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पुणे टेस्ट में टीम इंडिया के पहली पारी में सिर्फ 105 रनों पर ऑलआउट होने के बाद से हर किसी को लग रहा है कि यहां से भारतीय टीम कैसे वापसी करेगी?.... पुणे की टर्न से भरी पिच पर पहली पारी में ही 155 रनों से पिछड़ने के बाद टीम इंडिया के लिए हालात बेहद नाजुक हैं.
लेकिन कहते हैं न कि “हार कर भी जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं”
जी हां, हिम्मत मत हारिए! कोहली की ये सेना अब भी इस मैच में धमाकेदार वापसी कर जीत हासिल कर सकती है. ऐसा हम नहीं पुराने आंकड़े कहते हैं. इतिहास को देखें को पुणे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया की जीत के पूरे पूरे योग बन रहे हैं. पहली पारी में 95 रनों के स्कोर पर जब आर अश्विन के रूप में टीम इंडिया का 7वां विकेट गिरा तो तभी टीम इंडिया की जीत की संभावनाएं बन गई थीं.
इस बार भी टीम इंडिया के सामने ऑस्ट्रेलिया है तो हम उम्मीद कर सकते हैं कि इतिहास दोहराया जाए और टीम इंडिया पुणे में जीत हासिल कर ले.
भारतीय क्रिकेट की सबसे महान जीत और देश में टेस्ट क्रिकेट की दिशा और दशा बदल देने वाले कोलकाता टेस्ट में भी टीम इंडिया 100 रन से पहले 7 विकेट खो गई थी. पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया के 445 रनों के जवाब में सौरव गांगुली की टीम सिर्फ 171 रनों पर सिमट गई थी. उस मैच की पहली पारी में टीम इंडिया के शुरुआती 7 विकेट सिर्फ 97 रन पर गिर गए थे. लेकिन उसके बाद दूसरी पारी में वीवीएस लक्ष्मण की ‘वेरी-वेरी स्पेशल’ 281 रनों की पारी और ‘द वॉल’ राहुल द्रविड़ के बेशकीमती 180 रनों की बदौलत टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को शानदार पटखनी दी थी.
2004/05 की 4 मैचों की टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2-0 से सीरीज हार चुकी थी. अपने घर में अपनी लाज बचाने के लिए मुंबई टेस्ट हर हाल में जीतना था लेकिन वहां भी पहली पारी में टीम इंडिया सिर्फ 104 रनों पर ऑलआउट हो गई. यहां भी भारत के 7 विकेट सिर्फ 68 रनों पर गिर गए थे.
इसके बाद हरभजन सिंह और मुरली कार्तिक की जोड़ी ने कमाल किया. आखिरी पारी में कंगारुओं को 107 रनों की चुनौती देने के बाद भारत ने उन्हें सिर्फ 93 रनों पर ऑलआउट कर दिया.
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