advertisement
यूक्रेन पर रूसी हमले (Russia-Ukraine War) को शुरू हुए 235 दिनों का वक्त गुजर गया है और इसने पूरे यूरोप में परमाणु हमले की आशंकाओं को बढ़ा रखा है. लोगों की इस डर के बीच आयोडीन की गोलियां उम्मीद की संजीवनी बनकर समाने आईं हैं, जो मानव शरीर को कुछ न्यूक्लिर रेडिएशन से बचाने में मदद कर सकती है. AP News की रिपोर्ट के अनुसार यूरोप के कुछ देशों ने आयोडीन टैबलेट का स्टॉक बनाना शुरू कर दिया है और फिनलैंड में तो फार्मेसी की दुकानों पर आयोडीन टैबलेट की किल्लत पैदा हो गयी है. फिनलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिफारिश की है कि आपात स्थिति में परिवारों को आयोडीन की केवल एक खुराक खरीदना चाहिए.
आइये जानते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूरोपीय देशों में न्यूक्लिर रेडिएशन की आशंका क्यों बढ़ी है? आयोडीन की गोलियां क्या हैं? परमाणु हमले या रेडिएशन लीक की स्थिति में वे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते हैं?
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूरोपीय देशों में न्यूक्लिर रेडिएशन की आशंका क्यों बढ़ी है?
दरअसल हाल के हफ्तों में यूक्रेन में स्थित Zaporizhzhia परमाणु संयंत्र में समय-समय पर बिजली कटौती ने यूरोपीय देशों की चिंताएं बढ़ाई हैं, क्योंकि इससे न्यूक्लिर रिएक्टर में मेल्टडाउन का खतरा बढ़ गया है. साथ ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की धमकी कि वह यूक्रेन में युद्ध जीतने के लिए "सभी आवश्यक साधनों" का उपयोग करेंगे, ने भी परमाणु युद्ध की आशंका बढ़ा दी है.
आयोडीन की गोलियां क्या हैं? न्यूक्लिर रेडिएशन से यह कैसे बचाता है?
आयोडीन की गोलियां यानी पोटेशियम आयोडाइड एक तरह के न्यूक्लिर रेडिएशन के जोखिम के खिलाफ खास सुरक्षा प्रदान करता है. न्यूक्लिर अटैक या लीक की स्थित में वातावरण में रेडियोएक्टिव आयोडीन फैल जाता है, लेकिन पोटेशियम आयोडाइड उसे अब्जॉर्ब करके थायराइड के खतरे को रोकता है
रेडियोएक्टिव आयोडीन जैसा रेडियोएक्टिव पदार्थ अगर यदि शरीर में प्रवेश करता है तो यह थाइरोइड कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है. WHO/ विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यह बच्चों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है, और इसके स्वास्थ्य जोखिम इसके संपर्क में आने के बाद कई वर्षों तक रह सकते हैं.
आयोडीन की गोलियां न्यूक्लिर रेडिएशन के खिलाफ कैसे काम करती हैं?
आयोडीन की गोलियां थायरॉयड- हॉर्मन बनाने वाली ग्रंथि- को रेडियोएक्टिव आयोडीन की जगह उसे एक स्टेबल वर्जन से रिप्लेस करती हैं ताकि रेडियोएक्टिव तत्व अंदर न जा सके. यदि थायरॉयड पहले से ही पोटेशियम आयोडाइड से भरा हुआ है, तो यह हानिकारक आयोडीन को लेने में सक्षम नहीं होगा.
आयोडीन की गोलियां सस्ती हैं और दुनिया भर में बेची जाती हैं. अमेरिका-भारत सहित कई देशों में उनका स्टॉक है.
क्या आयोडीन की गोलियां सभी तरह के न्यूक्लिर खतरे के खिलाफ कारगर हैं?
पोटेशियम आयोडाइड रेडियोएक्टिव आयोडीन को छोड़कर अन्य प्रकार के रेडियोएक्टिव खतरों से रक्षा नहीं करता है. न्यूक्लिर अटैक की स्थिति में कई अलग-अलग प्रकार के रेडिएशन और रेडियोएक्टिव मटेरिअल रिलीज हो सकते हैं, जो शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है.
AP News की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य अधिकारियों की चेतावनी है कि पोटेशियम आयोडाइड को केवल न्यूक्लिर अटैक या लीक से जुड़ीं आपात स्थितियों में ही लिया जाना चाहिए, और अगर यह एक्सपोजर/संपर्क के समय के करीब लिया जाता है तो यह सबसे अच्छा काम करता है. इसे समय से पहले तैयारी के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.
आयोडीन की गोलियों के क्या साइडइफेक्ट हैं?
पोटेशियम आयोडाइड की खुराक के कुछ साइडइफेक्ट/दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे दाने आने, सूजन होना या पेट खराब होना. U.S. Food and Drug Administration की गाइडलाइन्स के अनुसार, 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को आम तौर पर तबतक आयोडीन की गोलियां नहीं लेनी चाहिए, जब तक कि उनका अपेक्षित जोखिम बहुत अधिक न हो.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)