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देश के टेलीकॉम मार्केट में रिलायंस जियो की एंट्री ने वैसी ही हलचल मचा दी थी, जैसे किसी ठहरे हुए तालाब में दूर से फेंका गया पत्थर मचा देता है. सितंबर 2016 में जियो की एंट्री होती है और उसके बाद इस तेज रफ्तार से उसके सब्सक्राइबर्स बढ़ते हैं कि पहले से मौजूद कंपनियों एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया के होश उड़ जाते हैं. तब से अब तक जियो की रेस तो जारी है, लेकिन अब उसके कदमों में थकान दिखने लगी है.
गोल्डमैन सैक्स और आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, जियो ने अप्रैल में करीब पौने चार लाख एक्टिव सब्सक्राइबर्स जोड़े जबकि एयरटेल के लिए ये आंकड़ा रहा 26 लाख 32 हजार सब्सक्राइबर्स का.
आइडिया ने भी इस महीने में जियो को पीछे छोड़ दिया, जबकि वोडाफोन मामूली अंतर से पीछे रहा.
जियो ने सितंबर 2016 में अपनी सर्विस लॉन्च करने के बाद से मार्च 2017 तक अपने सब्सक्राइबर्स को मुफ्त सर्विस का तोहफा दिया और इसी वजह से लोगों ने जियो का हाथों-हाथ लिया.
वैसे अगर आप सारी बड़ी टेलीकॉम कंपनियों के आंकड़े देखेंगे तो ये भी पता चलेगा कि एक्टिव सब्सक्राइबर्स के मामले में जियो काफी पीछे है.
इस बात में कोई शक नहीं है कि जियो के भारतीय बाजार में तेजी से पैठ बना लेने के पीछे मुख्य वजह थी उसकी फ्री सर्विस. लेकिन इसी फ्री सर्विस ने दूसरी टेलीकॉम कंपनियों को अपने डाटा और कॉल रेट कम करने को मजबूर किया.
आज अगर डाटा सर्विस हर किसी की पहुंच में आ पाई है तो इसका बड़ा श्रेय जियो की एंट्री को ही जाता है. लेकिन दूसरा सच ये भी है कि अब फ्री सर्विस खत्म होने के साथ ही जियो की लोकप्रियता में गिरावट आने लगी है. गौरतलब है कि अप्रैल जियो के एक्टिव सब्सक्राइबर्स की तादाद घटते जाने का ये लगातार चौथा महीना है. और जानकार मानते हैं कि अप्रैल के बाद से जियो की सर्विस के लिए चार्ज लगना शुरू होने के बाद इसमें आगे भी गिरावट जारी रह सकती है.
ऐसा कहना शायद जल्दबाजी होगी क्योंकि मुकेश अंबानी की जियो ना तो पैसे के मामले में कमजोर है, और ना महत्वाकांक्षा के मामले में. भले ही अभी एयरटेल देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर हो, उसकी आर्थिक हालत खस्ता है.
आइडिया और वोडाफोन भी इसकी अपवाद नहीं हैं. पूरा टेलीकॉम सेक्टर करीब 5 लाख करोड़ के कर्ज में डूबा है, और इससे उबरने के लिए वो सरकार से राहत का इंतजार कर रहा है. आइडिया और वोडाफोन ने तो जियो से मुकाबले के लिए साथ आने का फैसला कर लिया है.
(सोर्स- बिजनेस स्टैंडर्ड)
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