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ज्यादातर क्रिकेट फैंस इस बात को जानते हैं कि कई बल्लेबाज क्रीज पर बल्लेबाजी करते वक्त तनाव से बचने के लिए गाना गाते हैं. दुनिया के सबसे खतरनाक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग भी ऐसा ही करते थे. यहां तक कि वीरेंद्र सहवाग ने जब वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाया तब भी गाना गा रहे थे लेकिन क्या आप जानते हैं कि सहवाग का पसंदीदा गायक कौन है? वो कौन से गाने हैं जो सहवाग अक्सर गुनगुनाया करते थे? गाने गुनगुनाने के पीछे क्या था उनका लॉजिक?
वीरेंद्र सहवाग पूरी दुनिया में अपनी तरह के इकलौते बल्लेबाज हैं. वो बड़े खुले दिल से कहते हैं कि क्रिकेट के खेल में गेंद का काम है बाउंड्री के पार जाना और बल्लेबाज का काम है गेंद को बाउंड्री के पार भेजना. सहवाग अपने करियर के शुरूआती दिनों में मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज हुआ करते थे, बाद में उन्हें पारी की शुरूआत करने का जिम्मा दिया गया. नई गेंद के खिलाफ पैर जमाने में हर किसी को डर लगता था.
मजे की बात ये भी है कि जब दुनिया के एक से एक तुर्रम गेंदबाज सहवाग के खिलाफ रणनीति बना रहे होते थे तब सहवाग दरअसल गाना गाते रहते थे. गाना गाते गाते ही वो कमाल करते रहते थे. मसलन- 2011 विश्व कप के शुरूआती मैचों में सहवाग ने हर मैच की पहली गेंद पर चौका मारा था.
वैसे वीरेंद्र सहवाग गाना गाते भी बहुत अच्छा हैं. इस बारे में मुझे पहली बार पाकिस्तान में पता चला था. हुआ यूं कि भारतीय टीम के कुछ खिलाड़ी खायबर पास गए थे. खिलाड़ियों के साथ पत्रकारों को जाने की ‘इजाजत’ नहीं थी, फिर भी मीडिया ने टीम इंडिया के मीडिया मैनेजर पर इस बात का दबाव बनाया कि वो हमें वहां की थोड़ी फुटेज मुहैया करा दें. मैनेजर मान गए और हमें करीब तीन मिनट की ‘फुटेज’ मिल गई. उस ‘फुटेज’ की शुरूआत में जो बात सबसे पहले ‘रजिस्टर’ होती थी, वो थी किशोर कुमार का गाना- जीवन के दिन छोटे सही, हम भी बड़े दिलवाले, कल की हमें फुर्सत कहां सोचें जो हम मतवाले. सहवाग ये गाना शानदार अंदाज में गा रहे थे. अगले दिन देश के सभी टीवी चैनलों में सहवाग को गाना गाते पूरे देश ने सुना था.
वीरू चूंकि एक-दो रन में ज्यादा भरोसा करते नहीं इसलिए ज्यादातर शॉट्स खेलने के बाद उनके मुंह से तुरंत निकलता है- बाउंड्री. श्रीलंका में एक बार ऐसे ही नेट्स पर खड़े-खड़े मैं वीरू को कैमरे में कैद कर रहा था, अचानक वीरू गुनगुनाने लगे- ससुराल गेंदा फूल.
चलिए अब आपको बताते हैं गाना गाने के पीछे की सहवाग की ‘थ्योरी’. सहवाग बताते हैं कि कई बार बल्लेबाजी करते वक्त दिमाग में ‘निगेटिव’ सोच आ रही होती है. एक ‘निगेटिव’ सोच आपको आउट करा सकती है. ऐसे में सहवाग गाना गाने लगते थे. उनका कहना है कि गाना गाने के लिए आपको उस गाने की ‘लिरिक्स’ पता होने चाहिए, गाने की धुन पता होनी चाहिए. जब आप गाने के बारे में इतना कुछ सोचने लगेंगे तो ‘निगेटिव’ सोच के लिए जगह ही कहां रह जाएगी. यहां तक कि वीरेंद्र सहवाग ने जब वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाया तो भी वो गाने ही गा रहे थे. ये बात विकेट के दूसरे छोर पर मौजूद सुरेश रैना ने बाद में बताई थी. किशोर कुमार सहवाग के पसंदीदा गायक हैं. ‘चला जाता हूं किसी की धुन में मैं अपने दिल के तराने लिए’ गाना गाते गाते उन्होंने दोहरा शतक बना लिया.
सहवाग की गायकी का एक और किस्सा है. मैं उन दिनों में जी न्यूज में नौकरी करता था. हमने अपने शो के लिए सहवाग को स्टूडियो बुलाया था. सहवाग उन दिनों नजफगढ़ में रहते थे. वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल चुके थे, लेकिन काफी समय से टीम से बाहर थे. ये संयोग की बात थी कि सहवाग जिस दिन जी न्यूज के स्टूडियो आए थे, उसी दिन भारतीय टीम का ऐलान होना था. सहवाग अभी लंबी दूरी तय करके आने के बाद पानी ही पी रहे थे कि पता चला कि सहवाग को उस दौरे के लिए टीम में जगह मिल गई है. सहवाग के लिए खुशी का ठिकाना नहीं था. हम लोगों के लिए भी सहवाग का स्टूडियो में पहले से मौजूद होना पकी पकाई खबर की तरह था. सहवाग से लंबे समय तक इंटरव्यू किया गया. उस इंटरव्यू में सहवाग की पसंद नापसंद से लेकर तमाम ऐसे सवाल पूछे गए जिसका जवाब अब शायद ही कोई क्रिकेटर आसानी से देगा लेकिन सहवाग अपनी साफगोई से हर सवाल का जवाब देते चले गए. बाद में सहवाग से न्यूज एंकर ने गुजारिश की कि वो चलते चलते एक गाना गुनगुना दें- उस रोज सहवाग ने गाया था- मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है. बाद में कई साल तक जब सहवाग और गौतम गंभीर भारतीय पारी की शुरूआत करते थे तो उनकी जोड़ी गाने गुनगुनाने के लिए इतनी मशहूर हो गई थी कि लोग उन्हें जय वीरू की जोड़ी के नाम से पुकारते थे.
( ‘क्रिकेट के अनसुने किस्से’’ खेल पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह की नई किताब है. इस किताब में उन्होंने क्रिकेट और क्रिकेटर्स के 50 दिलचस्प और चटपटे किस्सों को लिखा है. किताब पेंगुइन प्रकाशन से आई है )
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