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सनी लियोनी कौन है? चिंचपोकली कहां है? बच्चे का डायपर कैसे बदलें? घर से ऑफिस कितने देर में पहुंच सकते हैं? रास्ते में ट्रैफिक है या नहीं? अगर ट्रैफिक है तब कितना वक्त लगेगा ऑफिस पहुंचने में? अमेरिका में गरीबी है या नहीं? अपने राष्ट्रगान को यूनेस्को ने सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान का अवार्ड दिया है कि नहीं? अगर आज से 21 साल पहले कोई इस तरह के सवाल करता तो शायद इनका जवाब ढूंढने में महीनों लग जाते या फिर कई सवालों का जवाब मिल भी नहीं पाता.
लेकिन आज से 21 साल पहले दो 20-22 साल के लड़कों ने कुछ ऐसा किया जिस से दुनिया के हर सवालों के जवाब (शायद कुछ छूट जाए) चंद सेकंड में ढूंढे जा सकते है.
अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने एेसे ही सवालों के जवाब को ढूंढने के लिए बना डाला गूगल. जी हां, वही गूगल, जिससे हम अपने जिंदगी के हर सवाल पूछ लेना चाहते हैं.
लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि हम आज अचानक गूगल की इतनी बात क्यों कर रहे हैं? क्यूंकि आज से ठीक 21 साल पहले 15 सितम्बर 1997 को गूगल का पर्सनल डोमेन रजिस्टर्ड कराया गया था.
ऐसे तो गूगल की शुरुआत 1996 में यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च प्रोजेक्ट के तौर पर हुई थी. जिसके बाद गूगल स्टैनफौर्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अंदर google.stanford.edu के नाम से चला करता था. बाद में 4 सितम्बर 1998 में इसे एक प्राइवेट कंपनी के तौर पर लॉन्च किया गया.
सारा गिल्बर्ट अपनी किताब ‘स्टोरी ऑफ गूगल’ में लिखती हैं,
मैथ्स या गणित की दुनिया में गूगोल का मतलब होता है 1 के बाद 100 जीरो लगा होना. वहीं 10 अगस्त 2015 को सर्च इंजन गूगल ने एक नई कंपनी अल्फाबेट इंक नाम से शुरू की है. इसके बाद से गूगल की सभी कंपनियां जैसे कि जीमेल, यूट्यूब, एंड्राइड अब अल्फाबेट के अंदर आ गई हैं. साथ ही गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा कीमत की कंपनी है, जिसकी मार्केट वैल्यू 653 अरब डॉलर है.
ऐसी ही दिलचस्प जानकारी के लिए आप भी चाहें तो quinthindi.com गूगल कर सकते हैं.
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