की जिम्मेदारी संभाली. उनके रहते टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया और विश्व हॉकी लीग के सेमीफाइनल तक का सफर तय किया.

महासंघ के विवाद के कारण पॉल ने भी टीम का साथ छोड़ने में ही अपनी बेहतरी समझी और ओल्टमैंस तीसरी बार भारत के मुख्य कोच बने.
गोल करने के बाद खुशी का इजहार करते भारतीय खिलाड़ी (फोटो साभार: हॉकी इंडिया)

इस साल भारत ने शानदार प्रदर्शन किया और इसी साल जून में लंदन में हुई चैम्पियंस ट्रॉफी में रजत पदक हासिल कर इतिहास रचा.

इस प्रदर्शन को देखकर उम्मीद लगाई जा सकती है कि टीम इस बार रियो में सेमीफाइनल तक पहुंचेगी. इस टीम में युवा और अनुभव का अच्छा मिश्रण है और यह टीम विश्व की बड़ी टीमों के सामने घबराती नहीं है.

कुछ बातें टीम के बारे में

हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) में खिलाड़ियों ने विश्व के दिग्गज खिलाड़ियों के साथ खेला है और उसका अनुभव बेशक टीम के काम आएगा.

हॉकी के सर्वश्रेष्ठ मिडफील्डर माने जाने वाले सरदार सिंह. (फाइल फोटोः IANS)
  • कप्तान और गोलकीपर पी.आर.श्रीजेश के अलावा ड्रेग फिल्कर रूपिंदर पाल सिंह और वी.आर. रघुनाथ के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी होगी.
  • मौजूदा हॉकी के सर्वश्रेष्ठ मिडफील्डर माने जाने वाले सरदार सिंह पर टीम को साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी होगी.
  • मनप्रीत सिंह का प्रदर्शन भी काफी मायने रखेगा. इनके अलावा आकाशदीप सिंह और एस.वी. सुनिल दो ऐसे नाम है जो टीम को संकट से निकालने के लिए जाने जाते हैं.
  • हालांकि डिफेंडर बिरेन्द्र लाकड़ा का टीम में न होना सभी को अखरेगा. वह चोट के कारण टीम से बाहर हैं.


भारत ओलंपिक में पूल-बी में नीदरलैंड्स, जर्मनी, अर्जेटीना, कनाडा, आयरलैंड के साथ है.

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Published: 06 Aug 2016,06:57 PM IST

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