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रविवार, 24 दिसंबर को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) की नवनिर्वाचित संस्था को निलंबित करने के बाद, खेल मंत्रालय ने महासंघ के मामलों के प्रबंधन और नियंत्रण के लिए भारतीय ओलंपिक संघ से एड-हॉक कमेटी गठित करने की गुजारिश की है. रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने IOA अध्यक्ष को यह सुनिश्चित करने के लिए पत्र लिखा है कि WFI के मामलों को भारत के राष्ट्रीय खेल विकास संहिता-2011 में NSF की परिभाषित भूमिका के अनुसार नियंत्रित किया जाए, जिसमें एथलीटों का चयन, भागीदारी के लिए प्रविष्टियां, अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में खिलाड़ियों की भागीदारी, खेल गतिविधियों आदि का आयोजन शामिल हैं.
मंत्रालय ने आगे कहा कि कुश्ती एक ओलंपिक खेल है और WFI भारतीय ओलंपिक संघ का एक संबद्ध सदस्य है और WFI के पूर्व पदाधिकारियों के प्रभाव और नियंत्रण से उत्पन्न मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, शासन के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं.
गुरुवार को WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को संगठन का नया प्रमुख चुना गया था. इस फैसले के बाद भारतीय पहलवानों विरोध किया था और साक्षी मलिक ने फैसले के बाद ही पहलवानी सन्यास लेने का ऐलान कर दिया था. इसके एक बाद पहलवान बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया.
बता दें कि बृजभूषण सिंह की नियुक्ति का पहलवान विनेश फोगट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने विरोध किया था. पिछले दिनों पूर्व WFI चीफ के खिलाफ पहलवानों ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया था और यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
केंद्रीय खेल मंत्रालय की ओर से भारतीय कुश्ती महासंघ की नवनिर्वाचित संस्था को निलंबित करने के बाद, डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह ने कहा कि मैंने पहलवानों के लिए 12 साल काम किया है. समय बताएगा कि क्या मैंने न्याय किया है. ब फैसले और सरकार के साथ बातचीत महासंघ के निर्वाचित लोगों द्वारा की जाएगी.
नंदिनी नगर में खेल करवाने का फैसला आननफानन में लिया गया क्योंकि खिलाड़ियों को साल बर्बाद न हो. सारे फेडरेशन ने हाथ खड़े कर दिए थे. तब नंदिनी नगर में ये फैसला लिया गया. इसके लिए 25 फेडरेशन ने लिखित और मौखिक सहमति दी.
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