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अयोध्या विवाद की बात करें, तो लोगों ने अफवाहों के आधार पर ही अपनी राय बना ली है. वो उन मामलों पर बोलने के लिए उत्सुक हैं, जिनकी उन्हें जानकारी ही नहीं है. मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं? वो इसलिए, क्योंकि मुंबई की सड़कों पर मैंने आते-जाते लोगों से कुछ बेसिक से सवाल पूछे:
लिब्रहान आयोग या लिब्रहान अयोध्या जांच आयोग वो आयोग है जो भारत सरकार ने 1992 में बाबरी मस्जिद के टूटने के बाद उसकी जांच के लिए बनाई थी. ये जांच बहुत लंबी चली थी. हाई कोर्ट जज एम एस लिब्रहान ने इस आयोग का नेतृत्व किया था. ये आयोग 16 दिसंबर 1992 में बना था.
कल्याण सिंह, जो इस वक्त राजस्थान के गवर्नर हैं, वो बाबरी मस्जिद को तोड़े जाने के समय, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. एक बार एटा में कुछ रिपोर्टर से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि 6 दिसंबर 1992 को जो 16वीं सदी की बनी अयोध्या की मस्जिद गिराई गई थी, उसके लिए वो खुद जिम्मेदार हैं.
राम रथ यात्रा की शुरुआत एल के अडवाणी ने की थी, जो उस समय बीजेपी के अध्यक्ष थे. उन्होंने ये यात्रा राम मंदिर को बनाने के समर्थन में की थी. इस यात्रा में हजारों की तादाद में संघ परिवार के कर सेवक शामिल थे. ये देश का सबसे बड़ा जन आंदोलन बन गया था.
क्या ये सब आपको नहीं पता? तो आप अकेले नहीं हैं. मैंने इस मुद्दे पर कुछ मुंबईकरों से बात की और मुझे बड़े ही दिलचस्प जवाब मिले. हालांकि, उन में से कुछ जवाब सुनकर आपको वाकई हंसी आएगी, लेकिन हम सब के सोचने के तरीके पर भी सवाल उठता है.
और जानने के लिए वीडियो देखिए.
कैमरा: संजोय देब
वीडियो एडिटर: वीरू कृष्ण मोहन
प्रोड्यूसर: बिलाल जलील
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