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लिमिटेड ओवर क्रिकेट में इस सदी में भारत के सबसे बड़े मैच विनर रहे युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया. मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस में अपने परिवार और दोस्तों की मौजूदगी में युवराज ने संन्यास का ऐलान किया.
भारत के सबसे स्टाइलिश बल्लेबाजों में से एक बाएं हाथ के युवराज के संन्यास के ऐलान से पहले उन पर एक वीडियो चलाया गया, जिसमें वो अपने पिता योगराज सिंह और मां शबनम सिंह के साथ बातें कर रहे थे और अपने पुराने दिनों को याद कर रहे थे.
युवराज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा युवराज अब इंडियन प्रीमियर लीग में भी नहीं दिखेंगे. हालांकि युवराज ने आईसीसी से अप्रूव्ड विदेशों में टी20 लीग में खेलने की इच्छा जताई है.
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान युवराज ने कहा कि उन्हें इस खेल ने सब कुछ दिया और इसके लिए वो अपने परिवार, दोस्तों और फैंस का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं, जो हर हालात में उनके साथ थे.
2011 में भारत की वर्ल्ड कप जीत के हीरो रहे युवराज ने कहा कि क्रिकेट खेलकर उन्होंने अपने पिता के सपने को पूरा किया. इसके साथ ही वर्ल्ड कप जीतना उनके लिए किसी सपने जैसा था.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2000 में नैरोबी में नेटवेस्ट ट्रॉफी से अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले युवराज ने 19 साल के अपने करियर में 402 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और 11778 रन बनाए.
युवराज का टेस्ट करियर कभी भी ऊंचाईयों पर नहीं पहुंच पाया और वो सिर्फ 40 टेस्ट खेल पाए. युवराज ने कहा भी कि उन्हें अपने करियर में सिर्फ टेस्ट क्रिकेट ज्यादा नहीं खेल पाने का अफसोस रहेगा.
रिटायरमेंट को लेकर युवराज ने सचिन तेंदुलकर से भी बात की थी. इस साल IPL में मुंबई इंडियंस के लिए सिर्फ 4 ही मैच खेले थे और ज्यादा सफल नहीं हो पाए.
वर्ल्ड कप 2011 के मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे युवराज सिंह को 2012 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया और 2014 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया.
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