Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Technology Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019एंड्रॉयड के कारण गूगल पर लगा 5 बिलियन $ का जुर्माना, 5 बड़ी बातें

एंड्रॉयड के कारण गूगल पर लगा 5 बिलियन $ का जुर्माना, 5 बड़ी बातें

गूगल पर ये आरोप था कि उसने अपने मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम ‘एंड्रॉयड’ के प्रतिद्वंदियों को बाजार से बाहर रखने की चाल चली

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एंड्रॉयड के कारण गूगल पर लगा 35,000 करोड़ जुर्माना, 5 बड़ी बातें
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एंड्रॉयड के कारण गूगल पर लगा 35,000 करोड़ जुर्माना, 5 बड़ी बातें
(फोटो: iStock)

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यूरोपियन यूनियन ने गूगल पर 5 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया है. गूगल पर ये आरोप है कि उसने अपने मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम 'एंड्रॉयड' के प्रतिद्वंद्वियों को बाजार से बाहर रखने की चाल चली. गूगल ने सैमसंग और हुआवेई जैसी स्मार्टफोन कंपनियों के साथ गठजोड़ कर बाजार में सबसे आगे होने का गलत फायदा उठाया है.

आखिर गूगल ने किया क्या है?

जो स्मार्टफोन कंपनियां अपना खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं बनाती हैं या खरीदती हैं, उनके लिए गूगल का फ्री एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम अट्रैक्टिव ऑप्शन होता है. लेकिन इसके लिए इन कंपनियों को अपने स्मार्टफोन या दूसरे डिवाइस पर गूगल के ऐप प्री लोड करने होते हैं.

ऐसे में किसी भी एंड्रायड सपोर्ट करने वाले मोबाइल पर आपको प्री लोड गूगल ऐप देखने को मिलेंगे और ज्यादातर यूजर उन्हीं ऐप का इस्तेमाल करने लगते हैं. क्योंकि मोबाइल में डाइनलोड होने के कारण गूगल ऐप के आइकन उनकी स्क्रीन पर दिखते रहते हैं. इसलिए ऐसे ही ऐप बनाने वाली दूसरी कंपनियों और गूगल के प्रतिद्वंद्वियों को ज्यादातर स्मार्टफोन में जगह नहीं मिल पाती. इससे विज्ञापनों से लेकर ऐप तक की खरीद का पैसा सीधा गूगल के पास चला जाता है.

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यूरोपियन यूनियन का क्या आरोप है?

EU का कहना है कि गूगल, डिवाइस बनाने वाली कंपनियां गूगल सर्च और गूगल क्रोम जैसे ब्राउजर प्री-इंस्टाल कराती है. ज्यादातर एंड्रायड सपोर्ट करने वाले डिवाइस में पहले से मौजूद इन ब्राउजर के कारण दूसरे सर्च इंजन और बॅाइजर्स की यूजर तक पहुंच नहीं बन पाती है. यूरोपियन यूनियन का कहना है कि गूगल ने इस सेगमेंट पर कब्‍जा जमा रखा है. EU की एंटी ट्रस्ट अथॉरिटी ने ये भी कहा कि गूगल उन कंपनियों को मोबाइल बेचने से रोकती है, जो उसके ऑपरेटिंग सिस्टम के अलावा दूसरा कोई ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल करते हैं.

इस वजह से गूगल के प्रतिद्वंद्वियों को यूजर तक पहुंच बनाने की सारी कोशिशें बेकार चली जा रही हैं.

यूजर को कैसे नुकसान पहुंच रहा है?

EU का कहना है कि गूगल के इस बिहेवियर की वजह से कंज्यूमर को भी नुकसान पहुंच रहा है. यूजर के पास चॉइस नहीं है. EU का मानना है इसके कारण एंड्रायड ऑपरेटिंग सिस्टम का विकल्प तैयार करने में भी दिक्कतें आ रही हैं, इनोवेशन को इससे नुकसान पहुंचा है.

गूगल का क्या कहना है?

गूगल का कहना है कि वास्तव में एंड्रायड की वजह से लोगों को बेहतर विकल्प कम दाम में मिला है. इससे मोबाइल फोन के भी दाम सस्ते हुए हैं. गूगल ने एपल का उदाहरण भी दिया. गूगल ने ये भी कहा कि अगर किसी यूजर को उनकी कंपनी का ऐप पसंद नहीं है, तो उन्हें दूसरे ऑप्शन के लिए कौन रोक रहा है.

इस जुर्माने के राजनीतिक परिणाम क्या हो सकते हैं?

अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच कारोबार शुल्क को लेकर जारी मतभेद के बीच इस फैसले से तनाव नए शिखर तक पहुंच सकता है. इससे पहले पिछले साल गूगल पर 2.4 अरब डॉलर का जुर्माना लग चुका है. उस वक्त गूगल पर ये आरोप था कि वो अपने सर्च इंजन का इस्तेमाल अपनी ही शॉपिंग सर्विस को दूसरों के मुकाबले फायदा पहुंचाने में कर रहा है.

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Published: 18 Jul 2018,09:14 PM IST

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