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आईटी कंपनियों की तरफ से लगातार आ रही छंटनी की खबरों के बीच भारतीय इंजीनियर्स के लिए खुशखबरी है. माइक्रोसॉफ्ट, लिंक्डइन, ओरेकल, फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियां भारत में अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रही हैं.
इससे देश की आईटी कंपनियों और इन विदेशी कंपनियों के बीच एक टैलेंट वार जैसा माहौल बन रहा है, जिसका सीधा फायदा देसी इंजीनियर्स को मिलने जा रहा है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियां अपने ग्लोबल काउंटरपार्ट्स के जैसी ही टेक्नॉलजी पर काम कर सकने के काबिल इंजीनियर्स की तलाश भारत में कर रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक, लिंक्डइन और दूसरी कंपनियां भारत में लगातार अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रही हैं.
कंपनियों को जरूरत है ऐसे प्रोफेशनल्स की जो नई स्किल्स हासिल करते हैैं. साथ ही मशीन लर्निंग, बिग डेटा एनालिटिक्स और नेटवर्किंग जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले प्रोफेशनल्स की तो भारी मांग है.
देश में इस तरह की मांग का एक अहम कारण है भारत का इन कंपनियों के ग्लोबल इन हाउस सेंटर (GIC) के तौर पर तेजी से उभरना. पिछले महीने में जारी ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म बैन एंड कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के ग्लोबल इन हाउस सेंटर, अगले 3 से 5 सालों में आईटी के क्षेत्र में काफी अहम स्थान हासिल कर सकते हैं.
इस साल आईटी सेक्टर से लगातार छंटनी की खबरें आ रही थी. विप्रो, टीसीएस, इंफोसिस और टेक महिंद्रा जैसी देसी कंपनियों से लेकर कॉग्निजेंट जैसी विदेशी कंपनियों से एनुअल परफॉर्मेंस रिव्यू के नाम पर कर्मचारियों को निकालने की खबरें आईं.
अप्रैल के महीने में विप्रो ने सालाना परफॉर्मेंस अप्रेजल के दौरान करीब 600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था. कंपनी ने इसका कारण भी कर्मचारियों का 'खराब प्रदर्शन' बताया था. इंफोसिस, टेक महिंद्रा से भी ऐसी ही कहानी सामने आई थी.
देश में हर साल करीब 8 लाख इंजीनियर्स पास आउट होते हैं. इनमें से इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल, सिविल और मैकेनिकल स्ट्रीम में इंजीनियरिंग करने वाले छात्र भी अपने स्ट्रीम में नौकरी नहीं मिलने के कारण आईटी की तरफ झुकाव रखते हैं. कुछ शॉर्ट टर्म कोर्सेज और लैंग्वेज का कोर्स करने के बाद सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए उनके रास्ते खुल जाते हैं.
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