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ये कहना है हेमंत करकरे की बेटी और लेखक, जुई करकरे का. महाराष्ट्र ATS प्रमुख हेमंत करकरे 26/11 आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. इस हमले के 11 साल बाद, उनकी बेटी जुई करकरे नवरे ने अपने पिता की यादों का जिक्र अपनी किताब 'Hemant Karkare: A Daughter’s Memoir' में किया है.
उन्होंने आगे कहा कि उनकी इस किताब के सहारे उनकी बेटी को अपने नाना के बारे में जानने का मौका मिलेगा.
अपने बचपन के कुछ किस्सों को याद करते हुए जुई कहती हैं कि उनके पिता हमेशा जड़ से किसी भी समस्या को हल करने की कोशिश करते थे. ये उनके लिए सिर्फ नौकरी नहीं थी, बल्कि उनकी ड्यूटी थी.
जब हेमंत करकरे महाराष्ट्र के चंद्रपुर में पोस्टेड थे, तब अपने पिता से सुने एक किस्से को याद करते हुए जुई ने बताया, ‘वो उस वक्त एसपी थे, इसलिए गांव-गांव तक जाते थे और लोगों से बात करते थे, क्योंकि चंद्रपुर में नक्सली दिक्कतें काफी बड़ी थीं.’ उन्होंने बताया था-
जुई ने बताया कि फिर कैसे हेमंत करकरे कई ट्रांसलेटर से मिले और फिर गांव में अपनी टीम के साथ जाकर लोगों और बच्चों से बात की. उन्होंने लोगों से कहा कि वो उनकी तरफ हैं. उनके पिता का मानना था कि बदलाव नियम-कानून से ही आ सकता है, हिंसा से नहीं.
बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने लोकसभा चुनाव के दौरान शहीद हेमंत करकरे को लेकर कई विवादित बयान दिए थे. प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर जुई ने कहा-
जुई ने बताया कि उनके पिता उन्हें हर बात की अच्छाई और बुराई के बारे में बताते थे. ‘उन्हें लगता था कि अगर वो ऐसा करेंगे तो हम अपनी जिंदगी में कई निर्णय उसी आधार पर लेंगे, अच्छाई और बुराई देखकर. मैं ये अब देख सकती हूं कि वो हमें सशक्त बनाना चाहते थे. वो हमेशा कहते थे कि हम अपनी जिंदगियों में कई गलतियां करेंगे, लेकिन हम उससे सीखेंगे भी.’
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