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कोहरे से पानी, रोबोट मधुमक्खी...धरती को बचाने का माद्दा रखने वाले 10 आविष्कार

ग्रीन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में 13 साल की बच्ची का आविष्कार COP26 समिट में मंथन कर रहे देशों के लिए उम्मीद

आशुतोष कुमार सिंह
टेक्नोलॉजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>COP26: कोहरे से पानी बनाने से लेकर रोबोट मधुमक्खी- उम्मीद देतें 10 ग्रीन इनोवेशन</p></div>
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COP26: कोहरे से पानी बनाने से लेकर रोबोट मधुमक्खी- उम्मीद देतें 10 ग्रीन इनोवेशन

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दुनिया भर के देश स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित COP26 जलवायु सम्मेलन में बैठकर मंथन कर रहे हैं. एक तरफ ये एक ऐसी बैठक है जहां जलवायु परिवर्तन के बोझ से दबी धरती के लिए असफल होना विकल्प नहीं है. दूसरी तरफ वर्ल्ड लीडर्स के बीच एक ऐसा मंथन है जहां वैश्विक हितों के साथ देशों के व्यक्तिगत हित और वर्ल्ड पॉलिटिक्स की लड़ाई भी है.

सच्चाई है कि हम जलवायु परिवर्तन के संबंध में एक ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां दांव पर पूरी धरती और मनुष्य जाति का अस्तित्व है. ऐसे में वर्ल्ड पॉलिटिक्स और महाशक्तियों के आरोप-प्रत्यारोप से दूर वैज्ञानिक इनोवेशन भी हैं जिनसे उम्मीद है कि वो जमीन पर वास्तविक परिवर्तन लाएंगे.

आइये B-droids रोबोट मधुमक्खियों से लेकर क्लाउडफिशर तक, नजर डालते हैं ऐसे ही 10 ग्रीन इनोवेशन पर.

B-Droid- रोबोट मधुमक्खियां

B-Droid रोबोट मधुमक्खियों को बनाने के कई प्रयासों में से एक है जो फसलों को जैविक मधुमक्खियों की तरह ही प्रभावी ढंग से परागित/ पॉलीनेट कर सकता है.

अब सवाल है कि आम मधुमक्खियों के साथ B-Droid रोबोट मधुमक्खियों के प्रयोग से जलवायु को क्या फायदा होगा. इसका जवाब है कि B-Droid का मिशन रोबोटिक मधुमक्खियों को कम पोषण और उच्च श्रम वाले पॉलीनेशन कार्य देकर प्राकृतिक मधुमक्खी आबादी को बढ़ावा देने में मदद करना है.

ग्रॉसिस वाटरबॉक्स- रेगिस्तान में पेड़ उगाना अब संभव

COP26 जलवायु सम्मेलन शुरू होने के बहुत पहले से ही नेट जीरो, कार्बन सिंक बनाना, और कार्बन उत्सर्जन जैसे टर्म्स ट्रेंड होने लगे थे. सबका मूल भाव था कि कार्बन डाईऑक्साइड जैसे ग्रीन हाउस गैसों को वातावरण से हटाना और उसके लिए जरूरी है पेड़-पौधों की तादाद बढ़ाना. यहीं पर आता है ग्रॉसिस वाटरबॉक्स का कॉन्सेप्ट.

ग्रॉसिस वाटरबॉक्स को डच फूल निर्यातक पीटर हॉफ ने बनाया है. ग्रॉसिस एक प्लांटिंग डिवाइस है जो रेगिस्तान में फसलों को उगाना संभव और संसाधन-कुशल बनाता है. इसमें पारंपरिक तरीकों की तुलना में 90% कम पानी की आवश्यकता होती है और इसका उपयोग पृथ्वी पर कुछ सबसे चरम जलवायु में किया जा सकता है.

AirCarbon: भविष्य का टिकाऊ प्लास्टिक

AirCarbon को Newlight Technologies द्वारा विकसित किया गया है और कई पुरस्कार जीत चुका है. इसकी खास बात है कि इसे उत्सर्जित कार्बन से बनाया गया है जो आम तौर पर हवा में छोड़ा जाता है और जो पृथ्वी को गर्म करता है.

AirCarbon एक वेरिफाइड कार्बन-नेगेटिव मैटेरियल है, जिसका अर्थ है कि इसके उत्पादन और उपयोग का हर चरण पूरी तरह से ग्रीन और सस्टेनेबल है क्योंकि यह अन्य प्लास्टिक की तरह ऑयल से नहीं बना है.

Seabin

सीबिन को एंड्रयू टर्टन और पीट सेग्लिंस्की ने डेवलप किया है. सीबिन समुंद्र से प्लास्टिक, डिटर्जेंट और तेल को फिल्टर कर सकता है. सीबिन के अंदर एक ट्रेस बैग है, जो समुंद्र में तैरते हुए प्रदूषकों को फंसाता है.

सबमर्सिबल वाटर पंप बिन के माध्यम से पानी जमा करता है, एक बार साफ होने के बाद इसे फिर से बाहर निकाल देता है. इसे महीने में केवल एक बार खाली करने की आवश्यकता होती है और यह दुनिया भर के बंदरगाहों और बंदरगाहों में जल प्रदूषण पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है.

सनड्रॉप फार्म: नई तकनीक से भरी कृषि

Sundrop Farms को सस्टेनेबल कृषि टेक्नोलॉजी की मदद से खेती के लिए जाना जाता है, जिसमें पारंपरिक खेती की तुलना में कम सीमित संसाधनों की आवश्यकता होती है. यह सस्टेनेबल कृषि प्रोजेक्ट केंद्रित सौर ऊर्जा और थर्मल विलवणीकरण (Desalination) पर आधारित है.

दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के पोर्ट ऑगस्टा में ऐसी खेती की जा रही है जिसमें स्पेंसर खाड़ी से लाये गए पानी से सिंचित किया जाता है. समुद्र का वो पानी खारा होता है जिसे फसलों में डालने से पहले नमक हटाया जाता है. ये प्रक्रिया, फार्म पर अन्य कार्यों के साथ, पूरी तरह से सौर ऊर्जा द्वारा संचालित है.

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Veganbottle: प्लास्टिक की बोतलों का एक प्राकृतिक विकल्प

क्या आपने कभी सोचा है कि गन्ने से भी बॉटल्स बनाये जा सकते हैं? शायद नहीं. लेकिन LYSPACKAGING ने यह कर दिखाया है. Veganbottle एक प्राकृतिक बायोप्लास्टिक से बना है जो प्लास्टिक की बोतलों को हमेशा के लिए रिप्लेस कर सकता है.Veganbottle में कैप से लेकर रैपर तक सब कुछ 100% बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बना है.

बोतल को गन्ने से तैयार किया गया है. गौरतलब है कि गन्ने को अन्य फसलों की तुलना में बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और इस कारण बोतल के निर्माण में पारंपरिक उत्पादन की तुलना में कम ऊर्जा का उपयोग होता है.

क्लाउडफिशर: कोहरे को पीने के पानी में बदलना

जब दुनिया के 10% से अधिक मनुष्यों के पास पानी की पहुंच नहीं है, 90% प्राकृतिक आपदाएं इससे जुड़ी हों और इस पर युद्ध लड़े जाते हों, गरीब देशों में महिलाएं इसे ढोने में अपना दिन बिताती हों- अगर कोई यह बताये कि कोहरे को पीने के पानी में बदला जा सकता है तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं है. खैर यह चमत्कार का नहीं साइंस का कमाल है.

Aqualonis द्वारा बनाया गया CloudFisher तटीय या पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कोहरे को सुरक्षित पेयजल में बदलने की सहूलियत दे सकता है. इस पानी का उपयोग फसलों की सिंचाई या जंगलों को बढ़ाने के प्रयासों के लिए भी किया जा सकता है.

यह व्यक्तिगत जरूरतों या पूरे गांव की जरूरतों के अनुरूप विभिन्न आकारों में आता है. दुनिया भर के लोगों की मदद के लिए ग्रीन इनोवेशन का यह उदाहरण पहले से ही इस्तेमाल में लाया रहा है.

लकड़ी के कंप्यूटर चिप्स

कंप्यूटर चिप्स आमतौर पर धातु का उपयोग करके बनाए जाते हैं जो उपयोग के समय ठीक लग सकते हैं. लेकिन एक बार इसका डिस्पोज हो जाने के बाद इन कंप्यूटर चिप्स को रिसाइकिल करना मुश्किल होता है.

लेकिन अमेरिका स्थित विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय ने एपॉक्सी-लेपित सेलूलोज नैनोफिब्रिल से कंप्यूटर चिप्स बनाए हैं. ये मैटेरियल इस चिप को नमी को आकर्षित करने से बचाता है, जो लकड़ी की चीजों के लिए सामान्य है.

HARVEST: सौर पत्ते

ग्रीन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में यह इनोवेशन मानसा मेंडु नामक मात्र 13 साल की बच्ची ने किया है. मानसा ने HARVEST नामक एक एनर्जी डिवाइस विकसित किया है जो 5 डॉलर की लागत से स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है.

ऐसी उम्र में जब ज्यादातर स्टूडेंट्स असाइनमेंट पूरा करने के लिए इंटरनेट की मदद लेते हैं, इस छोटी लड़की ने अकल्पनीय काम किया है. HARVEST के सिस्टम में 'सौर पत्ते' शामिल हैं जो सूर्य और कंपन से पावर जेनेरेट करते हैं. हार्वेस्ट पीजोइलेक्ट्रिक मैटेरियल से बना है जिससे बिजली उत्पादन संभव हो जाता है.

QMilk: दूध से बने रेशे

फ्रिज की जगह दूध अगर आपके कपड़े की अलमारी में आ जाए तो? यकीन मानिये यह मजाक नहीं है. QMilk नाम की फैशन कंपनी बेकार दूध को 100 प्रतिशत प्राकृतिक फाइबर में बदल रही है.

जिस देश में यह इनोवेशन हुआ, अकेले उस देश जर्मनी में हर साल 1.9 मिलियन टन दूध बर्बाद हो जाता है. QMilk फाइबर के लिए प्रति किलोग्राम केवल 2 लीटर पानी की आवश्यकता होती है जबकि दूसरी तरह एक कॉटन टी-शर्ट के उत्पादन में 2,700 लीटर पानी की खपत होती है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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