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टेस्टिंग फेज में है कोरोनावायरस ट्रैकर ऐप, जल्द लॉन्च करेगी सरकार

लोकेशन के जरिए काम करेगा ऐप

एस आदित्य
गैजेट
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लोकेशन के जरिए काम करेगा ऐप
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लोकेशन के जरिए काम करेगा ऐप
(फोटो: क्विंट हिंदी) 

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देश में COVID-19 के कंफर्म केस 700 होने वाले हैं. रोजाना बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार जमीनी स्तर पर लगातार काम कर रही है, ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि चीजें नियंत्रण से बाहर न जाएं. देश में वायरस से प्रभावित सभी लोगों तक पहुंचना मुश्किल है, इसलिए भारत सरकार कोरोनावायरस ट्रैकर ऐप तैयार कर रही है.

CoWin-20 नाम के इस ऐप पर अभी काम किया जा रहा है. न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, नीति आयोग इसकी देखरेख कर रहा है. इसके बीटा वर्जन को एंड्रॉयड और iOS पर कुछ यूजर्स पर टेस्ट किया जा रहा है. आने वाले दिनों में गूगल और एपल से मंजूरी मिलने के बाद इसे रिलीज किया जाएगा.

फोन के जरिए लाखों लोगों को किया जाएगा ट्रेस

सरकार इस ऐप के जरिए देश में लाखों लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री को ट्रेस करेगी, और यूजर्स ये चेक कर सकेंगे कि क्या वो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं.

लेकिन, TNM की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐप यूजर के फोन की लोकेशन के साथ-साथ ब्लूटूथ कनेक्टिविटी डेटा का इस्तेमाल करेगा. साथ ही, ऐप यूजर को उन एरिया की डिटेल भी देगा , जहां बड़ी संख्या में कोरोनोवायरस के मामले सामने आए हैं.

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अगर आप कोरोना टेस्ट के पॉजिटिव पाए गए तो ऐप सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ डेटा शेयर करेगा.

लेकिन हम उस प्रक्रिया को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं, जिसके जरिए सरकार, भारत जैसे बड़े भूगौलिक क्षेत्र में लाखों लोगों के बीच प्रभावित लोगों को ट्रेस करेगी.

रिपोर्ट का कहना है कि जो भी टेस्टिंग के बाद पॉजिटिव होने की जानकारी देगा, उसके पास उसकी कंडीशन को लेकर एक नोटिफिकेशन आ जाएगा.

ये मंत्रालय की लेटेस्ट एडवाइजरी भी दिखाएगा और देश में महामारी के हालातों पर लेटेस्ट अपडेट भी देगा. साथ ही यूजर की लोकेशन के पास टेस्ट सेंटर की जानकारी भी देगा.

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प्राइवेसी का क्या?

लोकेशन ट्रेस करने से प्राइवेसी को लेकर सवाल खड़े होते हैं, लेकिन रिपोर्ट का कहना है कि ऐप डिवाइस में यूजर के डेटा को इनक्रिप्टेड रखेगा और किसी भी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर इसे नहीं दिखाया जाएगा.

लेकिन फिर भी डेटा प्राइवेसी की वकालत करने वाले संगठन भी सवाल खड़े कर सकते हैं, खासकर जब कोई नहीं जानता कि डेटा कब तक स्टोर किया जाएगा और इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. लॉन्च होने के बाद हम ऐप के डेवलपमेंट पर कड़ी नजर रखेंगे.

CoWin-20 के ट्रैकर को सफल बनाने के लिए पहले यूजर को ऐप डाउनलोड करना होगा. तो सरकार ये कैसे तय कर रही है कि हर कोई इसे अपने फोन में इंस्टॉल कर ले?

हो सकता है कि ऐप को लेकर लोगों को प्रेरित करने के लिए सरकार राष्ट्रव्यापी कैंपेन चलाए, जैसा कि यूपीआई डिजिटल पेमेंट को प्रमोट करने के लिए किया गया था.

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