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ब्रेकिंग VIEWS | खंडूरी को हटाना डिफेंस की कमजोरी को छुपाना है?

संसद के इतिहास में शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा कि अध्यक्ष को टर्म पूरा होने से पहले यूं हटाया गया हो.

संजय पुगलिया
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खंडूरी को हटाना डिफेंस की कमजोरी को छुपाना है?
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खंडूरी को हटाना डिफेंस की कमजोरी को छुपाना है?
(फोटो: हर्ष सैनी /क्विंट हिंदी)

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पूरा देश दिनभर देशभक्ति पर उपदेश सुनता रहता है. एक कीर्तन मंडली है, जो दिनभर फौज के लिए आंसू बहाती है. लेकिन जब एक पूर्व फौजी और संसद का सदस्य अपनी ही सरकार से कहता है कि हमारी फौज की उपेक्षा हो रही है, उसको जो हथियार चाहिए, वो नहीं मिल रहे और पुराने हथियारों की हालत खस्ता है, तो उसके साथ क्या होता है?

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इस देशप्रेमी की छुट्टी हो जाती है. ये खबर करीब-करीब दब गई कि पिछले हफ्ते संसद की डिफेंस स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष जनरल बीसी खंडूरी को अचानक हटा दिया गया और उनकी जगह कलराज मिश्र को दे दी गई.

संसद के इतिहास में शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा कि अध्यक्ष को टर्म पूरा होने से पहले यूं हटाया गया हो. कायदे से उनका टर्म इस लोकसभा से साथ ही खत्म होता. कुछ लोगों ने तर्क दिया कि खंडूरी जी को बड़ी उम्र के कारण हटाया, वो 84 साल के हैं और कलराज मिश्र 77 साल के हैं.

कौन हैं बीसी खंडूरी?

(फोटो: ट्वि‍टर)

बीसी खंडूरी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. वाजपेयी जी ने उन्हें मंत्री बनाकर गोल्डन क्वाड्रिलैट्रल हाइवे बनाने का जिम्मा दिया, तो पूरे जुनून के साथ खंडूरी जी ने सड़कें बनवाईं. खंडूरी जी की छवि एक बेहद मजबूत और ईमानदार व्यक्ति की है, शायद वो अभी की राजनीति में थोड़े अनफिट कहे जा सकते हैं, क्योंकि उनको जानने वाले कहते हैं कि वो अपने उसूलों से समझौता नहीं करते.

बीसी खंडूरी का क्या था गुनाह?

मार्च में उन्होंने स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट संसद में रखी. रिपोर्ट में कहा गया कि सेना के 68% हथियार पुराने हैं, विंटेज कैटेगरी के हैं. 24% कंटेम्परेरी हैं, सिर्फ 8% ही मॉडर्न हैं. बजट प्रोविजन बहुत कम है और आधुनिकीकरण पर इस साल दिए 22,000 करोड़, जबकि सिर्फ पुराने, कमिटेड प्रोजेक्ट के लिए भी कम हैं, 29,000 करोड़ तो वही चले जाएंगे.

कमेटी ने ये भी बताया कि सेना प्रमुखों ने कमेटी के सामने कहा कि पूरे बजट का कम से कम 22-25% नई जरूरतों के लिए चाहिए, जबकि बजट में मिली रकम है 14%.

ये सब कोई ऐसी बात नहीं, जो पहले से सबको न मालूम हो, लेकिन खंडूरी जी की रिपोर्ट का एक मकसद था कि रक्षा मंत्रालय की नौकरशाही को झकझोरा जाए और फौज को नई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए ताकतवर बनाया जाए.

बड़ी पिक्चर देखिए. भारत दुनिया की चौथी बड़ी सैन्य-शक्ति है. हम तीसरे सबसे बड़े इम्पोर्टर हैं. इसीलिए एक ख्वाब देखा गया- मेक इन इंडिया.

कहा गया कि हथियार बेचने वाली कंपनी को भारत में निवेश करना होगा. आत्मनिर्भर बनेंगे, रोजगार मिलेगा. अब हम राफेल सौदे का हाल देख रहे हैं, जो सवालों के घेरे में है.

अब आपको ये जानकर झटका लगेगा कि डिफेंस में FDI में ढील के बाद देश में FDI के 34 प्रस्ताव आए हैं, कुल निवेश आया है 90 करोड़ रुपए का. ये अप्रूवल और पेंडिंग मिला कर है. 2014-17 के बीच कुल FDI निवेश के महज 1.17 करोड़ रुपए आए हैं. खंडूरी जी हों या फौज की असली हालत की बात- ये खबर इतनी मामूली है कि नगाड़ों के शोर में दब जाती है.

नगाड़ा बजाने वाले लोग सेना का पॉलिटिकल इस्तेमाल करते हैं. बड़े जनरल पॉलिटिकल बयान देते हैं. आपके इंस्टंट ग्रैटिफिकेशन के लिए सेना से मुंबई में मामूली रेल पुल बनवाते हैं. वो सोचते हैं कि देशप्रेम के नारे का कूल एड पीकर फौजी उन पर फिदा हैं, तो उनको आगाह कर दिया जाना चाहिए कि फौज के लोग और देश के गांव-कस्बों में उनके परिवार के लोग मौजूदा हाल से व्यथित हैं, चिंतित हैं. सीमा पर हमारे जवान लड़ रहे हैं, ये डायलॉग हंटर की तरह चलाने वालों को इस बात का इल्म नहीं है.

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