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सरकार ने सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के लिए नियमों का खाका तैयार किया है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए सरकार ने कुछ नियम ड्राफ्ट किए हैं. इन नियमों में कंटेट मॉडरेशन(कंटेट में बदलाव), ब्लॉक करने के आदेशों का पालन कराने, शिकायत के निपटारे की व्यवस्था शामिल है.
फरवरी महीने की शुरुआत में ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और सरकार के बीच कई सारे मतभेद हो गए थे. ये मतभेद कंटेंट मॉडरेशन से जुड़े थे. सरकार ने किसान आंदोलन से संबंधित करीब 1500 ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के लिए ऑर्डर जारी किया था, लेकिन ट्विटर ने ऐसा करने से मना कर दिया था.
इसी तरह कई सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म जैसे नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम पर भी बीच-बीच में धार्मिक भावना आहत करने के आरोप लगते रहे हैं. इन मामले में तांडव ताजा उदाहरण है. सोशल मीडिया पर तांडव वेब सीरीज का खूब विरोध हुआ और हिंदू धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप लगे.
इन गाइडलाइंस में सभी ऑनलाइन मीडिया कंपनियों को सलाह दी गई है कि वो ऑनलाइन कंटेट का तीन स्तरों पर रेगुलेशन करें. इसके तहत कंपनियों को कंटेट को पहली बार शेयर करने वाले का पता कैसे लगाया जाए ये तैयारी करनी होगी और साथ ही ब्लॉकिंग के अधिकार इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी को देने होंगे.
इसी ड्राफ्ट में ओटीटी प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने की भी बात की गई है. लेकिन 11 फरवरी को 17 बड़े स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने सेल्फ रेगुलेशन की बात की थी. लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूचना प्रसारण मंत्रालय को सेल्फ रेगुलेशन के संबंध में कई सारी दिक्कतें थीं.
एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक ड्राफ्ट नियमों में तीन स्तरों पर रेगुलेशन किया जाएगा. पहले स्तर पर कंपनी को खुद ही विवाद निपटारे से संबंधित तंत्र विकसित करना होगा. दूसरे स्तर पर प्रेस काउंसिल जैसी कोई संस्था होगी, इसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे.
ये इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी पूरे रेगुलेशन की प्रक्रिया में सर्वोच्च संस्था होगी. इसमें आईटी मंत्रालय, सूचना प्रसारण मंत्रालय, गृह, कानून, विदेश, रक्षा और महिला-बाल कल्याण मंत्रालय के प्रतिनिधि होंगे.
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