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सरकार ने ये साफ किया है कि पुरानी कारों पर सिर्फ डीलर्स को ही अपने मार्जिन पर जीएसटी देना होगा. कार खरीदने और बेचने वाले अलग-अलग दोनों व्यक्तियों को कोई टैक्स नहीं देना है. ऐसा कहा जा रहा था कि पहली बार नई कार की बिक्री के समय सरकार को जीएसटी मिल जाता है. अगर दोबारा कार की बिक्री पर जीएसटी लिया जाएगा, तो इस तरह सरकार को दो बार टैक्स मिल जाएगा.
जीएसटी लागू होने के बाद पुरानी कारों का लेन देन करने वाले डीलर्स पर बड़ा असर पड़ा है.
जीएसटी लागू होने से पहले कार डीलर्स अपनी बिक्री पर कुल पांच फीसदी वैट देते थे, लेकिन अब उन्हें अपने मार्जन पर 28 से 43 फीसदी तक जीएसटी देना है.
आम तौर पर डीलर्स कार के मॉडल और डिमांड के अनुसार अपना 10 से 20 फीसदी मार्जन रखते हैं. मान लेते हैं एक डीलर किसी शख्स को दो लाख रुपये में एक छोटी कार बेचता है, जिसमें उसकी 20,000 रुपये की कमाई है. डीलर को अपनी इस कमाई पर 5,600 रुपये टैक्स देना होगा. अब जाहिर सी बात है कि डीलर ये टैक्स कार की कीमत में जोड़ेंगे.
अगर आप अपनी पुरानी कार किसी डीलर को बेचते हैं, तो आप देखेंगे कि डीलर उम्मीद से थोड़ी कम कीमत ऑफर कर रहा है. ये इसलिए क्योंकि डीलर पर टैक्स का बोझ बढ़ गया है. अगर आपको लगता है पुरानी कार पर 1.8 लाख रुपये मिलना चाहिए, तो डीलर आपके साथ सौदेबाजी कर सकता है. वह खुद पर से टैक्स का बोझ कम करने के लिए कार की कीमत कम ऑफर करेगा.
डीलर को कार बेचने का फायदा ये होता है कि गाड़ी ट्रांसफर के सभी कागज संभालकर रखे जाते हैं. भले ही डीलर आपको कम कीमत ऑफर कर रहा है, मगर आपकी गाड़ी को खरीदार तुरंत मिल रहा है और जीएसटी भी नहीं चुकाना पड़ रहा है.
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