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देश में होने जा रहे 2024 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के बीच केंद्र सरकार IT से जुड़ा एक कानून लाने की तैयारी कर रही है. Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, कानून के तहत मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर बढ़ती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से गलत सूचनाओं के कारण व्हाट्सएप (Whatsapp) को उस यूजर की जानकारी देनी होगी जिसने पहली बार मैसेज किया था.
Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक इस नियम को बनाने के पीछे की वजह व्हाट्सएप पर प्रसारित किए गए राजनेताओं के कई ऐसे वीडियोज हैं, जो डीपफेक यानी पूरी तरह से फर्जी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियम, 2021 के तहत मैसेजिंग कंपनी को एक आदेश भेजने के प्रोसेस में है. इसके जरिए उन यूजर्स की डीटेल्स मांगी जाएगी, जिन्होंने संबंधित वीडियो या मैसेज पहली बार शेयर किया होगा.
Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक एक सीनियर ऑफिसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह पक्षपात के बारे में नहीं है. विचाराधीन वीडियो में विभिन्न राजनीतिक दलों के राजनेताओं के डीपफेक को दर्शाया गया है. राजनेताओं के ऐसे फर्जी वीडियो हमारे संज्ञान में लाए गए हैं, जिसका असर आने वाले चुनाव में हो सकता है. इसलिए हम व्हाट्सएप को नोटिस भेजने की योजना बना रहे हैं.
यह पहली बार होगा कि केंद्र सरकार किसी इंटरनेट प्लेटफॉर्म को सीधे IT नियम, 2021 की धारा 4 (2) के तहत आदेश भेजेगी.
व्हाट्सएप और फेसबुक ने 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में इस प्रावधान को चुनौती देते हुए कहा था कि यह उनके यूजर्स की प्राइवेसी को "गंभीर रूप से कमजोर" करेगा. मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि
रिपोर्ट के मुताबिक आईटी नियम कहते हैं कि ऑनलाइन मैसेजिंग कंपनियों को उस व्यक्ति की पहचान बतानी होगी, जो सबसे पहले उनके प्लेटफॉर्म पर कोई विशेष मैसेज भेजता है.
हालांकि, आदेश केवल राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों, सार्वजनिक व्यवस्था, विदेशी सरकार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, अन्य चीजों से संबंधित अपराध की रोकथाम, पता लगाने, जांच, अभियोजन या सजा के उद्देश्य से जारी किए जा सकते हैं.
नियम कहते हैं कि कोई आदेश उन मामलों में पारित नहीं किया जाएगा, जहां अन्य "कम दखल देने वाले साधन" सूचना के प्रवर्तक की पहचान करने में प्रभावी हैं.
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