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सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स घटाया तो कहा गया कि ये मंदी के खिलाफ करारा कदम है. कहा गया कि इससे कंपनियों पर दबाव घटेगा और डिमांड बढ़ेगी. ये अंदाजा भी लगाया कि कंपनियों पर वित्तीय बोझ घटेगा तो वो सामानों की कीमतें घटाएंगी. लेकिन क्या सच में ऐसा होगा? मंदी की सबसे ज्यादा मार से जूझ रहे ऑटो सेक्टर के दो बड़े प्लेयर्स ने कहा है कि ऐसा नहीं होने वाला.
CNBC से बातचीत करते हुए देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा है कि कॉरपोरेट टैक्स घटने से कारों की कीमत कम होने की कोई गुंजाइश नहीं है.
भार्गव ने ये भी कहा कि मार्केट में डिमांड पैदा करने के लिए ज्यादा कदम उठाए जाने की जरूरत है. मैन्युफैक्चरिंग में ज्यादा प्रतियोगिता लाने की जरूरत है. अगर हमें डिमांड बढ़ानी है तो हमें उत्पादन खर्च घटाना होगा और साथ ही टैक्स व्यवस्था को डिमांड के साथ घटते-बढ़ते मूल्यों के आधार पर रखना होगा. भार्गव ने हालांकि ये माना कि फेस्टिव सीजन में बिक्री बढ़ सकती है.
ऑटो सेक्टर की दूसरी बड़ी कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन गोयनका ने cnbc से बातचीत करते हुए कहा कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का इंतजार 4-5 सालों से था. इससे भारतीय कंपनियां ग्लोबल कंपनियों से मुकाबला कर पाएंगी. लेकिन टैक्स कटौती के बाद कार की कीमतों में कटौती की उम्मीद बेमानी है. सरकार ने कोई शॉर्ट टर्म राहत नहीं दी है. सरकार मीडियम और लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए पैसे दे रही है. इससे कंपनियों की ताकत बढ़ेगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, न कि तुरंत डिमांड बढ़ेगी.
पवन गोयनका ने ये जरूर कहा कि कॉरपोरेट टैक्स घटने से इकनॉमी को लेकर सेंटिमेंट ठीक होंगे.
बता दें कि हाल ही में सरकार ने कंपनियों पर लगने वाले टैक्स में 10 परसेंट तक की कटौती की है. इससे सरकार के राजस्व में सालाना 1.45 लाख करोड़ की कमी आएगी.
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