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हम अकेले नहीं हैं ब्रह्मांड में! नासा की ये खोज बदल सकती है दुनिया

ये सारे ग्रह मिल्की वे गैलेक्सी का ही हिस्सा हैं

द क्विंट
साइंस
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नासा ने खोजे पृथ्वी जैसे 10 ग्रह (फोटो: <a href="https://nasa.tumblr.com/">नासा</a>)
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नासा ने खोजे पृथ्वी जैसे 10 ग्रह (फोटो: नासा)
(फोटो: नासा)

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क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं या हम जैसे कई और भी हैं? इसी बात का पता लगाने में जुटी है अमेरिकी स्पेस एजेंसी. नासा ने हमारे सोलर सिस्टम के बाहर 219 नए ग्रहों को ढूंढ निकाला है.

ये सारे ग्रह मिल्की वे गैलेक्सी का ही हिस्सा हैं. खास बात ये है कि इन ग्रहों में से 10 ऐसे भी हैं जो बिलकुल पृथ्वी की तरह ही हैं. अगर इन ग्रहों पर जीवन संभव हुआ तो दुनिया बदलने में देर नहीं लगेगी.

इन ग्रहों पर पृथ्वी की तरह ही जीवन की भी उम्मीद है. ये संभावना इसलिए भी जताई जा रही है क्योंकि किसी भी तारे से इन ग्रहों की दूरी इतनी है कि वहां पानी की मौजूदगी संभव है. तारे के ज्यादा पास होने पर पानी की संभावना कम होती है. कह सकते हैं कि इन 10 ग्रहों की स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी पृथ्वी की है.

10 ग्रहों की स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी पृथ्वी की है. (फोटो: नासा) (फोटो: नासा)

4 हजार से ज्यादा खगोलीय पिंडों की खोज

केपलर अंतरिक्ष दूरबीन अभियान के तहत पृथ्वी के आसपास ग्रहों की जानकारी जुटाई जा रही है. नासा के मुताबिक इस अभियान के तहत अब तक 4 हजार से ज्यादा ऐसे खगोलीय पिंडों की खोज हुई है जिन्हें ग्रह कहा जा सकता है. नासा के मुताबिक केप्लर लगातार दूसरी दुनिया के लिए संभावनाएं ढूंढ रहा है.

कई ऐसे ग्रह हैं जो धरती के करीब 1.5 गुना बड़े हैं उन्हें सुपर अर्थ का नाम दिया गया है. तो कई ऐसे भी हैं जो नेप्च्यून ग्रह से भी छोटे हैं जिन्हें मिनी नेप्च्यून का नाम दिया गया है.
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दूसरी दुनिया की संभावना

किसी भी ग्रह पर अगर पानी की मौजूदगी के सबूत मिल जाएं तो वहां जीवन तलाशा जा सकता है. नासा के मुताबिक ऐसे कई नए ग्रहों के वातावरण में हाइड्रोजन और हीलियम की मौजूदगी के आसार हैं. इन ग्रहों पर जीवन के तलाश में नासा जुटी हुई है.

केप्लर अभियान है सबसे बड़ा हथियार

केपलर अंतरिक्ष दूरबीन अभियान साल 2009 में शुरू हुआ. (फोटो: नासा) (फोटो: नासा)

केपलर अंतरिक्ष दूरबीन अभियान साल 2009 में शुरू हुआ. तब से अब तक केप्लर 2 लाख से ज्यादा सितारों की जांच कर चुका है. इस अभियान का मकसद पृथ्वी जैसे ही दूसरे ग्रहों की तलाश करना है. अपने अभियान के 4 साल तक केप्लर का दायरा सिमटा हुआ था जो 2014 में बड़ा कर दिया गया. भविष्य में ऐसे कुछ और अभियानों की शुरुआत नासा करने जा रहा है.

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Published: 20 Jun 2017,06:04 PM IST

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