advertisement
वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली को लंबे समय से चली आ रही एक परेशानी का इलाज मिल गया. इस परेशानी के इलाज ने विराट कोहली को राहत की सांस लेने का मौका दिया है. ये परेशानी थी कि टीम इंडिया के बल्लेबाजी क्रम में नंबर चार की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए. पिछले कुछ सालों में इस नंबर पर बल्लेबाजी के लिए करीब एक दर्जन खिलाड़ियों को आजमाया जा चुका था लेकिन बात बनने के बजाए और उलझती ही जा रही थी.
आखिरकार वेस्टइंडीज के खिलाफ मौजूदा सीरीज में तय हो गया है कि अब ये जिम्मेदारी अंबाती रायडू उठाएंगे. वेस्टइंडीज के खिलाफ इस सीरीज को इसी नजरिए से देखा भी जा रहा था कि इसमें विराट कोहली को टीम की कुछ पहेलियों को सुलझाना था. ये वो पहेलियां थीं जो लंबे समय से टीम इंडिया को परेशान कर रही थीं. मसलन- टीम में तीसरा तेज गेंदबाज किसे रखा जाए? टीम का दूसरा स्पिनर कौन हो? नंबर चार पर बल्लेबाजी के लिए किसे मौका दिया जाए? 2019 विश्व कप से पहले इन सभी सवालों का जवाब तलाशना जरूरी था.
वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे मैच में अंबाती रायडू ने एक बार फिर अपनी परिपक्व बल्लेबाजी का परिचय दिया. वो जब क्रीज पर आए तो हालात अच्छे नहीं थे. रोहित शर्मा और शिखर धवन आउट होकर पवेलियन लौट चुके थे. स्कोरबोर्ड पर सिर्फ 40 रन जुड़े थे. अंबाती रायडू ने कप्तान कोहली के साथ मिलकर शानदार साझेदारी की और टीम को मजबूत स्थिति में ले आए. आउट होने से पहले अंबाती रायडू ने 73 रनों की मजबूत पारी खेली.
मैच के बाद विराट कोहली ने भी कहा कि अंबाती रायडू अच्छी फॉर्म में हैं. वो अच्छी लय में हैं और ‘प्रोफेशनल’ हैं. लिहाजा नंबर चार पर बल्लेबाजी के लिए हम उन पर भरोसा कर रहे हैं. आपको बता दें कि 2019 विश्व कप तक भारतीय टीम को कुल 16 वनडे मैच खेलने को मिलेंगे. इस परेशानी का समाधान विराट कोहली के लिए कितनी राहत लेकर आया है उसे जानने के लिए ये ग्राफिक्स देखिए, जिसमें पिछले विश्व कप के बाद से लेकर वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे वनडे मैच से पहले तक नंबर चार पर बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ियों के प्रदर्शन का लेखा जोखा है.
इस लिस्ट में से कई नाम तो ऐसे हैं जो अब टीम का हिस्सा नहीं हैं. युवराज सिंह और मनोज तिवारी जैसे नाम इस रेस से बाहर हैं. इसके अलावा दिनेश कार्तिक को काफी मौके मिल चुके हैं. नंबर चार पर टीम इंडिया को ऐसा बल्लेबाज चाहिए जो मैच की स्थिति के हिसाब से बल्लेबाजी कर सके. टॉप ऑर्डर के जल्दी आउट होने की सूरत में विकेट पर टिककर वक्त बिता सके और मौका आते ही लंबे शॉट्स भी लगा सके. अंबाती रायडू ने ये विकल्प टीम मैनेजमेंट को दिया है. उन्होंने इस साल खेले गए 8 मैचों में 270 रन बनाए हैं. उनकी औसत 54 की है.
रायडू के लिए रास्ता पहले ही साफ हो जाता. मुसीबत ये थी कि वो लंबे समय तक टीम इंडिया से बाहर रहे. जिसकी वजह ये थी कि वो इंडियन क्रिकेट लीग का हिस्सा थे. उन्हें बैन कर दिया गया था. बैन होने से पहले घरेलू क्रिकेट में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन बैन लगने के बाद वो एक तरह से ‘ब्लैकलिस्ट’ थे. ये बैन 2009 में हटा और उन्होंने घरेलू क्रिकेट में वापसी की. 2012 में टीम इंडिया में चुने गए और उन्होंने अपनी जगह बनाई. उनकी चर्चा पिछले सीजन के आईपीएल से शुरू हुई जहां उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था. अब वो टीम इंडिया के लिए एक अहम खिलाड़ी बनकर उबरे हैं, जिसके वो हकदार भी हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)