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पहलवान योगेश्वर दत्त के लिए रियो ओलंपिक एक बुरा सपना जैसा हो सकता है, लेकिन वहां से घर वापसी के महज एक सप्ताह बाद ही रजत पदक जीत लेना किसी सपने के साकार होने से कम नहीं है.
असल में हुआ यह कि रूसी पहलवान बेसिक कुदुखोव, जिन्होंने 2012 के लंदन ओलंपिक में 60 किग्रा फ्रीस्टाइल स्पर्धा में रजत पदक जीता था, वे डोप टेस्ट में फेल हो गए. इसलिए जो कांस्य पदक योगेश्वर ने मुकाबले में कुदुखोव से हारने के बाद हासिल किया था, वो अब अपग्रेड होकर रजत पदक में तब्दील हो गया है. इससे पहले भारत ने रेपेचेज राउंड के माध्यम से कांस्य पदक जीता था.
लेकिन कुदुखोव पर प्रतिबंध लगाने में चार साल का समय क्यों लगा ? क्या पहले कभी किसी ओलंपियन का पदक अपग्रेड हुआ है?
हम आपको बता रहे हैं, अचानक रजत पदक जीतने वाले पहलवान योगेश्वर दत्त से जुड़े इस मसले के बारे में 9 अहम बातें..
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने लंदन ओलंपिक खेलों के दौरान लिए गए रूसी खिलाड़ियों के सेंपल का जब दोबारा टेस्ट किया, तो 2008 के कांस्य पदक विजेता और चार बार के वर्ल्ड चैंपियन बेसिक कुदुखोव का डोप टेस्ट पॉजिटिव आया.
एथलीटों के सेंपल को 10 सालों तक स्टोर करके रखना सामान्य प्रकिया है, जिससे इस एडवांस टेस्ट के माध्यम से गड़बड़ी करने वालों को पकड़ा जा सकता है.
आईओसी ने कई एथलीटों के नमूने का दोबारा टेस्ट किया. कुदुखोव के साथ उज्बेकिस्तान के आर्तर तेमाजोव भी शामिल हैं, जिन्होंने 2008 के ओलिंपिक खेलों में 120 किलोवर्ग में स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन डोप के दोबारा टेस्ट में नाकाम रहे थे.
री जोंग म्यॉन्ग, जो कांस्य पदक के मुकाबले में योगेश्वर से हार गए थे, अब कांस्य पदक के हकदार हैं.
जोंग म्यॉन्ग, जिन्होंने अपने कैरियर में सिर्फ एक ओलंपिक 2012 में शिरकत की है, अब अपनी जीत का जश्न मना सकते है.
एथलीट का खेलों में अयोग्य घोषित होने पर ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी खिलाड़ी के ओलंपिक पदक को अपग्रेड कर दिया गया हो.
स्वीडन के हांस-गुन्नार लिलजेनवॉल पहले एथलीट थे, जो डोप टेस्ट में नाकाम होने के बाद अयोग्य घोषित हुए थे. इस एथलीट ने तीन ओलंपिक खेलों (1964, 1968 और 1972) में भाग लिया था. 1972 में मेक्सिको सिटी खेलों में कांस्य पदक जीता था.
योगेश्वर क्वालिफाइंग राउंड हारे और रियो से भी बाहर
पहलवान योगेश्वर दत्त को जब अपने कांस्य पदक के अपग्रेड होने के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने अपना रजत पदक देशवासियों को समर्पित कर दिया.
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने 2008 ओलंपिक खेलों से ही एथलीटों के नमूने जमा कर रखे हैं. आईओसी चार बार नमूनों का टेस्ट करता है, ताकि सभी तरह के नमूनों को कवर किया जा सके.
पहले दो राउंड के बाद, 2008 और 2012 ओलंपिक खेलों में 98 पदक विजेता डोप के दोबार टेस्ट में असफल रहे थे. उन 98 में से 22 एथलीट रशियन थे.
भारत के पहलवान नरसिंह यादव भी डोप परीक्षण में विफल रहे थे. नरसिंह ने दावा किया था कि जब वह सोनीपत केंद्र छात्रावास में रह रहे थे, तो उनके प्रतिद्वंद्वियों में से किसी ने उनके भोजन में कुछ मिला दिया था.
लेकिन कुदुखोव अपना बचाव नहीं कर सकते, क्योंकि 2013 में हुई एक कार दुर्घटना में दुर्भाग्य से उनकी मौत हो गई.
ओलंपिक खेलों में पदक अपग्रेड होने की एक लम्बी प्रकिया है. अगर खिलाड़ी डोपिंग करते हुए पकड़े जाते हैं, तो खिलाड़ी से जीता हुआ पदक वापस ले लिया जाता है और उसी खेल में दूसरे विजेता को पदक दे दिया जाता है.
लेकिन ओलंपिक के रेकॉर्ड में यह बदलाव करने में कई साल का समय लग जाता है.
फ्रांसीसी अधिकारियों ने लांस आर्मस्ट्रांग के नमूनों का दोबारा टेस्ट 1999 में किया था और 2012 में संयुक्त राज्य अमेरिका के डोपिंग रोधी एजेंसी को डाटा जमा कर दिया था.
आर्मस्ट्रांग का 6 बार का नमूना टेस्ट के दौरान पॉजिटिव पाया गया. उन्होंने ‘एरिथ्रोपिटिन’ नाम की दवा ली थी. इसके बाद आर्मस्ट्रांग पर आजीवन बैन लगा दिया था.
आर्मस्ट्रांग को भी ओलंपिक 2000 में जीता अपना कांस्य पदक लौटाना पड़ा था.
उसेन बोल्ट ने रियो ओलंपिक में लगातार तीसरी बार 100 मीटर, 200 मीटर और 4x100 मीटर में स्वर्ण पदक जीता.
लेकिन 2008 के ओलंपिक खेलों में 4x100 मीटर रिले स्पर्धा में बोल्ट की टीम के खिलाड़ी नेस्टा कार्टर का जब दोबारा डोप टेस्ट किया गया था, तो ‘ए’ सैंपल पॉजिटिव पाया गया. अगर कार्टर का ‘बी’ सैंपल भी पॉजिटिव पाया जाता है, तो जमैका की टीम का गोल्ड मेडल खतरे में पड़ जाएगा.
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