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दुनिया में पहली बार दिल के मांसपेशी कोशिकाओं (सेल) को ट्रांसप्लांट करने में सफलता मिली है. दिल के इस मांसपेशी सेल को जापान के शोधकर्ताओं ने लैब में विकसित किया है. सबसे बड़ी बात ये है कि दिल के मांसपेशी सेल के विकसित होने की सफलता से दिल के ट्रांसप्लांट की जरूरत को कम किया जा सकता है. ये सफल शोध जापान के ओसाका यूनिवर्सिटी में किया गया है.
सेल जब अपने भ्रूण अवस्था यानी की जब वह जन्म के रूप में होता है तो वह किसी भी आकार में डाला जा सकता है. इसलिए दिल की मांसपेशी कोशिकाओं को विकसित करने के लिए ओसाका यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सबसे पहले एडल्ट स्टेम सेल को लिया और उसे उनके भ्रूण जैसी स्थिति में वापस लाया गया. ऐसा करने से शोधकर्ता सेल को इस स्थिति में लाने में सक्षम हो गए, जिस रूप में वह चाहते थे.
लैब में विकसित कोशिकाओं को स्वतः नष्ट होनेवाले सीट पर रखा जाता है, और इससे रोगी के दिल के डैमेज एरिया को कवर किया जाता है. ये सेल इस्केमिक कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित रोगी को ट्रांसप्लांट किया जाता है, जिसे दिल को पंप करने में काफी परेशानी होती है, क्योंकि उसके दिल की मांसपेशियों में पर्याप्त खून नहीं मिलता है. कुछ मामलों में, ऐसी स्थिति में दिल के ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है. हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि नई मांसपेशियों की सेल से एक प्रोटीन निकलती है जो खून की नलियों को फिर से बनाने में मदद करती है. और इससे दिल फिर से काम करने में सक्षम होता है.
पहले परीक्षण में 10 रोगियों को अस्पताल में रिकवर करने के लिए रखा गया है. ये एक साल तक अस्पताल में निगरानी में रहेंगे. अगल इसमें सफलता मिलती है और यह लंबे समय तक काम करता है तो दिल के ट्रांसप्लांट के लिए एक बड़ा विकल्प बन सकती है. क्योंकि दिल के डोनर को खोजने से ज्यादा आसान सेल को बनाने में होगा. और इसमें रोगी के इम्यून सिस्टम को रिजेक्ट करने की संभावना भी कम होती है.
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