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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
कैमरा: सुमित बडोला
सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने पर बहस जारी है. इस नए कानून के तहत 8 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वालों को 10 फीसदी आरक्षण का फायदा मिलेगा. क्विंट अपनी खास सीरीज में इस आरक्षण पर अलग-अलग शहरों में युवाओं की राय जानने में जुटा है. यूपी के सहारनपुर के जिन युवाओं से हमने बात की, आरक्षण पर उनकी राय बंटी हुई है.
शुभम गोयल को ये फैसला फायदे का सौदा लगा, उन्हें लगता है कि सवर्ण समाज के गरीब तबके को भी अब आसानी से नौकरी और एडमिशन मिल सकेगा.
वहीं नुपूर पूछती हैं कि नौकरी होगी तो ही आरक्षण का फायदा मिलेगा. सरकार को नौकरियां पैदा करने पर फोकस करना चाहिए.
आरक्षण का आधार क्या होना चाहिए- आर्थिक या जातिगत? इस सवाल के जवाब में पंकज कहते हैं कि जाति के आधार पर जो भेदभाव होता है, उसमें पैसे नहीं देखे जाते. इस समस्या का एक ही समाधान है, देश के सभी लोगों को मुख्यधारा, समान धारा में जोड़ा जाए.
मोहम्मद जीशान को लगता है कि सरकारी नौकरियां कम हैं, ऐसे में सवर्ण तबके के गरीब पर इसका फर्क पड़ता है. क्योंकि जनरल कैंडिडेट को एससी-एसटी से ज्यादा नंबर लाकर नौकरी हासिल करनी पड़ती है. हालांकि, जीशान चुनाव के समय 10% आरक्षण की बात को जुमला बताते हैं.
कुछ छात्रों का ये भी कहना है कि आरक्षण के चक्कर में मेरिट को दरकिनार किया जा रहा है.
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