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नोटबंदी के फैसले ने और कुछ किया हो या नहीं, ई-वॉलेट या डिजिटल वॉलेट को हर किसी तक पहुंचा दिया है. खास तौर पर शहरी इलाकों में. आज आपको अपने सब्जी वाले, चाय वाले या किराना दुकानों में पेटीएम, फ्रीचार्ज या मोबिक्विक से पेमेंट की सुविधा मिल रही है तो ये ई-वॉलेट का ही कमाल है. तभी तो ई-वॉलेट कंपनियों का बिजनेस 8 नवंबर के बाद से दिन दूगनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ा है. लेकिन अपने मोबाइल फोन की मदद से आपको मिल रही ये सुविधा अपने साथ कुछ जोखिम भी लाती है. कैसे बच सकते हैं आप इन जोखिम से, आइए जानते हैं.
सबसे पहले बात आपके ई-वॉलेट की सुरक्षा की. चूंकि आपका ई-वॉलेट आपके मोबाइल में होता है तो इस बात का खास ख्याल रखें कि आप अपना मोबाइल फोन किसी भी अनजान व्यक्ति को इस्तेमाल के लिए ना दें. आप ये तो जानते ही हैं कि ई-वॉलेट से किसी भी दूसरे को पैसा ट्रांसफर करने के लिए सिर्फ उसका मोबाइल नंबर डालने की जरूरत होती है. इसका मतलब ये है कि आपका मोबाइल जिसके हाथ में है, आपके ई-वॉलेट का सारा बैलेंस भी उसी के हाथों में है.
दूसरी चीज अपने मोबाइल फोन में पासकोड लॉक जरूर लगाएं. अगर कभी आपका स्मार्टफोन चोरी हो जाता है या गायब हो जाता है तो आपको इस बात की चिंता नहीं होगी कि आपके ई-वॉलेट का बैलेंस भी गायब हो जाएगा. तो ऐसा पासवर्ड इस्तेमाल करें जो कोई सोच भी ना सके.
एक बात और ध्यान में रखें. वैसे तो आजकल बाजार में ई-वॉलेट की बाढ़ है, लेकिन अपने स्मार्टफोन में आप उन्हीं ई-वॉलेट ऐप को जगह दें, जो पॉपुलर हों और लोग उसका इस्तेमाल कर रहे हों. क्योंकि एक तो इससे आपके लिए फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन आसान होंगे, दूसरा आप अपने फाइनेंशियल डाटा की सेफ्टी को लेकर भी निश्चिंत हो सकेंगे.
एक और बात आपके पते की. अपने ई-वॉलेट में ज्यादा बैलेंस भी ना रखें. इसकी दो वजह हैं- पहली कि ई-वॉलेट में रखे आपके बैलेंस पर आपको कोई ब्याज नहीं मिलता, बचत खाते में तो फिर भी 4-7% ब्याज बैंक दे देते हैं. दूसरी वजह ये कि ई-वॉलेट में रखे बैलेंस के रिफंड का कोई प्रावधान नहीं होता. आप उस रकम का इस्तेमाल सिर्फ शॉपिंग या यूटिलिटी बिल पेमेंट के लिए कर सकते हैं.
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