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हर साल कुछ मलाल होते हैं जो रह जाते हैं. कुछ चीजें जो आप चाहते हैं कि हों पर नहीं हो पातीं. हम आपके लिए लेकर आए हैं एक खास लिस्ट. इसमें नंबर 1 पर है अयोध्या विवाद.
16वीं सदी की मस्जिद. दशकों पुराना विवाद. बात हो रही है है बाबरी मस्जिद की. 2017 में बाबरी विध्वंस को पूरे 25 बरस हो चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट में सालों से चल रहे मामले में आखिरी सुनवाई को लेकर धड़कनें तेज हो चुकी थीं. तभी फैसला आया कि भैया...कुछ महीने और इंतजार करना होगा. यानी, हर साल की तरह इस साल भी जो लोग इंसाफ के इंतजार में बैठे हुए थे, उन्हें कोर्ट के दरवाजे से फिलहाल वापस अपने-अपने घरों को लौटना पड़ा.
2018 में उम्मीद ये है कि 70 सालों से चले आ रहे इस विवाद पर पर्दा गिर पाएगा. साल नया होगा, सुनवाई आखिरी होगी. यही वजह है कि 2018 में उम्मीद की झोली में, फैसले का फूल आकर गिर जाए तो उससे बेहतर और क्या होगा...
2017 में इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड यानी आतंकी सरगना दाऊद इब्राहिम में रह-रहकर खबरों में बना रहा. कभी भिंडी बाजार में प्रॉपर्टी की नीलामी को लेकर, कभी बहन हसीना पार्कर पर फिल्म को लेकर तो कभी सातवीं..नहीं...आठवीं..नहीं पता नहीं कौन सी बार टीवी पर अपनी असली आवाज को लेकर...चर्चा तो 2017 में दाऊद को भारत लाने पर भी खूब हुई...लगा कि पता नहीं न्यूज टेलीविजन के पर्दे पर कब दाऊद नमूदार हो जाए..लेकिन ये भी उसी लिस्ट में है जो 2017 में हो न सका.
2018 में देश उम्मीद करेगा कि 1993 से लेकर न जाने कितने और हमलों के आरोपी दाऊद इब्राहिम पर शिकंजा कसा जा सके. दाऊद अगर गिरफ्त में आता है तो ये भारत की बड़ी जीत साबित होगी.
2017 के जाते-जाते कश्मीर समस्या पर किसी ठोस कदम, ठोस पहल का भरोसा भी जा रहा है. आजादी के बाद से कश्मीर लगातार सूबे और केंद्र की सरकार से लेकर कश्मीर की अवाम के लिए बड़ा मुद्दा बना रहा है. 2015 में कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की सरकार बनने के बाद लगा था कि कुछ बेहतर होने जा रहा है....शायद बहुत जल्द इसके नतीजे देखने को मिलेंगे पर अभी रास्ता लंबा और मंजिल दूर ही दिखती है...फिर भी उम्मीद जगी है..
जैसे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर में अमन के दरख्त अभी सूखे नहीं हैं. तो क्या नए साल में इन पेड़ों पर नए पत्ते भी लगेंगे.
ये साल एयरलाइंस के लिए इतनी मुश्किलें लेकर आएगा, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. इंडिगो हो, जेट हो, एयर इंडिया हो सब खबरों में रहे. अपने मिजाज के मुताबिक एयर इंडिया कुछ ज्यादा खबरों में रहा...कब बिकेगा, कौन खरीदेगा, सिर्फ इंटरनेशनल ऑपरेशन लेगा या नेशनल भी खरीदेगा.....जैसे तमाम सवाल पूरे साल हवा में तैरते रहे. इंडिगो ने खरीद में दिलचस्पी दिखाई तो हमेशा की तरह फिर हल्ला मचा...और हमेशा की ही तरह एयर इंडिया, सेल के रनवे से टेकऑफ नहीं कर पाया..
एयर इंडिया, कभी टाटा एयरलाइंस हुआ करता था. महाराजा को खरीदने की हसरतें तो टाटा ने भी दिखाईं हैं और इंडिगो ने भी. उधर सरकार भी डिसइन्वेस्टमेंट को लेकर प्लान तैयार कर चुकी है. इसी कड़ी में कर्मचारियों के लिए शानदार VRS पेशकश भी तैयार है. अब ये उम्मीद बंधना लाजिमी है कि 2018 में एयर इंडिया को नया नाम, नई पहचान मिल पाए और मुसाफिरों को लकदक, चकमक महाराजा मिल पाए.
इस साल जब सेंसेक्स ने अपना सफर शुरू किया तो करीब 26000 के आंकड़े के साथ. और अब साल खत्म होते-होते बाजार 35 हजार पॉइंट के आसपास मंडरा रहा है. पूरे 9000 पॉइंट की शानदार छलांग. बीते कुछ वक्त में भारत की क्रेडिट रेटिंग को मजबूती मिली है, भारत इनवेस्टमेंट डेस्टिनेशन के तौर पर उभर रहा है, म्यूचुअल फंड को लेकर अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए गए हैं...
उम्मीद थोड़ी ज्यादा जरूर लगती है लेकिन ये भी याद रखना होगा कि 2019 में चुनाव हैं और उससे पहले कुछ अहम राज्यों के चुनाव भी तो चुनावी खबरों से इशारा लेते हुए सेंसेक्स भी अपनी राह खुद बनाएगा...बस उम्मीद ये है कि राह ऊपर की तरफ होगी और 40 हजार की छत को तोड़ डालेगी...
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