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भारत ने न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और बांग्लादेश को बेहद आसानी से हरा दिया लेकिन घरेलू सरजमीं पर ऑस्ट्रेलिया ने कड़ी टक्कर दी. दुनिया की नंबर-2 टीम ऑस्ट्रेलिया ने कोहली की सेना के साथ जमकर लड़ाई लड़ी.
घरेलू सीजन खत्म हो चुका है और आइए नजर डालते हैं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया के प्रदर्शन पर.
भारतीय कप्तान विराट कोहली के लिए ये सीरीज बल्ले से बहुत बुरी रही. 3 मैचों में वो सिर्फ 46 रन बना पाए. इससे पहले वो इस पूरे सीजन हर सीरीज में शतक लगा रहे थे लेकिन कंगारू गेंदबाजों ने उन्हें कोई मौका नहीं दिया.
लेकिन कप्तान के तौर पर विराट के लिए ये सीरीज अच्छी रही. पुणे में हारने के बाद जिस तरह से विराट कोहली ने टीम को एकजुट करके बेंगलुरू में जीत हासिल की वो काबिले तारीफ था. मैदान और मैदान के बाहर उन्होंने हमेशा अपनी टीम का हौसला बढ़ाया. बेंगलुरु में 188 रनों के लक्ष्य का बचाव करते उन्होंने आक्रामक फील्ड रखा तो वहीं रांची में उन्होंने जडेजा-अश्विन का खूबसूरती से इस्तेमाल किया. इसके अलावा धर्मशाला में भी वो कई बार टीम के खिलाड़ियों को अपनी राय देते नजर आए.
बल्ले से रहाणे का प्रदर्शन एक बार फिर कुछ खास नहीं रहा. चोट लगने से पहले इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में उन्होंने एक भी फिफ्टी नहीं बनाई थी. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरुआती 3 पारियों में भी वो खास प्रदर्शन नहीं कर पाए.
हालांकि, बेंगलुरु में उन्होंने 52 रनों की बेहद परिपक्व पारी खेली और भारत को जीतने में मदद की. आखिरी टेस्ट में रहाणे ने शानदार कप्तानी की. उन्होंने अच्छी फील्डिंग सेट की और कुलदीप यादव जैसे युवा गेंदबाज को हौसला दिया.
भारत के ओपनिंग बल्लेबाज केएल राहुल ने पूरी सीरीज में अपने बल्ले से जौहर दिखाया. इस पूरी सीरीज में 7 पारियों में से 6 में उन्होंने अर्धशतक जमाए.
पुजारा के बारे में क्या कहें? इस सीजन में वो 1,316 रनों के साथ भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे. भारत के अन्य बल्लेबाजों की तरह शुरुआची 3 पारियों में वो भी असफल रहे लेकिन बेंगलुरु की आखिरी पारी में उन्होंने 92 रनों की मैच जिताई पारी खेली थी.
फिर रांची में उन्होंने भारतीय क्रिकेट इतिहास की सबसे लंबी पारी खेलते हुए उन्होंने दोहरा शतक जड़ा.
इस पूरी सीरीज में ऋद्धिमान साहा सबसे ज्यादा उन्नच खिलाड़ी दिखे. सीरीज की शुरुआत से पहले उनकी बल्लेबाजी को लेकर आलोचना हो रही थी लेकिन उन्होंने अपने बल्ले से सबका मुंह बंद कर दिया. रांची टेस्ट में उन्होंने बेहद शानदार शतक जड़ा और साथ ही उन्होंने पूरी सीरीज में कई अद्भुत कैच लपके. साहा ने इस सीरीज में 13 कैच पकड़े हैं.
हमेशा अश्विन की छाया में गुम रहे रवींद्र जडेजा अब की बार उभर कर आए. वो इस पूरी सीरीज में भारत के प्राइम स्पिनर थे. जडेजा ने खूबसूरत गेंदबाजी की और सबसे ज्यादा 25 विकेट झटके. इसके अलावा बल्ले से भी उन्होंने दम दिखाया और लगातार दो अर्धशतक जमाए.
मुरली विजय के लिए ये सीरीज कुछ खास नहीं रही. इक्का दुक्का पारियों को छोड़ दें तो वो ज्यादातर वक्त अपने टच में नहीं दिखे. मुरली ने 22.60 की औसत से 113 रन बनाए और एक अर्धशतक बनाया. दूसरे टेस्ट में कंधे की चोट के चलते मुरली विजय टीम से बाहर भी हो गए थे.
इस पूरी सीरीज में करुण नायर आशा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए. इंग्लैंड के खिलाफ जबरदस्त ट्रिपल सेंचुरी ठोकने के बाद उन्होंने 26,0,23 और 5 जैसे स्कोर बनाए.
सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं, फील्डिंग में भी करुण नायर का प्रदर्शन फीका ही रहा. उन्होंने कई मौकों पर अहम कैच भी छोड़े.
रविचंद्रन अश्विन से जो अपना स्तर सेट किया है उसके हिसाब से इस सीरीज में उनका प्रदर्शन उतना खास नहीं रहा. पूरी सीरीज में ये ऑफ स्पिनर सिर्फ एक बार पारी में 5 विकेट ले पाया, लेकिन फिर भी 21 विकेट के साथ सीरीज के दूसरे सबसे कामयाब गेंदबाज रहे.
बेंगलुरु टेस्ट में जब टीम इंडिया 188 रनों का लक्ष्य बचा रही थी को अश्विन ने 41 रन देकर 6 विकेट झटके और 75 रनों से मैच जीत लिया.
उमेश यादव इस सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज हैं. उमेश ने 17 विकेट चटकाए. लगभग हरएक मैच में उन्होंने भारत को ब्रेकथ्रू दिलाया.
पूरी सीरीज में उन्होंने बहुत तेज गेंदबाजी की. धर्मशाला टेस्ट की दूसरी पारी में तो उमेश को खेलना असंभव सा लग रहा था.
चौथे टेस्ट में कुलदीप यादव एक सरप्राइज पैकेज के तौर पर आए. विराट की चोट के बाद सभी को उम्मीद थी कि बल्लेबाज श्रेयस अय्यर टीम में आएंगे लेकिन टीम मैनेजमेंट ने कुलदीप के तौर पर एक तुक्का खेला जो चल गया.
धर्मशाला टेस्ट में ऑस्ट्रलिया जब बेहद मजबूत स्थिति में था तब इस चाइनामैन गेंदबाज ने अपनी वैरिएशन से कंगारुओं को खूब छकाया. टेस्ट क्रिकेट की अपनी पहली ही परफॉर्मेंस में कुलदीप ने 4 विकेट झटके.
ईशांत शर्मा न चाहे इस सीरीज में सिर्फ 3 विकेट ही लिए हों,लेकिन उनके प्रदर्शन को आंकड़ों से बयां नहीं किया जा सकता. ईशांत ने सीरीज में अच्छी लाइन पर गेंदबाजी की और एक छोर से बल्लेबाजों पर अच्छा दबाव बनाया. उनके बनाए दबाव का दूसरे गेंदबाजों ने फायदा उठाया और खूब विकेट झटके.
तीन मैच तक बैंच पर बैठने के बाद भुवनेश्वर कुमार को आखिरी मैच में मौका मिला. धर्मशाला में भुवी ने अपनी खूबसूरत स्विंग गेंदबाजी दिखाई. दोनों पारियों में इस गेंदबाज को सिर्फ 1-1 विकेट ही मिला लेकिन उन्होंने ईशांत की तरह ही बल्लेबाजों पर दबाव अच्छा बनाया.
दूसरी पारी में स्टीन स्मिथ का सबसे अहम विकेट भुवनेश्वर ने ही लिया.
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