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बीसीसीआई और लोढ़ा कमिटी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. दरअसल कोर्ट से बीसीसीआई ने लोढ़ा कमिटी की सिफारिशें लागू करने के लिए और वक्त की मांग की है. सोमवार को बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने लोढ़ा पैनल की सिफारिशों पर हलफनामा दायर किया है. हलफनामे में उन्होंने बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर को निशाने पर लिया है.
साथ ही उन्होंने इस आरोप से इनकार किया है कि उन्होंने लोढ़ा पैनल की सिफारिश में रुकावट डालने की कोशिश की. उन्होंने हलफनामे में कहा कि उन्होंने आईसीसी के सीईओ को नहीं कहा कि लोढ़ा पैनल की सीएजी मेंबर की नियुक्ति से सरकारी दखल होगा जिससे आईसीसी, बीसीसीआई को निलंबित कर सकता है.
ठाकुर ने कहा कि ये बात तब के बीसीसीआई अध्यक्ष और आईसीसी के मौजूदा चेयरमैन शशांक मनोहर ने कही थी. वो बताएं कि अब आईसीसी चेयरमैन के तौर पर उनकी क्या राय है?
कोर्ट ने पूछा कि बीसीसीआई लोढ़ा पैनल की किन-किन सिफारिशों को लागू कर चुकी है और कितने वक्त में बाकी सिफारिशों को लागू करेगी साथ ही इसका लिखित में अंडरटेकिंग कब तक देगी?
बीसीसीआई ने कहा है कि लोढ़ा सुधारों को लागू करने के लिए उसे और अधिक समय चाहिए इसके बाद कोर्ट ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमित्र गोपाल सुब्रमण्यम ने मामले में सुप्रीम कोर्ट से एक प्रशासक की नियुक्ति की गुजारिश करते हुए बीसीसीआई को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने पर उनके खिलाफ सिविल और आपराधिक अवमानना का आरोप लगाया है.
2013 में आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल के तीन खिलाड़ियों पर मैच के दौरान स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने का आरोप लगा था. दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था. तत्कालीन बीसीसीआई प्रेसिडेंट एन. श्रीनिवासन के दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स के सीईओ गुरुनाथ मयप्पन की भी गिरफ्तारी हुई थी. मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस मुकुल मुद्गल के नेतृत्व में मुद्गल कमेटी बनाई गई.
2014 में जस्टिस मुद्गल ने बीसीसीआई में सुधार की बात अपने रिपोर्ट में कही थी. सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में सुधार के लिए जनवरी 2015 में जस्टिस आर.एम. लोढ़ा की अगुआई में कमेटी बनाई थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बीसीसीआई में कई बदलावों के सुझाव दिए हैं. लोढ़ा पैनल का मानना है कि बीसीसीआई सिफारिशों को लागू नहीं करना चाहता, इसलिए पदाधिकारियों को हटा देना चाहिए.
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