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डिजिटल इंडिया मिशन के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश को इंटरनेट से जोड़ने के लिए एक के बाद एक नई योजनाए शुरू कर रहे हैं. ऐसी ही एक योजना के तहत गूगल भारत के 500 रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई सेवा देने की तैयारी कर रहा है.
अगले साल तक इस योजना पर काम शुरू किया जाएगा, लेकिन क्या ये कारगर साबित होगा? गौर कीजिए इन मुसीबतों पर:
हमारा सबसे बड़ा डर ये है कि कहीं बिजली और पानी की तरह हमारा इंटरनेट भी तो चोरी नहीं हो जाएगा. हमारे देश में इन चीजों की चोरी बहुत ही सामान्य है.
इसी तरह हम सोचते हैं कि कहीं हमारा वाई-फाई इंटरनेट भी तो चोरी होकर स्टेशन मास्टर के आॅफिस या घर पर नहीं पहुंच जाएगा. या फिर वीआईपी मेहमानों के लिए अवेलेबल होगा.
हमारे देश में बिजली कटौती बहुत ही सामान्य है. जरा सोचिए कि आप एक स्टेशन पर हैं और इंटरनेट यूज करते-करते आपके फोन या लैपटाॅप की बैटरी खत्म हो जाती है.
ऐसे में चाहें आपके इंटरनेट की स्पीड कितनी भी तेज हो वह आपके लिए बेकार ही रहेगी.
बिना बिजली के न इंटरनेट चलेगा और न आपके फोन में वाई-फाई
अच्छी इंटरनेट स्पीड सप्लाई करना एक बड़ी चुनौती है और ये कई फैक्टर्स पर डिपेंड करता है.
अब जबकि रेलवे स्टेशनों पर फ्री में इंटरनेट उपलब्ध होगा तो बहुत से लोग अपने घरों से निकलकर फिल्में, गाने और पोर्न फिल्में डाउनलोड करने स्टेशनों पर पहुंच सकते हैं.
अब जब इतने सारे लोग एक साथ वाई-फाई यूज करेंगे तो स्पीड कितनी भी तेज हो आपके फोन पर वो 2G इंटरनेट जैसी ही लगेगी.
हमारे देश में बंदरों और चूहों को भगवानों से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन आपको पता ही होगा कि हमारे रेलवे स्टेशनों पर ये दोनों ही सबसे ज्यादा आतंक मचाते हैं.
चूहे रेलवे स्टेशनों की मोटी-मोटी दीवारों में छेद कर देते हैं तो बंदर हाईटेंशन करेंट वाले तार भी तोड़ देते हैं.
ऐसे में वाई-फाई किस खेत की मूली हैं.
इन सबके अलावा आंधी-तूफान और ओलों की वर्षा जैसे कारण भी वाई-फाई को प्रभावित करते हैं.
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