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भारतीय क्रिकेट के लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर 10 जुलाई 2019 को अपना 70वां जन्मदिन मना रहे हैं. दुनिया भर से क्रिकेटर्स और बड़ी हस्तियां उन्हें शुभकामनाएं दे रही हैं. क्रिकेट इतिहास में सबसे पहले 10 हजार रन का आंकड़ा छूने वाले गावस्कर को इस खेल के चुनिंदा सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में गिना जाता है. आज भी जब कोई संस्था या खिलाड़ी अपनी ऑल टाइम प्लेइंग-XI चुनता है तो गावस्कर को नहीं भूलता. छोटे से कद के गावस्कर ने वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के लंबे-लंबे तेज गेंदबाजों की गेंदों को मैदान के चारों ओर बाउंड्री पार भेजा है इसलिए अपने जमाने में उन्हें ‘क्रिकेट का नेपोलियन’ भी कहा जाता था.
सुनील गावस्कर के आंकड़े और उनके खेल के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं क्रिकेट से हटकर उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें...
भारतीय क्रिकेट टीम को सुनील गावस्कर कभी नहीं मिलते अगर उनके अंकल उनके जन्म के वक्त अस्पताल में मौजूद न होते. दरअसल जिस दिन सुनील पैदा हुए उनके अंकल ने उनके बाएं कान के पीछे जो तिल था उसे देखा था लेकिन अगले दिन उन्हें बच्चे के कान के पीछे तिल नहीं दिखा. जिसके बाद उन्होंने अस्पताल के कर्मचारियों को ये बात बताई तो सुनील गावस्कर एक मछुआरन की बगल में सोते हुए मिले थे.
अपने परिवार से सिर्फ गावस्कर ही क्रिकेटर नहीं हुए हैं. उनके मामा माधव मंत्री भी भारत के लिए 4 टेस्ट मैच खेल चुके थे. उनके बेटे रोहन गावस्कर ने भारत के लिए 11 वनडे मैच खेले. गुंडप्पा विश्वनाथ, जो भारतीय टीम के खेल चुके हैं वो गावस्कर के जीजा है. गावस्कर की बहन नूतन भी मुंबई के पहले महिला क्रिकेट क्लब अलबीस क्रिकेट क्लब के लिए खेल चुकी हैं.
गावस्कर बचपन में एक रेसलर बनना चाहते थे. वो महान पहलवान मारुति वदर के बहुत बड़े फैन थे. क्रिकेट की प्रति उनकी रुचि अपने मामा माधव मंत्री को खेलता देखने के बाद बढ़ी.
गावस्कर ने 1968/69 में कर्नाटक के खिलाफ अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया और वो पहले ही मैच में शून्य पर आउट हो गए.
सुनील गावस्कर अपनी जिंदगी में किसी तेज गेंदबाज से नहीं डरे लेकिन इस महान बल्लेबाज को कुत्ते से बहुत डर लगता था. इंग्लैंड के महान ऑलराउंडर इयन बॉथम ने एक बार गावस्कर को बहुत देर तक फोनबूथ के अंदर खड़ा करके रखा था. दरअसल बॉथम फोनबूथ के बाहर एक बड़े कुत्ते के साथ खड़े हो गए. गावस्कर ने बॉथम ने बहुत विनती की और तभी वो वहां से बाहर निकल पाए.
गावस्कर ने एक मराठी फिल्म ‘साव्ली प्रेमाची’ में लीड रोल किया था. साथ ही नसीरुद्दीन शाह के साथ 1988 में आई फिल्म ‘मालामाल’ में भी वो नजर आए थे. इसके अलावा लिटिल मास्टर ने क्रिकेट मैच और जिंदगी के बीच समानताएं दिखता हुआ गाना ‘या दुनियामध्ये थांबायला वेल कोनाला’ मराठी में गाया था.
गावस्कर वेस्टइंडीज के क्रिकेटर रोहन कन्हई के बहुत बड़े फैन थे इसलिए उन्होंने अपने इकलौते बेटे का नाम रोहन गावस्कर रख दिया.
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