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रविवार को होने वाले आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल के लिए भारतीय टीम एक फेवरेट टीम है. अपने प्रतिद्वंद्वियों से मीलों आगे और दोगुना बेहतर टीम. आंकड़ों के हिसाब से देखें तो भारत और पाकिस्तान का मुकाबला ऐसा है जैसे मोहम्मद अली का मुकाबला मुकरी से. लेकिन भारत को ख्याल रखना होगा.
आप कभी नहीं बता सकते कि बॉल किधर जाएगी.
भारत ने सेमीफाइनल में ‘कंप्लीट गेम’ (बांग्लादेश पर 9 विकेट की जीत पर विराट कोहली का दावा) दिखाया. और राख से उठ खड़ी हुई पाकिस्तानी टीम ने भी अंतिम चार की लड़ाई में इंग्लैंड को हक्का-बक्का कर दिया.
आम समझ कहती है कि ख्याति नहीं, बल्कि उस ‘दिन का फॉर्म’ मायने रखता है. अतीत बेमानी है. टॉस के साथ टीम नए सिरे से शून्य से शुरुआत करती है और अंतिम नतीजे के बारे में कोई अंदाजा नहीं होता. इस हालत में, बेहतर है कि नतीजे को लेकर कोई अंदाजा ना लगाया जाए- सिर्फ सबसे अच्छे की आशा कीजिए, और सबसे बुरे के लिए तैयार रहिए.
इस टूर्नामेंट ने नतीजों में लगातार उतार-चढ़ाव देखे हैं. एक्सपर्ट बार-बार गलत साबित हुए- किसने सोचा था कि ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका अंतिम चार में नहीं होंगे, और बांग्लादेश होगा?
इंग्लैंड के साथ जबरदस्त समर्थन था, उसे पाकिस्तान ने निपटा दिया.
ऐसे अनगिनत ‘झटकों’ के साथ क्या वाकई रविवार के नतीजों को लेकर कोई दावा करना ठीक होगा?
भारत की तुलना में, पाकिस्तानी टीम सहज स्थिति में है. आरामदायक स्थिति वाली- और सबकी फेवरेट- भारतीय टीम को लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि यह रविवार को पाकिस्तान को पराजित कर देगी, जैसे इसने बांग्लादेश और साउथ अफ्रीका को हरा दिया था.
पाकिस्तानी टीम कमजोर हालत में होने के बाद भी गंभीर खतरा है, क्योंकि इसके बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. यह किसी तयशुदा तरीके से नहीं खेलती और हर एक को, जिसमें वो खुद भी शामिल हैं- अचंभा और झटका दे सकती है.
पीसीबी के एक अधिकारी ने टीम के चैंपिंयस ट्रॉफी में खेल पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यकीन ही नहीं होता, ये टीम कुछ भी कर सकती है!’
टीम अच्छी बैटिंग के मोर्चे पर कमजोर दिखती है, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ टॉप ऑर्डर के खिलाड़ियों ने अच्छा खेल दिखाया.
हालांकि, पाकिस्तानी टीम भरोसेमंद नहीं है और ऑलराउंडरों की कमी है, लेकिन नई बॉल के साथ इसे स्वाभाविक ताकत हासिल है. आमिर, जुनैद और हसन अली अपनी बॉलिंग के पेस और आक्रामकता से प्रतिद्वंद्वी टीम के बल्लेबाजों के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं. अगर इन्होंने भारतीय टीम को शुरुआत में उलझा दिया और मिडिल ऑर्डर पर हमले में कामयाब रहे, तो रविवार को असली मुकाबला देखने को मिलेगा.
कई बार एक चलन की तरह कह दिया जाता है कि भारत-पाकिस्तान का मैच ‘किसी भी दूसरे खेल’ की तरह एक ही खेल ही है, जो बैट और बॉल से खेला जाता है. लेकिन हकीकत हम बेहतर जानते हैं. जाहिर तौर पर यह बयान एडवांस डैमेज कंट्रोल है.
दोनों टीमें दिमाग को ठंडा रखने के लिए मैच के महत्व कम करने की कोशिश करती हैं, जिससे कि बाजी पलट जाने की हालत में आलोचनाओं का सामना किया जा सके. लेकिन इन तरकीबों से कोई भुलावे में नहीं आता. भारत-पाकिस्तान का मैच कभी भी सिर्फ एक खेल नहीं होता.
भारत बनाम पाकिस्तान के हाई प्रोफाइल मैच में कौशल/फॉर्म/क्षमता से आगे जो चीज काम आती है, वह है दबाव में टिके रहना. दोनों देशों के बीच मैच के दौरान पवेलियन में बहुत ज्यादा शोर गूंज रहा होता है.
इस कहानी में सिर्फ कोहली और सरफराज नहीं खेल रहे होते- दूसरे कारक भी होते हैं. रविवार के नतीजे वो शख्स और वो टीम तय करेगी, जो खुल कर खेलेगी और जज्बे पर नियंत्रण रखेगी.
यह मौका- फाइनल है और इसके साथ खेल खत्म हो जाएगा- मुकाबले में एक और आयाम जोड़ता है. भारत और पाकिस्तान लंबे समय से किसी बड़े फाइनल में नहीं खेले हैं पक्का है कि ये मैच ब्लॉकबस्टर आयोजन होने जा रहा है.
वास्तव में यह पहला आईसीसी 50 ओवर का फाइनल मैच है, जिसमें दोनों टीमें आमने-सामने हैं। दो परंपरागत प्रतिद्वंद्वी, खुले मौसम में दोनों को ही सिर्फ जीत के लिए आमादा भीड़ के सामने खुद को साबित करना है. मंच सज चुका है. भारत को बढ़त हासिल है, लेकिन इसे पाकिस्तान से खबरदार रहना होगा.
(अमृत माथुर वरिष्ठ पत्रकार हैं, बीसीसीआई के जनरल मैनेजर भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर रह चुके हैं. उनसे @AmritMathur1 पर संपर्क किया जा सकता है)
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