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सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद, दिल्ली अभी भी ऑक्सीजन संकट का सामना क्यों कर रही है? हर दोपहर ऑक्सीजन बुलेटिन जारी करने वाले AAP विधायक राघव चड्ढा बता रहे हैं कि आखिरकार समस्या कहां है?
अस्पतालों और नागरिकों को SOS संदेश भेजते तीन महीने से ज्यादा हो गए, दिल्ली में अभी भी ऑक्सीजन की समस्या बरकरार है. समस्या कहां है?
केंद्र सरकार के प्रत्येक राज्य को दिए गए फार्मूले के आधार पर, दिल्ली को हर दिन 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. हम लगातार इस मांग को केंद्र में रख रहे हैं. कम से कम 18 राज्यों ने केंद्र के समक्ष अपनी ऑक्सीजन की आवश्यकता की मांगों को सामने रखा. उन 18 राज्यों में से, 17 राज्यों को लगभग उतनी ही ऑक्सीजन मिली जितनी उन्होंने मांग की थी. एकमात्र राज्य जिसकी मांग पूरी नहीं हुई थी, वो दिल्ली था. और ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. ये महामारी का समय हैं, मैं राजनीति करने की इच्छा नहीं रखता हूं, लेकिन ये निश्चित रूप से दिखाता है कि दिल्ली के प्रति केंद्र का सौतेला व्यवहार है.
संकट के शुरुआत से लेकर अभी तक, हम MHA के आदेशों के बावजूद, विभिन्न राज्यों की सीमाओं पर ऑक्सीजन टैंकरों के रोके जाने के बारे में दिल्ली सरकार के अधिकारियों के SOS ट्वीट्स और शिकायतें देख रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि एक केंद्रीय टीम दिल्ली सरकार की नियंत्रण टीम के साथ मिलकर काम कर रही है. फिर भी बातचीत में कहां कमी है?
हम लगातार सभी से आग्रह कर रहे हैं कि वे राज्य की सीमाओं के आधार पर भारतीयों के बीच अंतर न करें. हमने कुछ राज्यों को पहले अपने खुद के लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए अपनी सीमाओं पर दिल्ली में आपूर्ति टैंकरों को रोका जाना देखा था. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बैठक के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया था कि वे सभी मुख्यमंत्रियों को दिल्ली की ओर ऑक्सीजन लाने के लिए टैंकर नहीं रोकने की सख्त चेतावनी जारी करें. अगर पीएम ने इन सीएम को फोन किया होता तो वे दिल्ली के सप्लाई टैंकरों को फिर से रोकने की हिम्मत नहीं करते.
क्या आपको लगता है कि दिल्ली सरकार ऑक्सीजन संकट से निपटने के लिए कुछ बेहतर कर सकती थी? दिल्ली सरकार ने पिछले एक साल में अपने खुद के ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित क्यों नहीं किए?
यह सवाल कुछ ऐसा है, जिसके बारे में हर सरकार को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. जहां तक ऑक्सीजन प्लांट्स का सवाल है, जो दिल्ली के केंद्र से वादा किए गए 162 प्लांट थे, उन्हें स्थापित नहीं किया जा सका क्योंकि सेंट्रल टीम के साथ तालमेल बिठाने वाला वेंडर पैसा लेकर भाग गया. हालांकि, अब हर सरकार समझदार है. कम से कम मेरी सरकार ने पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों का आयात और उन्हें स्थापित करना शुरू कर दिया है. हम ये सुनिश्चित करेंगे कि ऑक्सीजन संकट खत्म हो जाए.
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