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इंडियन प्रीमियर लीग जब 2008 में शुरू हुआ था तो कुछ लोगों ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि ‘खिलाड़ियों की बोली’ ठीक शब्द नहीं है लेकिन ये ट्रेंड चलता रहा. वजह बड़ी साफ थी कि खिलाड़ियों को मिलने वाला पैसा उनके प्रदर्शन पर निर्भर करता था. यही वजह है कि एक सीजन में अच्छे प्रदर्शन से कई खिलाड़ियों का बैंक बैंलेंस कई गुना बढ़ गया और कई का खेल खत्म भी कर गया. कई ऐसे खिलाड़ी जिन्हें कोई जानता तक नहीं था वो करोड़ों कमा गए और कई जो स्टार थे उन्हें किसी ने नहीं खरीदा.
भारतीय क्रिकेट टीम में पिछले दस साल में कई खिलाड़ी ऐसे आए जिन्हें आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के दम पर जगह मिली. आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के दम पर कुछ दिग्गजों की टीम में वापसी हुई. इस साल भी ऐसा ही हुआ है. आईपीएल अपने आधे से ज्यादा सीजन का सफर तय कर चुका है. सभी टीमों ने करीब 10-10 मैच खेल लिए हैं. प्वाइंट्स टेबल की तस्वीर भी अब लगभग साफ हो रही है.
लीग के कामयाब खिलाड़ियों की पहचान हो गई है. साथ ही साथ ऐसे खिलाड़ियों की भी जो अपनी टीम के लिए अब तक अपनी साख के मुताबिक ‘कॉन्ट्रीब्यूट’ नहीं कर पाए हैं. क्रिकेट में ‘चोकर्स’ शब्द बड़ा प्रचलित है. चोकर्स यानी ऐसे खिलाड़ी या ऐसी टीम जो ऐन वक्त पर पटरी से उतर जाते हैं. आइए आपको बताते हैं कि इस सीजन में आईपीएल के टॉप-10 चोकर्स कौन से खिलाड़ी हैं.
इस प्रदर्शन को देखने के बाद आप समझ गए होंगे कि प्वाइंट्स टेबल में इन खिलाड़ियों की टीमों की स्थिति डांवाडोल क्यों हो रही है. बतौर कप्तान कोलकाता नाइट राइडर्स को दो बार आईपीएल चैंपियन बनाने वाले गौतम गंभीर को तो खराब फॉर्म की वजह से कप्तानी तक छोड़नी पड़ी. बीच टूर्नामेंट में उन्होंने कप्तानी छोड़ी जिसके बाद श्रेयस अय्यर को दिल्ली की कमान सौंपी गई. हालांकि इसमें भी कुछ खिलाड़ियों की किस्मत अच्छी है क्योंकि उनके खराब प्रदर्शन के बाद भी उनकी टीमें जीत रही हैं. इसलिए, उनके प्रदर्शन पर लोगों की टेढ़ी नजर कम है. ऋद्धिमान साहा, रवींद्र जडेजा, मनीष पांडे और युवराज सिंह को ऐसे खिलाड़ियों की श्रेणी में रखा जा सकता है. इन खिलाड़ियों का असली दर्द उस कीमत को ‘जस्टिफाई’ करना होगा जो इन्हें इस सीजन के लिए मिल रही है. आइए आपको इन खिलाड़ियों को मिलने वाली रकम बता दें.
इस पूरी फेहरिस्त में अगर भारतीय खिलाड़ियों के लिहाज से बात करें तो सबसे बड़ी फजीहत गौतम गंभीर और युवराज सिंह की होने वाली है. कप्तानी छोड़ने के बाद गौतम गंभीर को प्लेइंग 11 में मौका नहीं मिला है. ये दोनों खिलाड़ी लंबे समय से टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं, ऐसे में ये इन दोनों दिग्गजों का आईपीएल का भी आखिरी सीजन साबित हो सकता है. अभी सभी टीमों के पास 4-5 मैचों का मौका है. ये मौका इन खिलाड़ियों के लिए भी है. प्लेऑफ के पहले-पहले अगर इन दिग्गज खिलाड़ियों ने रिकॉर्ड बुक में अपने प्रदर्शन को सुधार लिया तो अच्छा है वरना टीम मालिकों की टेढ़ी नजर का इन पर पड़ना तय है क्योंकि इस लीग का सबसे बड़ा सच, जिसे कोई नहीं बदल सकता वो है- बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया!
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