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सावधान! कहीं आप अनजाने में साइबर स्टॉकिंग का शिकार तो नहीं हो रहे?

उत्सुकता की वजह से की गई एक छोटी सी गलती आपके लिए भारी पड़ सकती है.

शौभिक पालित
टेक और ऑटो
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उत्सुकतावश की गई एक छोटी सी गलती आपके लिए भारी पड़ सकती है.
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उत्सुकतावश की गई एक छोटी सी गलती आपके लिए भारी पड़ सकती है.
(फोटो: iStock)

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क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जो सोशल मीडिया में किसी भी अनजान शख्स के भेजे हुए लिंक पर बिना सोचे-समझे क्लिक कर देते हैं? अगर आपका जवाब 'हां' है, तो सावधान हो जाइए. ऐसा करके आप खुद को 'साइबर स्टॉकिंग' का शिकार बना सकते हैं.

इस काम में माहिर लोग आपके ईमेल, वॉट्सऐप या फेसबुक मैसेंजर पर लिंक भेजकर आसानी से आपकी लोकेशन का पता लगाकर आपको कई तरह से परेशान कर सकते हैं. उत्सुकता की वजह से की गई एक छोटी सी गलती भारी पड़ सकती है.

किसी को बिना बताए उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर निगरानी रखने या उसके बारे में जानकारी जुटाने को 'साइबर स्टॉकिंग' कहा जाता है. कई लोग आसानी से इसके शिकार बन जाते हैं, खासतौर पर महिलाएं. अमूमन साइबर स्टॉकिंग के बारे में लोगों की कम जानकारी होना इसकी बड़ी वजह है. आजकल ऐसे मामलों में काफी इजाफा हुआ है.

ऐसे बिछाया जाता है 'जाल'

सबसे पहले स्टॉकर आपको किसी अनजान आईडी या नंबर से एक मेसेज भेजता है. मैसेज में एक लिंक दिया हुआ होता है. लिंक के साथ भेजे गए मैसेज में आपको उस लिंक पर क्लिक करने को उकसाने के लिए कुछ लुभावनी बातें भी लिखी हुई मिलेंगी.

मिसाल के तौर पर मैसेज भेजने वाला शख्स किसी मजेदार या अनोखी घटना, नई सरकारी स्कीम्स या फिर किसी बॉलीवुड सिलेब्रिटी के नाम पर लोगों को क्लिक करने के लिए उकसाएगा. इस लिंक पर क्लिक करने पर आपको कोई भी मजेदार फोटो, वीडियो या फिर कोई न्यूज क्लिप दिखाई जाती है.

मैसेज भेजने वाला शख्स लोगों को लिंक पर क्लिक करने के लिए उकसाता है(प्रतीकात्मक फोटो: Pixabay)
ऐसे मैसेज रिसीव करने पर कई लोग उसे नजरअंदाज कर देते हैं, तो कई लोग इन्हें बिना देखे ही डिलीट कर देते हैं. लेकिन कई लोग उत्सुकतावश भेजे गए लिंक पर क्लिक कर देते हैं. दरअसल यूजर ये अंदाजा ही नहीं लगा पाता कि महज एक लिंक पर क्लिक करने से स्टॉकर के पास उसकी लोकेशन शेयर हो सकती है.  
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ऐसे लोकेशन ट्रेस करता है स्टॉकर

स्टॉक करने वाला शख्स आपको भेजे गए मल्‍टीमीडिया फाइल के URL का एक मास्क्ड लिंक बनाता है. यह लिंक IP लॉगर के जरिए बनाया जाता है. इंटरनेट पर कई IP लॉगर वेबसाइट, ऑनलाइन सॉफ्टवेयर और ऐप मौजूद हैं. गूगल सर्च करके आप इनके बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं. मास्क्ड लिंक बनाने के बाद स्टॉकर वह लिंक आपके ईमेल, फेसबुक मैसेंजर या वॉट्सऐप पर भेजता है.

जैसे ही आप उस लिंक पर क्लिक करते हैं, आपका IP एड्रेस स्टॉकर के पास पहुंच जाता है. इसके बाद स्टॉकर किसी IP ट्रैकर की मदद से आपकी मौजूदा लोकेशन का पता लगा लेता है. अगर उसका मकसद आपको नुकसान पहुंचाना है, तो लोकेशन शेयर होना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

IP लॉगर के जरिए मल्टिमीडिया फाइल के URL का एक मास्कड लिंक बनाया जाता है( प्रतीकात्मक फोटो: Pixabay)

ऐसे करें लिंक की पड़ताल

वैसे समझदारी और भलाई इसी में है कि ऐसे किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न किया जाए. लेकिन अगर फिर भी आप भेजे गए उस लिंक को क्लिक किये बिना उसकी सच्चाई, प्रमाणिकता या ओरिजनल लिंक के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप www.getlinkinfo.com या ऐसी ही किसी दूसरी वेबसाइट की मदद ले सकते हैं. सतर्क रहें, सुरक्षित रहें.

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