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रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खेमे में एक से एक सितारे भरे हुए हैं. हर एक सीजन में वे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते और बड़े खिलाड़ियों को शामिल करते हैं. हमारे समय के सबसे चमकदार क्रिकेटिंग सितारे विराट कोहली जब आज कल के लिमिटेड ओवर्स के सबसे ज्यादा डायनामिक खिलाड़ियों में से एक एबी डिविलियर्स के साथ खड़े होते हैं तो विपक्षी टीम ऐसे ही घुटनों पर आ जाती है.
टीम ने इस साल अपने स्क्वॉड में विंडीज के उभरते हुए सितारे शेमरन हेटमायर को भी जोड़ा है. बिग बैश लीग के स्टार प्लेयर्स में से एक मार्कस स्टोइनिस को किंग्स-XI पंजाब से मंदीप सिंह के बदले में लिया गया है. एक उभरते हुए सितारे शिवम दुबे भी अपनी जगह इस टीम में बना पाए हैं जिन्हें उनके पहले ही आईपीएल में 5 करोड़ की भारी भरकम रकम के साथ खरीदा गया है.
यदि स्टार पावर के दम पर मैच जीते जाएं तो इस साल के खिताब के लिए आरसीबी प्रबल दावेदार हो. लेकिन क्रिकेट के विकास के साथ यह पता चलता है कि टीम अपने खिलाड़ियों की भूमिका को जितने अच्छे ढंग से इस्तेमाल करती है मैच को जीतने का चांस उतना ही बढ़ जाता है.
उदाहरण के तौर पर सनराइजर्स हैदराबाद को देखिये. डेविड वार्नर, जो शायद इस आईपीएल में खेल सकते हैं, के अलावा इस टीम के पास विराट कोहली और एबी डिविलियर्स जैसी आभा वाला कोई खिलाड़ी नहीं है लेकिन वे साल-दर-साल लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं.
आईपीएल के पिछले कई सालों में और हाल ही में हुए भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के पहले टी20 मुकाबले को देखते हुए हमारे पास यह जानने के पर्याप्त सबूत हैं कि उमेश यादव आखिरी ओवर्स के लिए बहुत कारगर नहीं हैं. खैर इसमें कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि हर एक गेंदबाज हर चीज में माहिर नहीं होता है. उनमें शुरुआत में विकेट झटकने की काबिलियत है और यह कला बहुत कम लोगों में होती है.
पिछले सीजन की तरह ही, उम्मीद है कि इस बार भी वह पावरप्ले के दौरान तीन ओवर फेकेंगे और अपने हिस्से के ओवर पूरे करने के लिए 11 वें या 12 वें ओवर में फिर से बुलाये जायेंगे. साफ है कि आरसीबी को डेथ बोलिंग के लिए उनके अलावा विकल्प के लिए सोचना होगा.
पिछले साल नेथन कुल्टर-नाइल के चोटिल होने के बाद फॉर्म से बाहर चल रहे हरफनमौला खिलाड़ी कॉरी एंडरसन को चुना गया था और यह एक ऐसा कदम था जो समझ से परे था. न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर साइमन डौल लगातार यह कह रहे थे कि एंडरसन ने पूरे साल के दौरान मुश्किल से एक मैच खेला था. वह राष्ट्रीय टीम का हिस्सा नहीं थे और ग्रेड क्रिकेट भी नहीं खेल रहे थे.
इसके बावजूद उन्हें निर्णायक डेथ ओवर्स में गेंदबाजी दी गई. एंडरसन के पास निश्चित रूप से मैच अभ्यास की कमी थी इसलिए उनके पास विविधताएं देखने को नहीं मिलीं.
कुछ ऐसा ही मसला कॉलिन डिग्रैंडहोम के साथ भी था, जो बल्ले से छाप नहीं छोड़ सके लेकिन उनका इस्तेमाल ज्यादातर एक गेंदबाज के तौर पर किया गया जो कि उनका मजबूत पक्ष नहीं है. एक और अजीब फैसला था टिम साउदी को शुरुआती मुकाबलों में ना खिलाना, वह भी तब जब गेंदबाज आखिरी ओवर्स में रनों पर रोक नहीं लगा पा रहे थे. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि यह टीम विकेटकीपर बल्लेबाज क्विंटन डीकॉक को टॉप आर्डर में खिलाना चाहती थी बावजूद इसके कि उनके पास पार्थिव पटेल मौजूद थे जिन्होंने बाद में टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन किया था.
इस साल भी उन्होंने 4.2 करोड़ रुपये में शेमरॉन हेटमायर को खरीदा है. वे एक अतिरिक्त बल्लेबाज को खिला सकते हैं जिसके चलते साउदी और कुल्टर-नाइल में से किसी एक को बाहर बैठना होगा, जो कि खतरनाक साबित हो सकता है.
टीम के लिए अगली चिंता की जो बात है वह यह है कि टीम का टॉप आर्डर बहुत मजबूत है लेकिन विराट कोहली और एबी डिविलियर्स का विकेट गिरते ही पारी लड़खड़ा जाती है इसी कारण टीम को अंत में मशक्कत करनी पड़ती है.
मंदीप सिंह उनके लिए एक फिनिशर की भूमिका में थे और उन्होंने कुछ मुकाबलों में अपनी अहमियत साबित की थी लेकिन उन्हें मार्कस स्टोइनिस के बदले बदला जा चुका है. स्टोइनिस ने बिग बैश लीग में इस बार फिर से जबरदस्त प्रदर्शन किया है लेकिन यह उन्होंने टॉप आर्डर में किया है. इसके अलावा यह बात भी सब जानते हैं कि स्टोइनिस को रिस्ट स्पिनर्स के खिलाफ काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का मैनेजमेंट कैसे काम करता है इसका खामियों भरा और लगभग अजीब उदाहरण सामने तब आया जब 2017 में यह टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ महज 49 रनों के भीतर सिमटी और इसके ठीक अगले सीजन में इसने कोलकाता के उन चारों गेंदबाजों, नाथन कुल्टर-नाइल, उमेश यादव, कॉलिन डी ग्रैंडहोम और क्रिस वोक्स को खरीद लिया जो इसके पतन के लिए जिम्मेदार थे.
अगर कोई व्यक्ति उन चीजों के बारे में कोई केस स्टडी करे जो नीलामी के दौरान नहीं होनी चाहिए तो उनका कदम निश्चित रूप से इन्हीं में से एक होगा. खिलाड़ी किसी विशेष मैच में बढ़िया प्रदर्शन इसलिए करते हैं क्योंकि इसके बहुत सारे आधार होते हैं जैसे – परिस्थितियां, कप्तान उनका इस्तेमाल कैसे करता है, गेम का टेम्पो, टीम पहले बल्लेबाजी करती है या गेंदबाजी और बल्लेबाज गेंदबाजों के खिलाफ कितना विध्वंसक हैं वगैरह-वगैरह.
आप किसी जिद्दी बच्चे की तरह खिलाड़ियों पर ऊंगली रखकर नहीं कह सकते कि आप को ये सभी खिलाड़ी चाहिए. सेलेक्शन के पीछे बहुत सोच-विचार करना होता है और होना भी चाहिए था लेकिन यह जो भी था, पिछले साल उनके लिए कारगर साबित नहीं हुआ. आपको यह लगता है कि यह आरसीबी के लिए बदलाव का सीजन है. आशा है कि विराट कोहली और एबी डिविलियर्स का जादू उनकी टैक्टिकल गलतियों की भरपाई कर दे.
इन सभी बातों पर से पर्दा जल्द ही हट जायेगा जब इस साल के आईपीएल में आरसीबी चेन्नई में 23 मार्च को चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ ओपनिंग मैच के लिए मैदान पर उतरेगी.
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