advertisement
कोरोना. लॉकडाउन. काम-धंधे बंद. इकनॉमी मंद. आगे अंधेरी सुरंग, लेकिन बाजार के बुल में उमंग. वजह क्या है? निवेशक क्या, कहां और कैसे दांव लगाए? ये सोचकर उसका दिमाग चकरा रहा है. खासकर छोटे निवेशकों के सामने ये बड़े सवाल हैं. क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने इन्हीं सवालों के जवाब पूछे फर्स्ट ग्लोबल सिक्योरिटीज के को-फाउंडर्स शंकर शर्मा और देवीना मेहरा से. दोनों ने मौजूदा हालत में निवेश की रणनीति पर कुछ बेहद काम की इनसाइट्स दी हैं.
शंकर शर्मा बताते हैं कि ये धारणा ही गलत है कि बाजार इकनॉमी की नब्ज का हाल बताता है. ये भी हो सकता है कि आर्थिक संकट के समय कुछ बड़ी कंपनियां तरक्की करें और बाजार उसी को रिफ्लेक्ट करे. तो ऐसे में संभव है कि खराब आर्थिक हालत बाजार को भा जाए. तो इस भ्रम से अब बाहर निकलना चाहिए कि बाजार अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर है. देवीना कहती हैं कि मार्केट सिर्फ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में चढ़े हैं और इसकी एक वजह ये हो सकती है कि पिछले दो-तीन महीने में जो गिरावट आई थी, उसी का करेक्शन हो रहा है. जबकि आज भी इकनॉमी के बेसिक्स ढीले हैं. ऐसी कंपनियों में भी तेजी है, जिनके बेसिक्स ठीक नहीं है, तो यहां खतरे हैं.
दोनों एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक ट्रेडिंग को अपनी जिंदगी का खेवैया मत बनाइए. इतना ही रिस्क में लीजिए कि नुकसान होने पर घर चलाना मुश्किल न हो जाए. कुछ बुनियादी टिप्स दोनों ने दिए वो हम प्वाइंट दर प्वाइंट यहां दे रहे हैं.
हालत बदलने का इंतजार मत कीजिए. ब्रेक ईवन की बाट मत जोहिए. बेहतर विकल्प दिख रहा है तो चल पड़िए. शंकर के मुताबिक डिजिटल, केमिकल और फार्मा में आगे अच्छे मौके हो सकते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता लाइए. देश में पहले से प्रॉपर्टी, फिक्स्ड डिपॉजिट, पीएफ वगैरह में पैसा होगा तो जैसा कि ऊपर बताया गया है विदेशों में भी मौके तलाशिए. संकट काल है लेकिन निवेश करते रहिए, क्योंकि संकट में ही मौके होते हैं. बस आंखें खुली रखें.
देवीना के मुताबिक रिलायंस को अब जरा रुककर समझने की जरूरत है. कंपनी को हाल फिलहाल बड़ी बढ़त मिल चुकी है तो आगे इतनी ग्रोथ होगी, कम उम्मीद है. हालांकि ये भी है कि दुनिया भर में डिजिटल कंपनियां अच्छा कर रही हैं और भारत में इस सेक्टर में रिलायंस बड़ा नाम है तो उम्मीद बंधी रह सकती है. शंकर कहते हैं कि इतने छोटे वक्त में 900 से 1800 तक जाने के बाद भी कोई उम्मीद करे कि रिलायंस के शेयर 2500 पर पहुंच जाएंगे तो वो निराश हो सकता है. आगे का रिजल्ट इस पर निर्भर करता है कि कंपनी अपनी बड़ी योजनाओं पर अमल में कैसे लाती है. तिमाही नतीजों पर नजर रखिए.
इस सवाल पर कि कोविड काल में आर्थिक मोर्चे पर सरकार का रिस्पॉन्स कैसा रहा, शंकर कहते हैं कोविड से पहले से ही सरकारी खजाने की जो हालत खराब थी. तो किसी को उम्मीद थी कि सरकार राहत की पोटली लेकर आएगी तो वो उम्मीद बेमानी थी. सरकार के कथित 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के बारे में शंकर का कहना है कि ये लोन का पैकेज है जिसे कोई कंपनी लेना नहीं चाहती. शंकर को इस बात का भी गिला है कि चीन के खिलाफ दुनिया भर में माहौल बनने के बाद भी हमने इसका कोई फायदा नहीं उठाया. न यहां फैक्ट्रियां आईं, न अमेरिका से हमें कोई फायदा मिला.
देवीना की सलाह है अब ये साफ है कि जीडीपी निगेटिव दिशा में जाएगी और कितना जाएगी, इसका सही अंदाजा लगाने के लिए सही डेटा भी नहीं है. उनकी सलाह है कि कोरोना संकट के बाद निवेशकों को ये समझ जाना चाहिए कि किसी चीज की गारंटी नहीं है तो अब निवेश का रिस्क कम कीजिए.
डिस्क्लेमर: निवेश पर फैसला करने से पहले अपने विश्वसनीय एडवाइजर से सलाह जरूर ले लें.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)