Home Sports जानिए कौन हैं देश की ये नई ‘उड़नपरी’ हिमा दास
जानिए कौन हैं देश की ये नई ‘उड़नपरी’ हिमा दास
रातोंरात देश की नई स्टार बन चुकीं हिमा दास ने भारतीय एथलेटिक्स में रचा है नया इतिहास
क्विंट हिंदी
स्पोर्ट्स
Published:
i
रातोंरात देश की नई स्टार बन चुकी हैं हिमा दास
(फोटो: AP)
✕
advertisement
एथलेटिक्स के ट्रैक पर 'जन-गण-मन' सुनने की भारतीय खेल प्रेमियों की हसरत बड़ी पुरानी है. गुरुवार को देश की ये हसरत जब से पूरी हुई है, लोगों की जुबां पर एक ही नाम है- हिमा दास. हिमा की इस ऐतिहासिक जीत का जश्न पूरा देश मना रहा है. लोग सोशल मीडिया पर हिमा को बधाई देते नहीं थक रहे.
फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में आयोजित IAAF वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत की इस 'नई उड़नपरी' ने 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीतकर जो इतिहास रचा है, उसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है.
आइए आपको बताते हैं हिमा के बारे में कुछ खास और रोचक बातें.
असम के नौगांव जिले के धिंग गांव की रहने वाली 18 साल की हिमा दास एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं.
उनके पिता चावल की खेती कर परिवार का गुजारा करते हैं. हिमा परिवार के 6 बच्चों में सबसे छोटी हैं.
हिमा पहले गांव के लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थीं और एक 'स्ट्राइकर' के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती थीं. वो अक्सर अपने गांव और जिले के आस-पास छोटे-मोटे फुटबॉल टूर्नामेंट में हिस्सा लेती थीं.
जनवरी 2017 में हिमा गुवाहाटी में एक ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लेने आयी थीं. वहां कोच निपुण दास की नजर उन पर पड़ी, तभी उन्हें एहसास हो गया था कि हिमा में अंतररष्ट्रीय स्तर की एथलीट बनने की काबिलियत मौजूद है.
इसके बाद निपुण हिमा के गांव पहुंचे और उनके माता पिता से मिलकर उनसे गुजारिश की, कि हिमा को बेहतर कोचिंग के लिए गुवाहाटी भेज दें.
हिमा के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि गुवाहाटी में उनके रहने और ट्रेनिंग का खर्च नहीं उठा सकें. ऐसी स्थिति में निपुण ने खुद ही हिमा के रहने का खर्च उठाने का फैसला किया. यहीं से शुरू हुआ हिमा के एथलीट बनने का सफर.
हिमा के कोच निपुण दास के मुताबिक, उन्होंने हिमा को शुरुआत में 200 मीटर दौड़ की तैयारी करवाई, लेकिन बाद में उन्हें लगा कि वे 400 मीटर दौड़ में ज्यादा कामयाब रहेंगी.
हिमा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बन गई हैं. इससे पहले भारत के किसी महिला या पुरुष खिलाड़ी ने जूनियर या सीनियर, किसी भी स्तर पर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड नहीं जीता है.
असम में हिमा का परिवार उसकी इस कामयाबी पर बेहद खुश है(फोटो : ANI)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
बता दें कि रेस के 35वें सेकेंड तक हिमा ट्रैक पर बढ़त बनाए रखने वाले टॉप तीन एथलीट में भी नहीं थीं, लेकिन उसके बाद उन्होंने ऐसी जादुई रफ्तार पकड़ी कि सबको पीछे छोड़ते हुए इतिहास रच डाला. रेस के बाद जब हिमा को गोल्ड मेडल पहनाया गया और उस दौरान राष्ट्रगान बजा, तो उनकी आंखों से आंसू छलक आए. आखिरकार हिमा न सिर्फ अपने कोच के भरोसे पर खरी उतरीं, बल्कि उन्होंने देश के लिए एक नई उम्मीद भी जगा दी है... उम्मीद एथलेटिक्स में भारत में एक नए दौर के शुरुआत की.