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गुरुवार को सनराइजर्स हैदराबाद और मुंबई इंडियंस के बीच अहम मैच खेला गया. सुपर ओवर में मैच जीतकर मुंबई की टीम ने प्लेऑफ में जगह भी बना ली. लेकिन इस मैच की एक तस्वीर ऐसी है जिसमें लाचारी दिख रही थी. हुआ यूं कि मुंबई इंडियंस की टीम अपनी पारी के आखिरी ओवर खेल रही थी. जिस अंदाज में मुंबई की टीम ने बल्लेबाजी शुरू की थी, स्कोर 175 के पार जाना चाहिए था.
लेकिन आखिरी के दो ओवरों में सनराइजर्स हैदराबाद ने कमाल की गेंदबाजी की. आखिरी दो ओवरों में मुंबई की टीम सिर्फ 15 रन बना पाई. 19वें ओवर में चार रन और 20वें ओवर में 11 रन इस दौरान डगआउट में एक खिलाड़ी पर कैमरा बार-बार फोकस कर रहा था.
हालत ऐसी हो गई कि प्लेइंग 11 में उनका जगह बनाना मुश्किल हो गया. ये सोचकर भी अफसोस होता है कि युवराज सिंह जैसा दिग्गज खिलाड़ी पिछले एक महीने से सिर्फ डगआउट में बैठा है. आपको बता दें कि इस सीजन में उन्होंने आखिरी मैच 3 अप्रैल को चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ खेला था.
ये बात कड़वी है लेकिन अब आईपीएल में युवराज सिंह के होने का मतलब सिर्फ उनके ‘बैक बैलेंस’ से है. बतौर क्रिकेटर अपने रूतबे में वो कोई इजाफा नहीं कर रहे हैं. आईपीएल के इस सीजन के बाद ये सवाल निश्चित तौर पर उठेगा कि क्या युवराज सिंह को अब संन्यास का फैसला कर लेना चाहिए. युवराज सिंह भी इस ख्याल से अछूते नहीं होंगे. इस सीजन में अब तक खेले गए मैचों में युवराज सिंह का प्रदर्शन देखिए.
लगे हाथ मैच दर मैच भी युवराज सिंह की बल्लेबाजी का आंकड़ा देख लेते हैं.
इस प्रदर्शन से एक बात साफ दिखाई देती है कि इस सीजन में युवराज सिंह के प्रदर्शन का ग्राफ लगातार नीचे गिरता चला गया. बल्लेबाजी में वो कोई कमाल कर नहीं रहे थे और गेंदबाजी में उन्हें मौका भी नहीं मिला. नतीजा लिमिटेड ओवर का बेताज बादशाह अब सिर्फ टीम के साथ ‘ट्रैवल’ करने वाला खिलाड़ी बनकर रह गया है.
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फरवरी के महीने में युवराज सिंह ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी मैच खेले थे. किसी भी मैच का स्कोर ऐसा नहीं था कि उन्हें ‘फॉर्म’ में कहा जाए. बावजूद इसके वो मुंबई इंडियंस की टीम का हिस्सा थे. ये भी एक संयोग ही है कि इस फॉर्मेट में उनके समकालीन कई खिलाड़ी अब भी जमे हुए हैं लेकिन किंग्स इलेवन पंजाब से शुरू हुआ उनका सफर कभी दिल्ली डेयरडेविल्स, कभी सनराइजर्स हैदराबाद, पुणे वारियर्स, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और अब मुंबई इंडियंस के बीच डगमगाता रहा.
लेकिन बड़े से बड़े खिलाड़ी को ये फैसला लेना. होता है कि अब क्या वाकई मैदान में उसकी जरूरत है. अगर युवराज सिंह इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं तो उन्हें अब थोड़ा जल्दबाजी दिखानी चाहिए वरना वक्त बेरहम है. तमाम सुनहरी यादों पर नाकामी की तस्वीरें कई बार हावी हो जाती हैं.
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