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अगर आपके पास एक पेट्रोल कार है जो 15 साल से ज्यादा पुरानी है, या डीजल कार जो 10 साल से ज्यादा पुरानी है, तो तो इन गाड़ियों पर बैन लगने की चिंता से आपको थोड़ी राहत मिल सकती है. सरकारी थिंक टैंक नीती अयोग ने पुराने वाहनों के लिए एक भारी-भरकम री-रजिस्ट्रेशन फीस की शुरुआत करने का प्रस्ताव दिया है. आयोग की ओर से पहले सुझाए गए अनिवार्य पॉलिसी को खत्म कर दिया गया है, जिसमें पुरानी गाड़ियों पर बैन लगाने की बात कही गई थी.
CNBC-TV18 ने एक सूत्र के हवाले से रिपोर्ट दी है, जिसके मुताबिक, थिंक टैंक ने 'नीति आयोग नेशनल मिशन फॉर ट्रांसफॉर्मेटिव मोबिलिटी' के तहत विभिन्न मंत्रालयों के साथ कई दौर की बातचीत की है.
पुरानी गाड़ियों को कबाड़ में जाने देने की उनका इस्तेमाल जारी रखने की इजाजत तो आयोग ने दे दी, लेकिन इसके बदले एक भारी-भरकम री-रजिस्ट्रेशन फीस का प्रस्ताव दिया है. इस कदम से पुरानी गाड़ियों के मालिक निराश जरूर होंगे, लेकिन वे अपनी गाडी सड़कों पर दौड़ा सकेंगे. यह प्रस्ताव लंबी अवधि में आपके वाहन के स्वामित्व को कैसे प्रभावित कर सकता है, इसे ऐसे समझिए-
रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग वाहन के दोबारा रजिस्ट्रेशन के लिए दो से तीन गुना रजिस्ट्रेशन फीस लेने पर विचार कर रहा है. पैसेंजर कारों से लेकर कमर्शियल कारों तक ये फीस 15,000 रुपये से लेकर 35,000 रुपये तक अलग-अलग हो सकती है.
इसलिए, केवल उन्हीं गाड़ियों के मालिक, जिन्होंने वाकई अपने वाहनों का मेंटेनेंस अच्छा बनाए रखा है या फिर निजी कारणों से अपनी पुरानी गाड़ियों का इस्तेमाल जारी रखना चाहते हैं, हर छह महीने में फिटनेस टेस्ट पास करने और भारी रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करने की परेशानी उठाएंगे.
अभी तक स्क्रैपिंग पॉलिसी नहीं बनी है. दिल्ली में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल गाड़ियों और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल गाड़ियों पर बैन लगा दिया गया है. यहां आरटीओ इस श्रेणी के वाहनों को नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी नहीं कर रहे हैं. इससे इन गाड़ियों के मालिकों के पास अपनी गाड़ियों को छोड़ देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है.
हालांकि यह अभी भी एक प्रस्ताव है, इसके कानून बनने की संभावना कम है. मंजूरी मिलने से पहले अभी भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से निपटना है, क्योंकि यह वह निकाय है जिसने पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया था.
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