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फेसबुक अभी कैंब्रिज एनालिटिका के डेटा चोरी केस से उबर भी नहीं सका कि नया मामला सामने आ गया. दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया कंपनी पर जरूरत से ज्यादा डेटा हासिल करने के नए आरोप लग रहे हैं. फेसबुक ने रविवार को एक पोस्ट के जरिए मान लिया है कि वो एंड्रॉएड फोन यूजर्स के कॉल और टेक्स्ट हिस्ट्री को कई साल से इकट्ठा कर रहा है.
कंपनी का दावा तो ये है कि वो यूजर्स के परमिशन से डेटा इकट्ठा करती है, अब आप सोचिए कि क्या आपके पास एंड्रायड फोन है और आप ये कभी चाहेंगे कि आपके हर कॉल और मैसेज की हिस्ट्री फेसबुक के पास हो?
एंड्रॉयड फोन पर ‘फेसबुक मैसेंजर’ या ‘फेसबुक लाइट’ के इस्तेमाल के लिए जो यूजर, खुद से अपने मोबाइल का कॉल डिटेल या मैसेज हिस्ट्री, फेसबुक को देने के लिए सहमत होते हैं, सिर्फ उनका ही डेटा उठाया जाता है.
लेकिन क्या ये इतना आसान लग रहा है? क्या वो ‘ऑप्शन’ जो फेसबुक को ऐसा करने की इजाजत देता है वो हर यूजर को साफ-साफ समझ में आ जाता है. जवाब नहीं में है. इसलिए फेसबुक का ये तर्क भी तार्किक नहीं दिखता.
फेसबुक ने अपने इस कदम के बचाव में कहा है कि 'मैसेंजर' या 'फेसबुक लाइट' के इस्तेमाल पर साफ-साफ opt-in फीचर आता है, मतलब आपके पास ऑप्शन होता है कि फेसबुक आपके सेलफोन का डेटा इकट्ठा कर सके या नहीं. पहले ये इतना भी स्पष्ट नहीं था.
लेकिन रविवार को दिए गए फेसबुक के स्टेटमेंट में पहली बार ये बात साफ-साफ सामने आई. बयान में लिखा गया-’जब आप एंड्रॉयड पर मैसेन्जर या फेसबुक लाइट के लिए साइन अप करते हैं, या किसी एंड्रॉइड डिवाइस पर मैसेंजर में लॉग इन करते हैं, तो आपको अपने फोन कॉन्टेक्टस को और साथ ही आपके कॉल और टेक्स्ट हिस्ट्री को अपलोड करने का आप्शन दिया जाता है.'
ये ताजा मामला तब सामने आया, जब कुछ यूजर फेसबुक के जरिए अपने ही रिकॉर्ड्स डाउनलोड कर इसे ट्विटर पर शेयर करने लगे. ये भी कहा जाने लगा कि फेसबुक सालों से ऐसे डेटा कलेक्ट करते आ रहा है. अब फेसबुक का दावा ये है कि जो यूजर ये ऑप्शन नहीं चाहते हैं, सेटिंग में जाकर ऑप्शन को डिसेबल कर सकते हैं, इससे वो सारे कॉल, मैसेज हिस्ट्री खुद-ब-खुद डिलीट हो जाएंगे.
अपने बयान में फेसबुक ने ये भी कहा है कि ये सारी जानकारी बहुत ही सावधानी और सुरक्षा के साथ एकत्रित की जाती हैं. और किसी भी हालत में इसे थर्ड पार्टी को नहीं बेचा जाता है. लेकिन कैंब्रिज एनालिटिका केस के सामने आने के बाद ऐसी बातों पर यूजर्स कितना भरोसा कर पाएंगे , ऐसा कहा नहीं जा सकता.
(इनपुट: फेसबुक, टाइम डॉट कॉम)
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