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Google के Bard की गलती से कंपनी के 170 बिलियन डॉलर साफ, ChatGPT से मिल रही टक्कर

Bard AI Chatbot vs ChatGPT: चैटजीपीटी को गूगल के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है, क्यों?

मोहन कुमार
टेक्नोलॉजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>Bard AI Chatbot vs ChatGPT</p></div>
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Bard AI Chatbot vs ChatGPT

(फोटो: क्विंट)

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AI मतलब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, टेक वर्ल्ड का नया अजूबा. जिससे गूगल (Google) की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट (Alphabet) को एक झटके में 170 बिलियन डॉलर का नुकसान हो गया. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जमाना है. गूगल, माइक्रोसॉफ्ट से लेकर OpenAI तक सब इस पर दांव लगा रहे हैं. लेकिन जोखिम भी उतना ही बड़ा है. चलिए आपको बताते हैं कि गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट को कैसे और कितना बड़ा नुकसान हुआ है? क्यों ChatGPT को गूगल के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है?

आखिर AI की इतनी चर्चा क्यों?: AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तो चर्चा में रहता ही है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से ये सबकी जुबान पर चढ़ा हुआ है. इसकी दो बड़ी वजह है. पहली अल्फाबेट का बार्ड एआई चैटबॉट (Bard AI Chatbot) और दूसरा ChatGPT. दरअसल, अल्फाबेट ने यह दावा करते हुए ट्विटर पर 'बार्ड' का एक वीडियो पोस्ट किया था कि ये कठिन से कठिन विषयों को आसान बनाने में मदद करेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और बार्ड ने गलत जवाब दिए.

विज्ञापन में, बार्ड से पूछा गया: "जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप (JWST) की कौन सी नई खोजों के बारे में मैं अपने 9 साल के बच्चे को बता सकता हूं?" बार्ड कई उत्तरों के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिसमें एक सुझाव है कि JWST का उपयोग पृथ्वी के सौर मंडल, या एक्सोप्लैनेट के बाहर किसी ग्रह की पहली तस्वीरें लेने के लिए किया गया था. हालांकि, एक्सोप्लैनेट्स की पहली तस्वीरें 2004 में यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला (European Southern Observatory) के वेरी लार्ज टेलीस्कोप (VLT) द्वारा ली गई थीं, जिसकी पुष्टि नासा ने की है.

एक गलत उत्तर और खेल खत्म: बस क्या था इस एक गलत उत्तर ने अल्फाबेट के किए-कराए पर पानी फेर दिया. देखते ही देखते अल्फाबेट का मार्केट वैल्यू 10-20 बिलियन डॉलर नहीं बल्कि, कुल 170 बिलियन डॉलर गिर गया.

बार्ड की योग्यता के बारे में चिंताओं के सामने आने के बाद गूगल की पैरेंट अल्फाबेट के शेयरों में बुधवार को 7.7% की गिरावट आई. वहीं गुरुवार को 5.1% की गिरावट के साथ बिकवाली जारी रही.

आखिर ये 'बार्ड' है क्या?: बार्ड गूगल का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट है. यह बिल्कुल ChatGPT की तरह काम करता है यानी यूजर्स बातचीत के जरिए चैटबॉट का इस्तेमाल कर सकेंगे. ये चैटबॉट गूगल के लैंग्वेज मॉडल LaMDA यानी लैंग्वेज मॉडल डायलॉग एप्लिकेशन पर आधारित है. कंपनी के मुताबिक यह LaMDA का लाइट वर्जन है.

ChatGPT क्या है? आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित ChatGPT दरअसल एक चैटबॉट है जो आपके कई तरह के सवालों का लिखित और लगभग सटीक जवाब दे सकता है. ये चैटबॉट आप की निजी समस्याओं पर भी सलाह दे सकता है. इसके जरिए कॉन्टेंट पैदा करने की संभावनाएं अपार हैं.

उदाहरण के लिए ये आपको जटिल लेकिन लजीज रेसिपी समझा सकता है और इसी रेसिपी का नया वर्जन भी तुरंत क्रिएट कर सकता है. ये आपको नौकरी खोजने में मदद कर सकता है. आपको कविताएं, एकेडमिक पेपर और खास दोस्तों को खत लिखने में मदद कर सकता है. ये भारी से भारी कोडिंग आसानी से कर सकता है.
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दिग्गज कंपनियां आमने-सामने: ChatGPT के आने के बाद से टेक वर्ल्ड में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है. गूगल और माइक्रोसॉफ्ट आमने-सामने हैं. जैसे ही गूगल ने बार्ड की घोषणा की उसके तुरंत बाद माइक्रोसॉफ्ट ने अपने सर्च इंजन 'बिंग' (Bing) में ChatGPT को शामिल करने के बारे में आधिकारिक रूप से ऐलान कर दिया. इस ऐलान के बाद माइक्रोसॉफ्ट के शेयर में उछाल देखने को मिली.

कौन मारेगा बाजी?: 'बार्ड' में खामी सामने आने के बाद गूगल को जरूर झटका लगा है. लेकिन एक मामले में गूगल अभी सबसे आए है, वो है डेटा. जब बात डेटा की आती है तो गूगल के पास उसका बहुत बड़ा एक्सेस है. ऐसे में उसके लिए अपने AI टूल को बड़ा और बेहतर बनाना आसान होगा.

वैसे एक बात और गौर करने लायक है. जहां गूगल से जुड़ी अधिकतर सर्विस मुफ्त हैं, वहीं ChatGPT के प्रीमियम वर्जन के लिए आपको 20 डॉलर मतलब 1653 रुपये हर महीने खर्च करने होंगे.

एक तरफ ChatGPT को गूगल के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है तो दूसरी तरफ माइक्रोसॉफ्ट ने इसे अपने सर्च इंजन में इंटीग्रेट कर मुकाबला रोचक बना दिया है. अब ये देखना वाकई में दिलचस्प होगा कि सर्च इंजन की ये लड़ाई कहां जाकर रुकेगी.

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