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वीडियो एडिटर- आशुतोष भारद्वाज
आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10% आरक्षण देने पर युवा क्या राय रखते हैं? क्विंट की टीम अपनी खास सीरीज में कई शहरों के युवाओं से इस मुद्दे पर बात कर रही है. ऐसे में पटना में भी हमने कुछ युवाओं से बात की. पटना यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे इनमें से ज्यादातर छात्र ये मानते हैं कि जो 8 लाख की सीमा तय की गई है वो सही नहीं है.
एक छात्र कहते हैं कि इससे कोई फायदा नहीं होने जा रहा है.
पटना यूनिवर्सिटी के ही छात्र कन्हैया कहते हैं,
मनन इसे पॉलिटिकल एजेंडा मानते हैं वो कहते हैं कि मध्य प्रदेश समेत 3 राज्य में जो बीजेपी को हार मिली है, उसी का नतीजा है कि सवर्ण आरक्षण दिया जा रहा है.
चर्चा में शामिल हुई जुली कपूर कहती हैं आरक्षण को कैटेगरी के हिसाब से नहीं देना चाहिए. आर्थिक रूप से आरक्षण देना सही है लेकिन 8 लाख की सीमा गलत है.
पटना यूनिवर्सिटी में हुई क्विंट की चौपाल में छात्रों के बीच मतभेद दिखा. लेकिन एक बात को सब मान रहे हैं कि 8 लाख की जो सीमा रखी गई है, उस पर सभी का मानना है कि उसे कम किया जाए. दूसरी बात ये भी कि कुछ छात्रों का मानना है कि आरक्षण जाति के आधार पर होना चाहिए और कुछ छात्रों का कहना है कि 'नहीं इससे मेधा पर असर पड़ता है'. इसलिए इसे आर्थिक आधार पर होना चाहिए.
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