Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019चंद्रयान 2 के लिए आसान नहीं था चांद तक का सफर | VIDEO

चंद्रयान 2 के लिए आसान नहीं था चांद तक का सफर | VIDEO

चंद्रयान-2 के लॉन्चिंग की पहली खबर ने ही सबको चौंका दिया था

रोशन पुवैया
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चंद्रयान 2 को चांद आया है नजर, ये है अब तक का सफर
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चंद्रयान 2 को चांद आया है नजर, ये है अब तक का सफर
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

चांद पर भारत का दूसरा मानवरहित मिशन अब तक कैसा रहा? चलिए आपको बताते है चांद पर पहुंचने जा रहे चंद्रयान 2 के यात्रा के बारे में...

चंद्रयान-2 के लॉन्चिंग की पहली खबर ने ही सबको चौंका दिया था. चंद्रयान-2 15 जुलाई को GSLV मार्क 3 रॉकेट से लॉन्च होने वाला था. लेकिन एक हिलियम टैंक में लीकेज की वजह से लॉन्च को आखिरी वक्त पर रोकना पड़ा. फिर इसे लॉन्च करने की अगली तारीख 22 जुलाई तय की गई.

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22 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर चंद्रयान-2 को सफलता पूर्वक लॉन्च किया गया और उसे लो-अर्थ ऑर्बिट में पहुंचा दिया गया. इसके बाद ISRO ने एक के बाद एक ‘चंद्रयान-2 की कक्षा सफलतापूर्वक बदली.

एलिप्टिकल ऑर्बिट में जाने के लिए ये सब सफलता पूर्वक 24, 26, 28 जुलाई और फिर 2 और 6 अगस्त को किया गया. जिसका अंतिम छोर या अपोजी इसे चांद की ऑर्बिट के और करीब लाएगा.
14 अगस्त को चंद्रयान-2 ने धरती की कक्षा छोड़कर चांद की तरफ अपनी यात्रा‘ट्रांस लूनर इन्सर्शन’प्रोसेस को अंजाम दिये जाने के बाद शुरू की.

इसके बाद 20 अगस्त को चंद्रयान-2 ने लूनर ऑर्बिट में एंटर किया. फिर इसने धीरे-धीरे कक्षा कम करना शुरू किया, जो चांद की सतह के करीब 100 किलोमीटर ऊपर चला गया. चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं. ऑर्बिटर, विक्रम नाम का लैंडर, इस लैंडर के अंदर है रोवर जिसका नाम है प्रज्ञान.

2 सितंबर को लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक ऑर्बिटर से अलग हो गया. करीब एक साल या उससे ज्यादा ऑर्बिटर 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चांद के चक्कर लगाता रहेगा. लैंडर विक्रम में 5 इंजन लगे हैं जो 5 बार समय-समय पर फायर किए जाएंगे. इससे ये चांद की सतह के और करीब आएगा. 4 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद की सतह से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर आ चुका था.

अब इसके बाद चंद्रयान सबसे कठिन दौर से गुजरेगा. वो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मेनजीनस सी और सिम्पीलियस एन के बीच साउथ लेटिट्यूड के 70 डिग्री पर लैंड करने के लिए इंजन से फायरिंग करेगा.

इसके बाद 6 चक्कों वाला प्रज्ञान रोवर जिसका पृथ्वी पर वजन 27 किलो है. और जो सोलर पैनल से 50 वॉट बिजली बना सकता है. ये लैंडर को चलाएगा और बाकी के सर्वे पूरे करेगा, जिससे कन्फर्म हो सके कि चांद पर पानी है. तो ये थी चंद्रयान-2 की शानदार और यादगार यात्रा. आगे इससे जुड़े अपडेट्स के लिए जुड़े रहें क्विंट हिंदी के साथ.

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Published: 05 Sep 2019,05:14 PM IST

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